देवभूमि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित पार्वती कुंड आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है यहां पर स्वयं माता पार्वती ने महादेव को पाने के लिए की थी तपस्याI
पार्वती कुंड का इतिहास
पौराणिक इतिहासकारों के द्वारा कहा जाता है कि पार्वती कुंड बहुत ही पुराना और काफी शक्तिशाली कुंड में से एक है। यह अपने आप में ही बहुत खास कुंड है।जिसे मां पार्वती का मायका भी माना जाता है। यह उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है।
कहा जाता है कि भगवान शिव जब बारात लेकर आ रहे थे,तब वह इस स्थान से गुजर रहे थे और त्रियुगी नारायण मंदिर में उनका विवाह हुआ था तभी इस कुंड का निर्माण किया गया। जिसे आज माता पार्वती कुंड या पार्वती सरोवर के नाम से जाना जाता है।ऐसे भी मानता है कि यह वही स्थान है,जहां पर माता पार्वती ने शिव भगवान का ध्यान किया था।
हर साल यहां पर बहुत ही ज्यादा मात्रा में भक्त और जोड़े भगवान शिव और पार्वती का आशीर्वाद लेने आते हैं। मान्यता है कि जो भी इस सरोवर के पानी से नहाता है या जो अंग धोता है। उसके शरीर संबंधित बीमारी अर्थात स्किन प्रॉब्लम समाप्त हो जाती है।
कौन है माता पार्वती
माता पार्वती भगवान शिव की अर्धांगिनी अर्थात् पत्नी है।माता पार्वती ,उमा ,गौरी ,आदिशक्ति प्रेम ,सौंदर्य ,विवाह, संतान सभी की देवी मानी जाती है। हिंदू धर्म की उच्च कोटि की प्रमुख देवी मानी जाती है। माता पार्वती का सती रूप काफी प्रसिद्ध रूपों में से एक है। जिनके शरीर के टुकड़ों से 51 शक्तिपीठ की उत्पत्ति हुई है।
पार्वती कुंड कहां स्थित है
पार्वती कुंड एक ऐतिहासिक स्थान है। जो कि उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र की पहाड़ियों से लगभग 14500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।यह जगह पिथौरागढ़ के गुंजी गांव में स्थित है।
जो की चीन की सीमा से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।यहां पर भक्त सेना के देखरेख में ही दर्शन करने के लिए जाते हैं।यहां जाने के लिए सबसे पहले पिथौरागढ़ जाना होगा,फिर वहां से टैक्सी , कार या बस करके पार्वती कुंड जा सकते हैं।
पार्वती कुंड की विशेषता
यह कुंड धार्मिक ,आध्यात्मिक और ऐतिहासिक होने के कारण अपने आप में अलग विशेषता रखता है। इसके अलावा यह स्थान बेहद ही खूबसूरत भी माना जाता है तथा यह स्थान शांति प्रदान करने वाले स्थान में से एक है।
इस कुंड के आसपास का क्षेत्र बेहद ही खूबसूरत पहाड़ियों से घिरा हुआ है।जो की बहुत खूबसूरत और शानदार लगता है। यहां का वातावरण दिल को मोह लेने वाले वातावरण में से एक है। कुंड के पास से ही हम कैलाश पर्वत और ओम पर्वत की झलक देख सकते हैं।
जो भी इस कुंड के दर्शन करने आता है उसे पर मां पार्वती का आशीर्वाद और भगवान शिव की कृपा दृष्टि बनी रहती है। कैलाश यात्रा करने वाले तीर्थ यात्री सबसे पहले पार्वती कुंड के दर्शन करती हैं। तभी आगे की ओर यात्रा करते हैं।
जिससे माता पार्वती और भगवान शिव का आशीर्वाद उन्हें प्राप्त हो और आगे की यात्रा वह सफलतापूर्वक कर पाए। ऐसी मान्यता इस कुंड के प्रति है। इसके अलावा मान्यता यह भी है, कि कुंड में स्नान करने से त्वचा संबंधी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं।
सांस्कृतिक विशेषताओं को देखें तो गुंजी गांव में स्थित इस कुंड के नजदीक ही मां पार्वती का मंदिर है और यहां रहने वाले लोगों की परंपरा , पहनावा, आभूषण एकदम अलग और खास है।
आज भी यहां के लोगों ने पुरानी परंपरा को जीवित रखा है। इस गांव में लगभग 20 से 25 परिवार रहते हैं और किसी तरह अपना जीवन व्यतीत करते हैं।
कैसे पहुंचे पार्वती कुंड
पर्वती कुंड पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको उत्तराखंड आना होगा। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में आने के लिए दिल्ली से फ्लाइट भी कर सकते हैं या फिर दिल्ली से टनकपुर रेलवे स्टेशन तक ट्रेन से आ सकते हैं।
आप बस या टैक्सी लेकर भी आ सकते हैं। जो की 6 से 7 घंटे में पिथौरागढ़ पहुंचा देगी। यहां से टैक्सी कर सकते हैं, जो कि आपको पार्वती कुंड तक पहुंचा देगा।
यात्रियों से आवेदन
उत्तराखंड भूमि देव भूमि के नाम से जानी जाती है। यहां पर देवी देवता साक्षात विराजमान है। कृपया आप लोगों से हाथ जोड़कर विनती है, कृपया उत्तराखंड को गंदा ना करें।आप यात्रा करने आए।
देवी देवताओं के दर्शन करें,पूजा करें।लेकिन यहां पर गंदगी ना फैलाएं।ना कोई ऐसा कार्य करें।जिससे उत्तराखंड को प्राकृतिक का गुस्सा झेलना पड़े।
FAQs
पार्वती कुंड क्या है?
पर्वती कुंड एक ऐसा सरोवर है यहीं पर माता पार्वती स्नान करके तपस्या करती थी महादेव को पाने के लिए I
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