कोटगाड़ी भगवती मंदिर (माँ कोकिला देवी) माता भगवती का मंदिर हैI जो थल कोटमन्या रोड पर पांखू के पास स्थित हैI भक्तों को कोटगाड़ी भगवती मंदिर जाने से पहले यहां की कथाएं और मान्यताओं के बारे में अवश्य जानना चाहिएI
कोटगाड़ी भगवती मंदिर की मान्यताएं I
यहां मन से मांगी मुराद पूरी होती है| इस मंदिर को न्याय का मंदिर भी कहा जाता है लोगों का मानना है अगर कोई लड़ाई झगड़ा, किसी को इंसाफ चाहिए हो तो वह माता के यहां आकर इंसाफ मांगता है तथा उसको इंसाफ भी मिल जाता हैI
माता के दर्शन करने के बाद बरारी देवता का दर्शन करना अनिवार्य है उनके दर्शन के बिना मंदिर के दर्शन अधूरे माने जाते हैंI कोटगाड़ी देवी अर्थात कोकिला देवी के नाम से भी जाना जाता हैI
कोटगाड़ी भगवती मंदिर को विभिन्न रूपों से जाना जाता है कोकिला देवी मंदिर, कोटगाड़ी मंदिर, भगवती मंदिर, इंसाफ का मंदिर ,कामना पूर्ति मंदिर के नाम से भी जाना जाता हैI
लोक मान्यताओं के अनुसार मंदिर के अंदर माता की मूर्ति में योनि गिरी हुई है| जिसे ढक कर रखा जाता है| माता का मंदिर के बाहर बागादेव के रूप में पूजित दो भाई सूरजमल और छुरमल का मंदिर हैI
मंदिर के सीधे तरफ कुंड में धूनी है माना जाता है कि माता के हवन कुंड की भस्म माथे पर लगाने से माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है तथा लोग इस भस्म को घर भी लेकर जाते हैं|
इस मंदिर को इंसाफ का मंदिर भी कहा जाता है लोग अपनी आपदा विपदा, अन्याय ,असमय कष्ट ,कपट का निवारण के लिए माता को पुकार लगाते हैं तथा इंसाफ मांगते हैं| पहाड़ों की भाषा में इसे घात लगाना भी कहा जाता हैI
लोग कोट कचहरी ना जाकर माता के मंदिर में आना ज्यादा पसंद करते हैं|
यहां लोगों का विश्वास है कि कोटगाड़ी भगवती मंदिर के दरबार में पांचवीं पुश्तों का भी न्याय मिलता है| यही कारण है कि माता के मंदिर पर हर साल काफी भीड़ रहती हैI
पहले देवी के सामने अपने प्रति हो रहे अन्याय की पुकार घात लगाने की प्रथा थी लेकिन अब विपदा को पत्र या पेपर में लिखकर देखने का प्रचलन बढ़ गया है |
कोटगाड़ी भगवती मंदिर का इतिहास
यह मंदिर कई साल पहले चंद्र राजाओं के समय में स्थापित किया गया और माता रानी का स्वप्न में अगर यह मंदिर बनाने का आदेश दिया गया | हर वर्ष यहां पर चैत्र व अश्विन मास की अष्टमी को तथा भादो में ऋषि पंचमी को मंदिर में मेरा लगता है| न्याय की देवी यहां न्याय करती है कोई मुराद खाली नहीं जाती है|
कोटगाड़ी भगवती मंदिर के आसपास का वातावरण
पहाड़ियों के बीच में मंदिर मन को मोह लेता हैI चारों ओर बड़े-बड़े देवदार के पेड़, ऊंची ऊंची पहाड़ियां ,हरे भरे खेत हैI आसपास में लोगों के घर तथा दुकानें और बाजार भी हैंI दुकानों में कोटगाड़ी देवी की तस्वीरें तथा मंदिर में पूजा के लिए सामग्री आदि सब मिलता हैI
भोजन करने के लिए होटल भी उपलब्ध हैI मां भगवती के पास के मंदिरों में माता हाट कालिका का मंदिर भी है जो गंगोलीहाट में स्थित है साथ में ही कुछ दूरी पर आप पाताल भुवनेश्वर को भी देख सकते हैंI
घर की शांति के लिए पूजा अर्चना
माता रानी के मंदिर में आकर लोग अपने घर के लिए पूजा-पाठ आदि भी कराते हैं| जिससे घर में शांति रहे| अगर किसी ने आप के संग अपराध या छल किया है तो उसको भी सजा मिल जाती है
तथा घर में आने वाली नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव नहीं होता हैI ऐसा मान्यता है कि माता रानी के मंदिर में अपने घर के लिए पाठ करा लेने से सारी परेशानियां खत्म हो जाती हैI
कोटगाड़ी भगवती मंदिर पहुंचने का आसान तरीका
कोटगाड़ी भगवती मंदिर पहुंचने के लिए यदि आप ट्रेन से आ रहे हैं तो आपका लास्ट स्टेशन काठगोदाम रहेगा काठगोदाम से लगभग 205 किलोमीटर की दूरी आपको प्राइवेट टैक्सी या फिर उत्तराखंड परिवहन की बसों में सफर करना होगा I यदि आप हवाई जहाज से आना चाहते हैं
तो आपको पिथौरागढ़ एयरपोर्ट से लगभग 74 किलोमीटर ही प्राइवेट टैक्सी से आना होता है | पिथौरागढ़ के लिए आपको पंतनगर एयरपोर्ट से आना पड़ता है |
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