यहाँ शांति नहीं — गहरी शांति मिलती है। 

केदारनाथ की ऊर्जा हवा में तैरती है। 

नदी के बहाव में शक्ति और कोमलता दोनों हैं। 

लहरों को देखना दिल को स्थिर कर देता है। 

पहाड़ों के बीच यह नदी जैसे भगवान की सांस हो। 

यहाँ बैठकर मन रो पड़ता है — बिना कारण। 

यह वह जगह है जहाँ आत्मा खुद को पहचानती है। 

मंदाकिनी बोलती नहीं — दिल से बात करती है। 

जो महसूस होता है, वो कहा नहीं जा सकता। 

इसे सिर्फ अनुभव किया जा सकता है।