हैड़ाखान बाबाजी आश्रम(Haidakhan Baba) उत्तराखंड का चमत्कारी मंदिर

हैड़ाखान बाबाजी आश्रम पावन और चमत्कारी मंदिरों में से एक है। हैड़ाखान बाबाजी आश्रम कुमाऊं के रानीखेत और लूंगड़, कलसा और गौला नदी के संगम पर स्थित है। जहां पर हैड़ाखान का मंदिर है‌। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। यही कारण है कि इस आश्रम में देश के ही नहीं बल्कि विदेश से भी श्रद्धालु आते हैं।

हैड़ाखान बाबाजी आश्रम

कहां जाता है कि हैड़ाखान बाबाजी आश्रम में योग ,साधना, चमत्कारों के अनुभूति करने के लिए साल भर यहां श्रद्धालु पहुंचते हैं। लोक कल्याण के लिए बाबा हैड़ाखान की महिमा अपरंपार है।

हैड़ाखान बाबा के बारे में उनके भक्त बताते हैं कि बाबा अपने भक्तों को कहीं भी किसी भी रूप में दर्शन देते हैं। बाबा में उड़ने की भी शक्तियां हैं। यही वजह है कि बाबा को अमर बाबा के नाम से भी जाना जाता है।

हैड़ाखान बाबा को उत्तराखंड में भगवान शिव का अवतार भी माना जाता है। बहुत से लोग उन्हें महावतार बाबा के नाम से भी जानते हैं।उनके शिष्य देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी देखने को मिलेंगे।

हैड़ाखान बाबाजी आश्रम
हैड़ाखान बाबाजी आश्रम

कहां जाता है कि जून 1970 में सुबह के समय एक युवा संन्यासी गंगा किनारे बसे गांव हैड़ाखान की एक पथरीली गुफा में दिखाई दिया।जिसकी उम्र मुश्किल से 27 से 28 साल की होगी। लेकिन उसके चेहरे में तेज लोगों को अपनी और आकर्षित कर रहा था।

सितंबर में यह सन्यासी जब समाधि में बैठा तो 45 दिन बाद उठा। उसका नाम किसी को पता नहीं था। लोग उसे हैड़ाखान बाबा कहने लगे। बहुत से लोगों ने उन्हें महावतार बाबा का नाम दिया। उनका मनना था कि यह महावतार बाबा है। जो युगों से हिमालय में निवास कर रहे हैं।

कैसे हुए हैड़ाखान बाबा प्रसिद्ध

हैरानी की बात तो यह थी कि इस क्षेत्र में 1860 से 1922 के बीच एक ओर हैड़ाखान बाबा हुए थे। साल 1971 के सितंबर महीने में एक आदमी ने इस युवा साधु के लिए कोर्ट में पहुंच का दावा किया कि हैड़ाखान बाबा है और नए शरीर में फिर से वापस आया है।

उसने अदालत में ऐसे सबूत पेश किया जिन्होंने यह बात साबित कर दी कि वह हैड़ाखान बाबा है। युवा हैड़ाखान बाबा की प्रसिद्ध तेजी से बढ़ने लगी। वह लोगों के बीच काफी विख्यात हो गए। वह कहते थे। कि सभी धर्म एक ही जगह पहुंचाने के अलग-अलग रास्ते हैं।

हैड़ाखान बाबाजी आश्रम
हैड़ाखान बाबाजी आश्रम

वह लोगों को उनका भविष्य बताते थे तथा लोगों को मार्गदर्शन देते थे। कहा जाता है कि 1974 में मशहूर अभिनेता शम्मी कपूर के परिवार ने उन्हें अपने घर आमंत्रित किया था। शम्मी कपूर को इन बातों में कोई रुचि नहीं थी। फिल्म की शूटिंग में बिजी थे।

लेकिन परिवार के जोर देने पर शम्मी कपूर घर के कौने मे बैठ गए। घर में बैठे हैड़ाखान बाबा की छुपकर फोटो खींचने लगे।अचानक उन्हें लगा कि बाबा उन्हें ही देख रहे हैं। जबकि बाबा उनके परिवार वालों से बातें कर रहे थे।शम्मी कपूर के लिए यह एक अलग अनुभव था।

इस पहली मुलाकात में शम्मी कपूर के अंदर ही अंदर बहुत कुछ बदल गया था। फिर एक बार बाबा के नैनीताल स्थित आश्रम पहुंचे। शम्मी कपूर को स्कॉच पीने का शौक था। डांस करने और मीट खाने का शौक था। उन्हें लगा था कि आश्रम में वह कैसे रह पाएंगे। वहां पहुंच गए बाबा ने उन्हें हंस कर कहां आ गए महात्मा जी ।

हैड़ाखान बाबा

अध्यात्म में डूब गए थे शम्मी कपूर

शम्मी कपूर को यह सुनकर अजीब सी शांति मिली।धीरे-धीरे उन्होंने उनका शराब पीने का शौक और दूसरा आदतें अपने आप छूट गई। वह गहरे ध्यान में जाने लगे। इसके बाद अपने अंतिम समय तक शम्मी कपूर अध्यात्म में डूबे रहे। उन्होंने एक वेबसाइट भी बनाई जो हैड़ाखान बाबा को समर्पित थी।

भविष्य के लिए दे देते थे चेतावनी

हैड़ाखान बाबा ने साल 1980 में अपना अंतिम समय बता दिया था। उनकी मानवता के लिए एक ही संदेश था कि एक दूसरे से प्रेम करो। सभी धर्म का सम्मान करो। उन्हें श्रद्धालुओं को चेतावनी भी दी थी कि क्रांति के लिए तैयार रहे।

इस महा क्रांति की चर्चा में वह कहते थे कि भूकंप आएंगे, बाढ़ आएंगे, हादसे होंगे, युद्ध होंगे इसलिए आने वाले समय के लिए साहस और प्रेम बटोर कर रखो। केवल सत्य का ही मार्ग मानवता को बचा सकता है।

हल्द्वानी में बाबा का आश्रम है। जहां पर श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने के लिए आते हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि बाबा किसी न किसी रूप में आज भी भक्तों को दर्शन देते हैं ।

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