वृद्ध बद्री मंदिर उत्तराखंड(पंच बद्री)


उत्तराखंड के पांच बद्री में से एक है वृद्धि बद्री। जो की सुंदर वादियो में स्थित है। वृद्ध बद्री मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। यह समुद्र तल से 1380 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।यह मंदिर चमोली जिले के जोशीमठ से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

जोशीमठ हेलंग के बीच बदरीनाथ राष्ट्रीय मार्ग अणिमठ गांव में स्थित है।उत्तराखंड देवभूमि को स्वर्ग भूमि, पुण्य भूमि के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि यहां की इतिहास और मंदिर काफी प्राचीन और अपने आप पर बहुत सारे राज को समेटे हुई है।

वृद्ध बद्री मंदिर का इतिहास

पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि एक बार नारद मुनि भ्रमण करते हुए अणिमठ गांव पहुंचे। वहां उन्होंने आराम किया्इसके पास उन्होंने यहां पर भगवान विष्णु की तपस्या करी।

जिसके फल स्वरूप उनकी तपस्या से प्रश्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें वृद्ध व्यक्ति के रूप में दर्शन दिए।तभी से इस स्थान का नाम वृद्धि बद्री के नाम से पूजा जाता है।बद्री भगवान विष्णु का ही एक ओर नाम है।

इसीलिए वृद्धि रूप में दर्शन देने के कारण यह जगह का नाम वृद्धि तथा बद्री विष्णु भगवान के नाम होने के कारण इस स्थान को वृद्धि बद्री के नाम से जाना जाने लगा।

वृद्ध बद्री मंदिर उत्तराखंड
वृद्ध बद्री मंदिर उत्तराखंड

मंदिर का नाम वृद्धि बद्री क्यों पड़ा

वृद्ध बद्री में भगवान विष्णु के बूढ़े व्यक्ति के रूप में पूजा की जाती है।यही कारण है कि इस स्थान को वृद्धि बद्री कहकर पुकारते हैं। भगवान विष्णु का नाम बद्री भी है। इस मंदिर में भगवान विष्णु के वृद्ध रूप की स्थापना क्यों की है।

इसके पीछे पौराणिक कथा के मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि देव ऋषि नारद भ्रमण करते हुए‌ अणिमठ नामक के गांव में पहुंचे और वहां आराम करने लगे। इस पर नारद मुनि विष्णु भगवान के आराधना की और दर्शन देने की प्रार्थना की।

नारद की प्रार्थना स्वीकार करते हुए विष्णु भगवान ने उन्हें वृद्धि व्यक्ति के रूप में दर्शन दिए थे।तभी से अणिमठ गांव में भगवान विष्णु को वृद्धि के रूप में पूजते हैं। यही कारण है कि मंदिर का नाम वृद्धि बद्री पड़ा।

भगवान विश्वकर्मा ने बनाई थी वृद्धि बद्री की प्रतिमा

मंदिर की पुजारी के अनुसार कहा जाता है कि यहां पर वृद्ध बद्री मंदिर की मूर्ति की रचना भगवान विश्वकर्मा के द्वारा बनाया गया था।

वृद्ध बद्री मंदिर के रोचक तथ्य

भगवान विष्णु की मूर्ति बाढ़ आने से गायब हो गई थी। इसकी स्थापना आठवीं शताब्दी में आदि शंकराचार्य द्वारा की गई। जो भारत के हर कोने में हिंदू धर्म के सिद्धांतों के लिए प्रसार कर रहे थे।

उन्होंने वृद्धि बद्री के रूप में भगवान बद्री की मूर्ति को पुनः खोज की थी और मंदिर में पुनर्स्थापित किया। यह भी माना जाता है कि विश्वकर्मा द्वारा बनाई गई भगवान विष्णु की मूल मूर्ति अब मुख्य बद्रीनाथ मंदिर में स्थित है।

बद्रीनाथ की यात्रा का अच्छा समय

वृद्ध बद्री मंदिर वैसे तो पूरे साल खुला रहता है लेकिन वृद्ध बद्री की यात्रा का सबसे अच्छे समय जो माना जाता है।वह मई महीने से अक्टूबर के महीने के दौरान माना जाता है क्योंकि मानसून के मौसम में काफी बारिश होती है।

जिसके कारण क्षेत्र में भूस्खलन और बाढ़ का खतरा बना रहता है। सर्दी के मौसम में अधिक बर्फबारी और सर्दी होने के कारण तबीयत खराब हो सकती है। इसलिए मई से अक्टूबर का महीना अच्छा रहता है।जिसमें ना तो अधिक ठंड होती है।

ना गर्मी होती है और ना ही कोई बरसात का मौसम होता है।इसके अलावा आप अपनी सुविधा अनुसार भी चुनाव कर सकते हैं। अगर आपको बर्फीली स्थान पसंद है। तो आप सर्दियों के मौसम में मंदिर में आ सकते।

वृद्ध बद्री मंदिर उत्तराखंड
वृद्ध बद्री मंदिर उत्तराखंड

वृद्ध बद्री के निकट सप्त बद्री

अन्य सप्त बद्री वृद्ध बद्री के निकट ही स्थित हैं। वृद्ध बद्री की यात्रा के दौरान आप अन्य सभी सप्त बद्री की यात्रा भी कर सकते हैं।

आदि बद्रीः

आदि बद्री की दूरी वृद्ध बद्री से 101 किमी की पर स्थित है। यह भारत के सप्त बद्री मंदिरों में से प्रथम मंदिर है।

भविष्य बद्रीः

भविष्य बद्री वृद्ध बद्री से 23 किमी की दूरी पर स्थित है। माना जाता है कि पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान बद्रीनाथ कलियुग के अंत में भविष्य बद्री में निवास करेंगे।

योगध्यान बद्रीः

योगध्यान बद्री वृद्ध बद्री से 23 किमी की दूरी पर स्थित है। माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां पांडवों का जन्म हुआ था। पांडु को मोक्ष प्राप्त हुआ था। यहीं उनकी मृत्यु हुई थी।

ध्यान बद्री

ध्यान बद्री वृद्ध बद्री से 29 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां भगवान विष्णु की काले पत्थर की मूर्ति है। जिसे उर्वाऋषि ने स्थापित किया था। भगवान विष्णु की यह मूर्ति चार भुजाओं वाली है और ध्यान मुद्रा में खड़ी है।

अर्ध वद्रीः

अन्य बद्री मंदिरों की तुलना में अर्ध बद्री सबसे छोटा है। इसलिए इसका नाम ‘छोटा बद्री’ हैं।

नरसिम्ह वद्री:

नरसिम्हा बद्री मंदिर वृद्ध बद्री से 3 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां भगवान बद्री की छवि 10 इंच ऊंची है और भगवान को कमल मंदिर पर बैठे हुए दिखाया गया है।

वृद्ध बद्री मंदिर उत्तराखंड
वृद्ध बद्री मंदिर उत्तराखंड

बद्रीनाथ क्यों प्रसिद्ध है?

बद्रीनाथ पंच बद्री में से एक बद्री है इसलिए भी प्रसिद्ध है। यहां भगवान विष्णु के वृद्ध रूप की पूजा होती है। यह धार्मिक स्थान के साथ-साथ हिंदुओं का काफी प्रसिद्ध मंदिर है इसीलिए वृद्धि बद्री प्रसिद्ध है।

कैसे पहुंचे वृद्धबद्री मंदिर?

हवाई यात्रा द्वारा

वृद्धि बद्री मंदिर आने के लिए सबसे पास हवाई अड्डा देहरादून हवाई अड्डा है।यहां से आप वृद्धि बद्री के लिए सड़क मार्ग से आ सकती है।इसके लिए बस और कर आसानी से उपलब्ध मिल जाएगी।

ट्रेन मार्ग द्वारा

ट्रेन मार्क से आने के लिए आपको निकटीये रेलवे स्टेशन हरिद्वार है। यहां से आपको कार, बस आसानी से मंदिर तक के लिए मिल जाएगी।

सड़क मार्ग द्वारा

सड़क मार्ग से आने के लिए आपको आसानी से बस उपलब्ध मिल जाएगी।आप जोशीमठ, बस से आ सकते हैं।आप देश के किसी भी कोने से सड़क मार्ग से आसानी से आ सकते हैं क्योंकि यहां की सड़के बेहद ही शानदार हैं।जिससे आप आराम से वृद्ध बद्री पहुंच सकते हैं।

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