शीतला माता मंदिर काठगोदाम में स्थित मंदिर है यह उत्तराखंड के नैनीताल जिले में है यहां पर माता शीतला देवी विराजमान है। कुमाऊ का द्वार कहे जाने वाले हल्द्वानी काठगोदाम में स्थित है,मां शीतला मंदिर।
शीतला माता मंदिर काठगोदाम नैनीताल
शीतला माता मंदिर काठगोदाम में स्थित एक ऐसा मंदिर है जहां भक्तों की भीड़ लगती है यह मंदिर हल्द्वानी से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर हैI यहां की खूबसूरती और हरा भरा वातावरण यहां की सुंदरता और यह विराजमान माता का रूप यहां की भव्यता दर्शाता हैं।
काठगोदाम अपनी खूबसूरती से ही जाना जाता है। एक तरफ पहाड़ो की वादियां और दूसरी तरफ बसा पूरा शहर बड़ी बड़ी बिल्डिंग काठगोदाम की खूबसूरती में चार चांद लगाते है।
कुमाऊ का लास्ट रेलवे स्टेशन भी काठगोदम है। आप इससे आगे रेल यात्रा नही कर सकते है यह का वातावाद भी बहुत अच्छा रहता है। आगर आप कुमाऊ के किसी भी स्थान में जाते है। तो काठगोदाम से ही हो कर रास्ता जाता हैI
शीतला माता मंदिर आस्था और प्रकृति का अदभुत संगम
माता शीतला के इस पवित्र मंदिर की मान्यता है। की बहुत समय पहले भीमताल के कुछ पांडे पुरोहित बनारस से माता की मूर्ति ले कर अपने गांव भीमताल मै माता को स्थापित करने के लिए ले जा रहे थे।
काठगोदाम शहर से थोड़ा आगे पहुंचने पर साम हो चुकी थी तो उन्होंने साम को यही रुकने का निर्णय किया । यदि आप अपना उत्तराखंड का कोई भी टूर बुक करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करके बुक कर सकते हैंI
कहा जाता है की रात को माता ने उन से एक व्यक्ति के सपनो में दर्शन दिए और मूर्ति वही एक स्थान में स्थापित करने को बोला सुबह सबके उठने पर उस व्यक्ति से अपने सपने और माता के दर्शन वाली बात अपने साथियों से बोली उनके साथियों से कोई वहम होगा बोल के टाल दिया I
फिर जब वो लोग वह से मूर्ति उठा कर जाने लगे तो सबके पुढ़ प्रयत्न करने के बावजूद भी किसी से माता को मूर्ति हो हिली तक नही। तब पुरोहितों को उस व्यक्ति की बात पर विश्वास हुआ और फिर उन्होंने उस जगह पर माता की मूर्ति स्थापित की ओर एक मंदिर के निर्माण करवाया।
मां करती है सभी की मुराद पूरी :–
शीतला माता मंदिर काठगोदाम सच्चे मन से आय सभी भक्तो की मुराद पूरी करती है। मां के दरबार से सच्चे मन और भक्ति भाव से आया कोई भी भक्त खाली हाथ वापस नही जाता है। मां शीतला को चेचक आदि कई रोगों की देवी बताया गया है
चेचक होने पर भक्त माता के दरवार मे जा कर ठीक भी हुए है। स्कन्द पुराण मे मां शीतला देवी का वाहन गंदभ बताया गया है माता के हाथो में सूप कलश झाड़ू तथा नीम के पत्ते रहते हैं चेचक का रोगी व्याकुलता से वस्त्र उतार देता है।
उसे सूप से हवा लगायी जाती है। झाड़ू से चेचक के फोड़ो को फोड़ा जाता है। नीम के पत्ते फोड़े को सड़ने नही देते है। तथा रोगी को ठंडे जल से स्नान हेती कलश का महत्व है।
शीतला माता मंदिर माता पार्वती के प्रमुख मंदिरों में से एक है। कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान के पावन पर्व इसके आलावा गंगा दशहरा नव दुर्गा शिवरात्रि उत्तराढ़ी में काफी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है।
नवरात्रों में भक्तो की बहुत लंबी लंबी कतारें देखने को मिलती है यह पर जटा नारियल , लाला वस्त्र ,सिंदूर, धूप और दीप आदि को चढ़ाया जाता है और मां की वंदना की जाति हैI
मनोकामना पूरी होने पर यह पर स्राधालु घंटे का छद्र आदि चढ़ते है वर्तमान में इस मंदिर में गिरजा माता की 4.5 फूट ऊंची लंबी मूर्ति स्थापित है। इसके साथ ही माता सरस्वती ,गणेश,बटुक भैरव की भी संगमरमर की मूर्तियां स्थापित है।
माता के मंदिर के ठीक नीचे भगवान भैरव का मंदिर बना है। भगवान भैरव के दर्शन करने के बाद ही माता की साधना पूर्ण होती है। भगवान भैरव को यह पर खिचड़ी चढ़ाई जाती है।
रामकृष्ण पांडे जी सन 1935 में इस स्थान पर आए थे पूजा प्रार्थना इत्यादि कार्य संपन्न करने लगे फिर उनके पुत्र पूर्णा चंद्र पांडे जी पुजारी के रूप में सपरिवार सेवा करते हुए आ रहे हैंI
शीतला माता मंदिर काठगोदाम केसे पहुंचे :–
काठगोदाम रेलवे स्टेशन से लगभग 8 किलोमीटर की दूरी में स्थित है माता का भव्य मंदिर राष्टीय राजमार्ग से 400 मीटर सीढ़ीदार रास्ते से जाते है मन्दिर। यह माता के दर्शन करने के लिए स्थानीय लोग ही नही दूर दूर से भी बहुत स्रधालु आते है।
वैसे तो भक्त माता के दर्शन करने आते ही रहते है। लेकिन नवरात्रि के दिनों में भक्ति की संख्या बहुत ज्यादा होती है। सुबह से माता के दर्शन करने के लिए लगी लाइने साम तक काम नही होती है। नवमी वाले दिन मंदिर कमेटी की तरफ से भव्य भंडारा और परसाद वितरित कराया जाता है।
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