रूपकुंड झील का रहस्य जिसे कंकाल झील के नाम से भी जाना जाता है। यह जगह उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित है। यह एक हिमझिल है। जो अपने किनारे पर पाए जाने वाले 500 से भी अधिक मानव कंकालों के लिए काफी प्रसिद्ध है।
रूपकुंड झील का रहस्य
यह जगह हिमालय पर लगभग 5029 मी अर्थात 16499 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इन कंकालों को 1942 में नंदा देवी शिकार आरक्षण रेजर क माधव ने पुणे खोज निकाला हड्डियों के बारे में व्याख्या के अनुसार यह 19वीं साड़ी के अंतर्गत के हैं। पहले विशेषज्ञ का यह माना था कि यह जो कंकाल मिले हैं। उनकी मौत महामारी,भूस्खलन के बर्फीले तूफान की वजह से हुई है।
लेकिन 1960 के दशक के एकत्र नमूने से के लिए गए कार्बन डेटिंग ने इस स्पष्ट रूप से यह संकेत दिया है।कि यह लोग 12वीं सदी से 15वीं सदी के बीच के थे। 2000 में भारतीय और यूरोपीय वैज्ञानिकों के एक दल ने इस स्थान का दौरा किया। ताकि वह जान सके कि यह कंकाल किस समय के तथा किस प्रकार यहां आए। कंकालों के बारे में जानकारी प्राप्त करने जा रहे थे।
उसे टीम ने अहम सुराग ढूंढ निकाले जिसमें गहने ,खोपड़ियां, हड्डियां शरीर के आरक्षित उत्तक शामिल थे।लाखों के डीएनए परीक्षण से पता चला कि लोगों के कई समाज शामिल था। छोटे कद के लोग और लंबे कद के लोग शामिल थे।इन सारे कंकाल हड्डियों को देखकर ऐसा भी आवास होता है कि शायद पहले जरूर कुछ ना कुछ बहुत बुरा हुआ था। शुरुआत में से देखकर कई लोगों ने यह क्या लगाया कि हो ना हो सभी नर कंकाल जापानी सैनिकों के होंगे।
जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारत में ब्रिटेन पर आक्रमण करने के लिए हिमालय के रास्ते गस्त वक्त मारे गए होंगे। वैज्ञानिक अध्ययन करने से पता चला कि यह लोग हम ओलो से मारे गए है। जिस प्रकार क्रिकेट के गेम जितने बड़े थे। उतने बड़े खुले हिमालय में गोला आदि आया था। जिसके कारण इन्हें आश्रय ना मिलने से यह सभी मारे गए। यदि आप अपना उत्तराखंड का कोई भी टूर बुक करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करके बुक कर सकते हैंI
उसे क्षेत्र में भूस्खलन के साथ कुछ रास्ते भाकर झिलों में चली गई। वह सबूत तो कुछ नहीं मिले हैं लेकिन वैज्ञानिकों के द्वारा दिए गए उनकी रिपोर्ट से यह माना जाता है कि यह लोग ग्रुप में कहीं रहने जा रहे थे या किसी प्रकार की खोज करने जा रहे थे। पर प्राकृतिक आपदाओं के कारण इन जिला से बेहतर रूप कुंड में जा गिरे। आपको यह जानकारी भी बहुत ही आश्चर्य होगा।
यहां के महिलाओं के प्रसिद्ध लोकगीत में माता का वर्णन आता है। इसके हिसाब से लोगों का कहना है कि देवी माता बाहर से आए हुए लोगों पर माता रानी बहुत गुस्सा करती है। अगर वह पहाड़ों के साथ खिलवाड़ करते हैं या किसी प्रकार का खखल डालते हैं।किसी प्रकार के पहाड़ों या प्राकृतिक के साथ खिलवाड़ करने वाले लोगों पर वह ओलो की बारिश कर देती हैं। GauriKund-माता पार्वती ने शिव को पाने के लिए यहीं पर तपस्या की थी
जिसके कारण लोगों की जान चली जाती है और सबसे बड़ी बात आपको यह जानकर हैरानी होगी जब वैज्ञानिकों के द्वारा 2014 में रिसर्च की गई।तो उसमें यही बात सामने आई कि इन लोगों की जान ओलो जो क्रिकेट बॉल के आकार की बोले होती है। उसे वजह से उनकी जान गई है। आज वही लाश से रूद्राकुंड झील में दफन हो गई बैठा हुआ है श।अब क्या बातें सच है या क्या झूठ यह तो कोई नहीं जानता है। यह वह लोग अपने ही साथ रहस्य बनाकर ले गए।
यह जगह रूप कुंड नंदा देवी पद के महत्वपूर्ण तीर्थ यात्रा के मार्ग पर स्थित है। जहां नंदा देवी राजघाट उत्सव लगभग प्रति 12 वर्ष में एक बार मनाया जाता है। जो की बहुत ही प्रसिद्ध यात्राओं में से एक है। यहां देवी की डोरी जाती है तथा डोली साक्षात देवी बैठी हुई मानी जाती है।उत्तराखंड देवी देवताओं का भूमि है इसीलिए यह देवभूमि अपने अंदर बहुत राज छुपाए बैठे हैं।
यह भी पढ़ें:-
- Bhimtal Lake जानिए कैसे आकर्षित करती है भीमताल की झील
- Nainital Lake:यही है जिसके कारण पर्यटक यहां घूमने आते हैंI
- Hemkund Sahib Trek-प्रकृति का अनोखा सौंदर्य
Similar Article:
- Nanakmatta Dam (नानकमत्ता)उत्तराखंड
- Gularbhoj Dam (हरिपुरा बांध गूलरभोज)
- Lake Paradise Rudrapur(पैराडाइज झील रुद्रपुर)
- Alaknanda River Story in Hindi
- रूपकुंड झील का रहस्य-क्यों बोला जाता है कंकाल वाली झील
- GauriKund-माता पार्वती ने शिव को पाने के लिए यहीं पर तपस्या की थी
Latest Article:
- Best Places to Visit in Champawat in Hindi
- चमोली में खाई में गिरी कार, तीन लोगों की मौत, मृतकों की पहचान बद्री प्रसाद…
- उत्तराखंड के आठ जिमनास्ट पहली बार यूपी में दिखाएंगे अपना जलवा, 20 से होगा आयोजन…
- फूलदेई त्यौहार: उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोक पर्व
- उत्तराखंड का राज्य पशु क्या है?
- उत्तराखंड का राज्य पुष्प क्या है?
- उत्तराखंड में कितने जिले हैं?
- UCC बिल क्या होता है? उत्तराखंड में क्यों लागू हुआ?
- घुघुती त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
- आदि बद्री की कहानी (पंच बद्री यात्रा)
- वृद्ध बद्री मंदिर उत्तराखंड(पंच बद्री)
- भविष्य बद्री के दर्शन (पंच बद्री) उत्तराखंड