Golu Devta Almora In Hindi

गोलू देवता को न्याय का देवता भी कहा जाता है। क्योंकि यह देवता न्याय करते हैं। कहा जाता है कि अगर आपकी मनोकामना पूरी नहीं हो रही है और आप गोलू देवता के मंदिर में चिट्ठी लिखकर लगा दे। तो आपकी इच्छा जरुर पूरी होगी।

Nyay Ke Devta: Golu Devta Almora

गोलू देवता को स्थाई संस्कृत में न्याय के देवता के तौर पर पूजा जाता है। इन्हें राजवंशी देवताओं के तौर पर पुकारा जाता है। गोलू देवता को उत्तराखंड में अलग-अलग नाम से भी पुकारा जाता है। इसमें से एक नाम गौर भैरव भी है।

गोलू देवता को भगवान शिव का एक अवतार भी माना गया है। यह भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते हैं। मनोकामना पूर्ण होने के बाद लोग मंदिर पर घंटी भी चढ़ाते हैं। उत्तराखंड के लोग ही नहीं बल्कि यहां पर देश-विदेश से लोग अपनी अर्जी लेकर तथा न्याय मांगने के लिए आते हैं।

मंदिरों की घंटियो को देखकर ही आपको इस बात का अंदाजा लग सकता है कि यहां पर कई लोगों की मनोकामना पूर्ण हुई है।यहां मांगी गई किसी भी भक्त की मनोकामना कभी अधूरी नहीं रहती है।

मन्नत के लिए आवेदन पत्र लिखना होता है तथा उसे देवता के सम्मुख रखना होता है। ऐसा माना जाता है कि जिसको न्याय नहीं मिल रहा हो वह गोलू देवता की शरण में पहुंचे,तो उसको न्याय मिल जाता है।

Golu Devta Almora In Hindi
Golu Devta Almora In Hindi

गोलू देवता अपने न्याय के लिए दूर-दूर तक मशहूर देवताओं में से एक है। हालांकि उत्तराखंड में गोलू देवता के कई मंदिर है, लेकिन इसमें जो सबसे ज्यादा लोकप्रिय और मान्यता प्राप्त है वह अल्मोड़ा जिले में स्थित चितई गोलू देवता का मंदिर है।

इस मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ बहुत ही ज्यादा तादाद में लगती है।यहां लगातार घंटी की आवाज़ गुजती रहती है।गोलू देवता की लोकप्रियता का अंदाजा आप इन घंटियो  के द्वारा लगा सकते हैं।

गोलू देवता के दर्शन के साथ अल्मोड़ा में आपको उत्तराखंड के पांचवें धाम के नाम से जाने जाने वाले जागेश्वर धाम के भी दर्शन होंगेI

Golu Devta Kiske Avatar Hai

गोलू देवता को गौर भैरव अर्थात शिव का अवतार माना जाता है। पूरे क्षेत्र में इनकी पूजा की जाती है। अत्यधिक आस्था वाले भक्त द्वारा इन्हें प्रधान करने वाला देवता माना जाता है। पौराणिक रूप से उन्हें राजा  हालराय और उनकी पत्नी कालिका का बहादुर पुत्र और कत्यूरी राजा माना जाता है।

पौराणिक दृष्टि में चंपावत को गोलू देवता का उद्गम स्थान माना जाता है। उनकी मां कालिका को दो अन्य स्थाई देवताओं की बहन माना जाता है। हरिश्चंद देवज्युन (चंदों के राजा हरीश की दिव्य आत्मा) और सेम देवज्युन।

 दोनों देवताओं को भगवान गोलू के चाचा भी माना जाता है।यदि आप अपना उत्तराखंड का कोई भी टूर बुक करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करके बुक कर सकते हैंI

Golu Devta Ki Kahani

उनके जन्म के बारे में अलग-अलग प्रकार की कहानियां प्रचलित है।गोलू देवता के बारे में सबसे लोकप्रिय कहानी यह है। राजा हाल राय के कोई भी पुत्र नहीं था। जिसके कारण उन्होंने ज्योतिषों से पुत्र प्राप्ति का संजोग जानना चाहा। ज्योतिष हालराय को बताया कि उनकी आठवीं पत्नी से ही उन्हें पुत्र प्राप्ति होगी।

हालराय ने कई वर्षों तक पुत्र की कामना से सात विवाह भी किए। मगर जैसा ज्योतिषों ने बताया था उन्हें पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई। एक बार हालराय शिकार करने के लिए जंगल गए। जहां जंगल में काफी दूर निकल जाने के बाद उन्हें प्यास लगी। इसी प्यास को बुझाने के लिए वह एक झोपड़ी के पास गए और उन्होंने पानी मांगा।

Golu Devta Almora In Hindi
Golu Devta Almora In Hindi

झोपड़ी में एक कुंवारी कन्या कालिका ने उन्हें पानी पिलाया। मगर वे कालिका की सौंदर्यता पर मुग्ध हो गये। उन्होंने कालिका को विवाह का प्रस्ताव दे डाला।जिसे कालिका ने भी स्वीकार कर लिया। उन्होंने कालिका से विवाह कर लिया और संजोग से कालिका ही उनकी आठवीं रानी निकली। इधर सातो रानियां कालिका के सौंदर्य से जलने लगी।

वे कालिका से ईर्ष्या करने लगीं और उन्हें प्रताड़ित करने के लिए नए-नए तरीके ढूंढती थी। एक दिन हालराय शिकार पर गए। तो इन सातों रानियां ने षड्यंत्र रच डाला। उस समय रानी कालिका प्रसव पीड़ा में थी। तब सात रानियां ने पुत्र को बुरी नजर से बचाने के बहाने कालिका की आंखों पर पट्टी लगा दी।

जब कालिका के पुत्र का जन्म हुआ।तो उन्होंने पुत्र को सिंदूक में बंद कर नदी में बहा दिया और इधर पुत्र के स्थान पर सिलबट्टा रख दिया। राजा हालराय से कहा की रानी ने सिलबट्टे को जन्म दिया है। जिससे हाल राय बेहद निराश हुआ और उन्होंने रानी को महल से निकाल दिया।

नदी से बहता पुत्र मछली पकड़ने वाले मछुआरे को मिला। मछुआरे ने जब बच्चे को पाया तो वह बहुत खुश हुआ और उसी ने उनका पालन पोषण किया। यहां तक की बच्चे की घोड़ों में रुचि होने के कारण उसे काठ का घोड़ा भी लाकर दिया।जिससे गोलू दिन भर खेला करता था।

जब बच्चा बड़ा हुआ तो मछुआरे दंपति ने उसे सारी कथा सुनाई कि कैसे वह उन्हें मिला। जिसे सुनकर गोलू देवता इस अन्याय के खिलाफ उठे। यही सोचकर उन्होंने काठ का घोड़ा लिया और उसी नदी के किनारे पर जा पहुंचे। जहां रानियां अपने दासियों के साथ पहुंची हुई थी।

गोलू ने काठ के घोड़े को पानी पीने को कहा जिस पर वह हंसने लगी। गोलू को यह करते देख रानियां ने कहा काठ का घोड़ा भी क्या पानी पीता है। तो गोलू देवता ने जवाब दिया कि जिस तरह स्त्री सिलबट्टे को जन्म देती है। ठीक उसी प्रकार यह घोड़ा भी पानी पीता है।

रानियां डर गई।यह बात धीरे-धीरे आग की तरह फैल गई। जब राजा को इस बात का पता चला तो उसे अपनी मूर्खता पर बहुत ही गुस्सा आया। रानियों के सारे षड्यंत्र हालराय के सामने उजागर किये। तो राजा को सत्य का बोध हुआ।

वे अपने पुत्र गोलू को और पत्नी को सम्मान सहित अपने महल में ले गए और गोलू को राज सौंप दिया। कहते हैं की गोलू ने राज पाठ संभालने को सर्वोपरि रखा। अपने सफेद घोड़े पर बैठकर जहां जाते वहां न्याय पंचायत बिठाते थे तथा लोगों को उनका हक दिला देते थे।

यही आगे चलकर गोलू देवता के नाम से प्रसिद्ध है। जिन्हें आज भी लोग पूजते हैं तथा न्याय का देवता मानते हैं। गोलू देवता को भगवान  शिव के रूप में देखा जाता है। जबकि उनके भाई कलवा देवता को भैरव के रूप में और बहन को गढ़ देवी की शक्ति के रूप में देखा जाता है।

उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र में कई एक गांव में गोलू देवता एक प्रमुख देवता तथा कुल देवता के रूप में भी पूजे जाते हैं।आमतौर पर गोलू देवता की पूजा तीन दिवसीय पूजा या 9-10 दिवसीय को की जाती है।जिन्हें चमोली जिले में गोरल देवता के रूप में मनाया जाता है।

Golu Devta Almora In Hindi
Golu Devta Almora In Hindi

गोलू देवता अपने घोड़े पर दूर-दूर तक यात्रा करते थे और अपने राज्यों के लोगों से मिलते थे। गोलू दरबार नामक प्रथा में गोलू देवता लोगों की समस्याओं को सुनते थे और उनका निवारण करते थे। जितना हो सके हर संभव तरीके से उनकी मदद करते थे।

उनके दिल में लोगों के लिए बहुत ही विशेष स्थान था और वह उनकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे। लोगों के प्रति अपने पूर्ण समर्पण के कारण उन्होंने ब्रह्मचर्य के सिद्धांतों का पालन करते हुए सारा जीवन व्यतीत कर दिया।

आज भी दिखते हैं घोड़े पर गोलू देवता

आज भी गोलू देवता अपने लोगों से मिलते हैं और कई गांव में गोलू देवता की यह प्रथा आज भी चली आ रही है। लोगों के सामने आते हैं और उनकी समस्याओं को सुनते हैं। उनकी जितनी हो सके मदद करते हैं।

वर्तमान समय में गोलू देवता दरबार का सबसे प्रचलित रूप जागर है। जहां पर लोग अपनी मुसीबतें गोलू देवता को बताते हैं और उनका निवारण गोलू देवता करते हैं।

गोलू देवता के दिल में हमेशा अपने सफेद घोड़े के लिए एक विशेष स्थान रहा था और ऐसा माना जाता है कि वह आज भी सफेद घोड़े पर सवार होते हुए लोगों को गोलू देवता दिखते हैं।जो की बहुत ही ज्यादा अच्छा माना जाता है और उनकी ऐसी कई प्रकार की वीडियो है। नेट में वायरल भी हुई है।

इन्हें न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है।वह परेशान लोगों को न्याय भी दिलाते हैं।

 गोलू देवता के लिए मंत्र इस प्रकार है 

” जय न्याय देवता गोलज्यू तुमार जय हो “सबुक लीजे दऐण हैजे” ( अर्थात न्याय के देवता की जय हो गोलू देवता सभी के लिए आशीर्वाद)

Golu Devta Almora In Hindi
Golu Devta Almora In Hindi

FAQs

गोलू देवता को क्या भोग लगाया जाता है?

गोलू देवता को घी,दूध ,दही, हलवा ,पूरी और पकौड़ियों का भोग भी लगाया जाता है।गोलू देवता को सफेद वस्त्र, सफेद पगड़ी और सफेद शाल चढ़ाया जाता है ‌।

गोलू देवता के प्रसिद्ध मंदिर?

उत्तराखंड में गोलू देवता के कई प्रकार के मंदिर प्रसिद्ध है। जिसमें चितई ,चंपावत,घोड़ाखाल, चमरखान में है।यह प्रायः प्रचलित मान्यता है कि गोलू देवता भक्त को शीघ्र न्याय देते हैं।

क्यों माना जाता है गोलू देवता को मुख्य?

गोलू देवता को उत्तराखंड के भगवान गणेश के रूप में भी देखा जाता है। जिन्हें हर पूजा या किसी भी धार्मिक कार्यक्रम में निमंत्रण जरूर दिया जाता है।

गोलू देवता का मंदिर कहां है?

चितई गोलू देवता मंदिर देवता को समर्पित है। जो की न्याय के प्रतीक है। यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है। यह भारत के कुमाऊं समुदाय के एक देवता है। गोलू देवता का मंदिर  वन्य जीव अभ्यारण के प्रमुख द्वार से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी में अल्मोड़ा में स्थित है। इनका दूसरा मंदिर भवानी के पास सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के बगल में स्थित है।

गोलू देवता के मंदिर कैसे जाएं?

गोलू मंदिर दिल्ली से लगभग 400 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अगर आप मंदिर के दर्शन के लिए जा रहे हैं तो आपको आनंद विहार से सीधा अल्मोड़ा की बस मिल जाएगी जो डायरेक्ट है।इसके अलावा आप पहले दिल्ली से हल्द्वानी भी जा सकते हैं और इसके बाद यहां से अल्मोड़ा की गाड़ियां आसानी से उपलब्ध है।

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