भागीरथी का उद्गम गोमुख ग्लेशियर में होता है।
इसे गंगा की मूल धारा माना जाता है।
गंगोत्री धाम भागीरथी नदी के किनारे स्थित है।
राजा भगीरथ की तपस्या से यह धारा पृथ्वी पर आई।
भागीरथी मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करती है।
हर्षिल घाटी इसकी यात्रा को और सुंदर बनाती है।
उत्तरकाशी साधना और योग का प्रमुख केंद्र है।
देवप्रयाग में अलकनंदा से मिलकर गंगा बनती है।
यह नदी साहस और भक्ति की धारा है।
भागीरथी
मोक्ष और आध्यात्मिकता का प्रतीक
है।
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