फूलदेई त्यौहार: उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोक पर्व

फूलदेई त्योहार चैत्र संक्रांति के दिन मनाया जाता है क्योंकि हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास ही नववर्ष का पहला महीना होता है और यह दिन पहले महीने का पहला दिन होता हैI इस त्यौहार को आमतौर पर बच्चे मनाते हैंI बच्चे घर की देहरी पर लोकगीत गाने के साथ ही घर-घर जाकर फूल बरसाते हैं. यह त्यौहार लगभग 14 से 16 तारीख के बीच में होता हैI

फूलदेई त्यौहार क्यों मनाया जाता है?

फूलदेई त्यौहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार नव वर्ष के स्वागत हेतु मनाया जाता हैI यह वही समय होता है जब पतझड़ खत्म हो जाता है और बसंत ऋतु का आगमन होता है इसी वसंत ऋतु के स्वागत हेतु यह त्यौहार मनाया जाता है क्योंकि इस समय पेड़ पौधों में नई-नई कलियां आती हैI फलों के पेड़ों में भी फूल खेलने लगते हैं जिसमें बाद में जाकर फल लगते हैंI

इस समय उत्तराखंड के पहाड़ों पर सभी जगह बुरांश के फूल देखने के लिए मिलते हैंI यह समय घूमने के लिए बहुत अच्छा होता है जंगलों में भी रंग-बिरंगे फूल देखने के लिए मिलते हैंI इस त्यौहार का बच्चे बेसब्री से इंतजार करते हैंI

फूलदेई त्यौहार कहां मनाया जाता है?

फूलदेई त्यौहार उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोक पर्व हैI इस त्यौहार का बच्चे पूरे साल इंतजार करते हैं और त्योहार के 1 दिन पहले जंगलों में जाकर या फिर अपने आसपास के फूलों को तोड़कर लाते हैं बहुत सारे रंग बिरंगे फूलों को तोड़कर लाने के बाद त्यौहार के दिन आज पड़ोस के घरों में जाकर उनकी देहलियों में फूलों को बरसाते हैंI

और घर के बड़े लोग बच्चों का स्वागत करते हैं और उन्हें दक्षिण के रूप में विभिन्न प्रकार के खिलौने, गुड, चावल, मिठाई या फिर रुपए देते हैंI यह सब बच्चों को बहुत पसंद आता हैI

फूलदेई त्यौहार की मान्यता

यह माना जाता है कि जब बच्चे घरों में जाकर फूलों की बरसात करते हैं तो उन घरों में देवी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उन घरों में अंन का भंडार बना रहता हैI और उस घर में सुख समृद्धि बनी रहती हैI यह माना जाता है कि यह त्यौहार से प्रकृति बहुत खुश होती है और बचपन से ही बच्चों में प्रकृति के लिए लगाओ बन जाता हैI

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