श्रीनगर उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में स्थित श्रीनगर 1800 फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित है। जो यात्रियों के लिए बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय स्थानों में से एक है। यह शहर अलकनंदा नदी के तट पर बसा हुआ है।
श्रीनगर का इतिहास
गढ़वाल पहाड़ियों में सबसे बड़ा शहर माना जाता है। कहा जाता है कि श्रीनगर का इतिहास 16वीं सदी की शुरुआत का है।जब इसे गढ़वाल साम्राज्य की राजधानी घोषित किया गया। तब यह क्षेत्र एक महत्वपूर्ण राजनीतिक केंद्रीय बना रहा है।
वर्तमान समय में श्रीनगर एक पर्यटक स्थान के रूप में बहुत प्रसिद्ध है। इस शहर की सुंदर पहाड़ियों और मंदिरों के कारण लाखों तीर्थयात्री यहां पर आती है तथा प्राकृतिक प्रेमी का दौरा यहां आता रहता है।
उत्तराखंड में गढ़वाल में स्थित श्रीनगर बहुत खूबसूरत जगह है। अलकनंदा नदी के किनारे सिंधु तट से 575 मीटर की ऊंचाई पर बसा है। श्रीनगर गढ़वाल के अत्यंत प्राचीन नगरों में से एक है। ब्रिटिश शासन काल से पहले यह नगर बहुत से राजवंशों की राजधानी के रूप में श्रीपुर,श्री क्षेत्र ,ब्रह्मपुर ,श्रीनगर आदि के नाम से भी जाना जाता था।
महाभारत काल में यह क्षेत्र कुलिंद जनपद के अंतर्गत स्थित था। महाभारत में भी इसका उल्लेख कुलिंद, बृहत्साहिता कुणिंद्राइन तथा ह्रैनसागं द्वारा ब्रह्मपुर उल्लेखित है। देवी भागवती और केदारनाथ खंड अर्थात स्कंद पुराण में क्षेत्र शब्द का प्रयोग इस स्थान के लिए हुआ है।
जनसुति के अनुसार श्रीनगर के निकट श्री यंत्र नामक शीला पर मानव बलि देने की कुप्रथा थी।आदि शंकराचार्य ने इसे अपने त्रिशूल से हटाकर अलकनंदा में फेंक दिया था। उसी स्थान पर उनके द्वारा शक्ति स्रोत की रचना की गई।
प्रसिद्ध इतिहासकार कनिंघम के अनुसार इस जगह की स्थापना 1358 में की गई थी। सन 1621 में यहां के राजा महिपतशाह के शासनकाल में गौरवशाली स्वरूप रहा। उसे समय देश के महान कलाकार, संगीतकार, चित्रकार मूर्तिकाल तथा विद्वान व्यक्ति यहां के दरबार में आते रहते थे।
सन 1803 के भयंकर भूकंप में यह नगरी नष्ट हो गया।यह अपने गौरव को पुनः प्राप्त नहीं कर सका था।सन 1994 झील के टूटने से अलकनंदा में बाढ़ ने भी इस नगर को समाप्त कर दिया। इसके बाद नया नगर पौड़ी गढ़वाल के तत्कालीन जिला कलेक्टर तथा वस्तु कला पौ द्वारा तैयार की गई थी।
1804 से 1815 तक संपूर्ण गढ़वाल पर गौरखा का निरंकुश शासन रहा था।इसके बाद महाराज सुदर्शन शाह ने अंग्रेजों की सहायता से गोरखा को पराजित करके टिहरी क्षेत्र को अपने अधीन कर लिया था। श्रीनगर सहित गढ़वाल ब्रिटिश गढ़वाल अंग्रेजों को दे दिया गया। अंग्रेजों ने 1940 में यहां की राजधानी पौड़ी कर दी।
यहां पर घूमने की काफी शानदार जगह है।जिसमें बद्रीनाथ, केदारनाथ ,फूलों की घाटी, हेमकुंड, रूप कुंड ,आदि जैसे तीर्थ स्थान है।जहां पर श्रद्धालुओं पर्यटकों का काफी बोल वाला रहता है।
यहां पर प्रमुख विश्राम स्थल होने के साथ-साथ एच.एन.बी गढ़वाल विश्वविद्यालय पॉलिटेक्निकल तथा अन्य शिक्षण संस्थाओं का भी काफी शिक्षा केंद्र भी यही है।प्राचीन काल की दृष्टि में श्रीनगर को मंदिरों की नगरी भी कहा जाता था।
यह क्षेत्र विष्णु मंदिर ,गणेश मंदिर, गरुड़ मंदिर, कटकेश्वर ,घंसिया महादेव, काली कमली मंदिर, कल्यानेश्वर, कमलेश्वर,राजराजेश्वरी, लक्ष्मी नारायण मंदिर ,गुरु गोरखनाथ की गुफाएं ,अष्ट वक्र मंदिर ,मंजू घोष मंदिर, महेंद्र आंचल पर्वत, मणिकर्णिका नाथ मंदिर आदि जैसे मंदिर यहां पर उपस्थित है।

जो की काफी श्रद्धालुओं के केंद्र से भरा हुआ है।यहां का सबसे ज्यादा प्रसिद्ध मंदिर कमलेश्वर मंदिर है। जो ‘सन्तातिदाता ‘के रूप में प्रतिष्ठित है।
यहां प्रतिवर्ष नवंबर माह में बैकुंठ चतुर्दशी के पावन पर्व पर निसंतान दंपति पूरी रात हाथों में घी का दीपक लिए खड़े रहकर संतान प्राप्ति की मनोकामना करते हैं।स्थाई भाषा में यह पर्व खड़़दिया के नाम से जाना जाता है।
पौराणिक कथाएं
पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि श्रीनगर सदियों से एक पूजा स्थल रहा है।यह स्थान पुरानी के इतिहास के द्वारा बताया जाता है कि यहां पर संतों ने कठिन तपस्या की थी। जिससे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति मिली।श्रीनगर को पहले श्री क्षेत्र के नाम से जाना जाता था।
श्री क्षेत्र यानी भगवान शिव का क्षेत्र था। प्रचलित पौराणिक कथाओं के अनुसार महाराज सत्य संघ को कठोर तपस्या के बाद श्री विद्या हासिल हुई थी। जिसके बाद उन्होंने इस विद्या को कोल्हापुर राक्षस का वध किया था। शहर की पुनः स्थापना के लिए विशेष यज्ञ का आयोजन किया गया था।
श्री विद्या के कारण ही इसका नाम श्रीपुरा पड़ा। इसके बाद गढ़वाल के शासक अभय पाल ने इस शहर को अपनी राजधानी बना ली थी।गोरखा अक्रमण तक गढ़वाल के शासक को यहां राज रहा। इसके बाद ब्रिटिश काल इस शहर का महत्व काफी खत्म हो गया। गढ़वाल का मुख्यालय बाद में पौड़ी को बना दिया गया था।

श्रीनगर की खूबसूरती
उत्तराखंड का श्रीनगर खूबसूरत पहाड़ियों और हसीन वादियों में जम्मू कश्मीर के श्रीनगर से काम नहीं है। यह खूबसूरती उत्तराखंड राज्य में स्थित है। जो बद्रीनाथ जाने के रास्ते में पड़ता है।अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ यह शहर के अपना अलग गौरवशाली इतिहास भी रहा है।
भारत के में कई वर्तमान पहाड़ी शहर है। जो भारत में अंग्रेजों के आगमन के बाद विकसित हुए। श्रीनगर भी उन्हें नगरों में से एक है।यह स्थान ऊंची पहाड़ियों पर बसे देखने योग्य कहीं खूबसूरत दर्शनीय स्थान मौजूद है। जहां पर आप घूमने का प्लान बना सकते हैं।
पक्षी और वन्य जीवन
यह एक अच्छा खासा वन क्षेत्र है। यहां पर वृक्ष में आप पीपल, कचनार ,तेज पत्ता, शीशम आदि को देख सकते हैं।आप यहां वन्य जीवन को भी देख सकते हैं। श्रीनगर में आपको देखने के लिए तेंदुआ ,जंगली बिल्ली ,चीता, सांभर , जंगली सूअर, भालू आदि जानवर देखे जा सकते हैं।
इसके अलावा यहां पर 400 से भी अधिक प्रकार के प्रजातियों के पक्षी भी देखने को मिलेंगे।पक्षियों में यहां पर आप काला सर वाला पक्षी ,कस्तूरी बुलबुल, कठफोड़वा, नीली मक्खी पकड़ने वाले पक्षी देख सकते हैं। प्रकृति के करीब आप यहां काफी अच्छा अनुभव कर सकते हैं। जो की बेहद ही खास और खूबसूरत होता है।
मंदिरों के दर्शन
प्राकृतिक की सुंदरता के साथ-साथ आप यहां पर अलग-अलग प्रकार के धार्मिक स्थान पर के भी दर्शन कर सकते हैं। यहां के धार्मिक मंदिर काफी प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक हैं। आप यहां पर सिद्धकेश्वर मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।जो की बेहद ही शानदार है। यह मंदिर श्रीनगर में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध मंदिर है।
माना जाता है कि यहां पर भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र पाने के लिए भोलेनाथ की कठोर तपस्या की थी। इसके बाद आप यहां पर शंकर मठ के दर्शन भी कर सकते हैं। श्रीनगर के प्राचीन मंदिरों में श्रीमठ मंदिर को गिना जाता है।

मंदिर की वस्तु कला देखने योग्य है। आप यहां उत्तराखंड की विशिष्ट शैली भी देख सकते हैं। यहां के मंदिर का निर्माण पत्थरो के टुकड़े काटकर हुआ है। इसके अलावा आप यहां पर जैन मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं।
जो की बेहद खूबसूरत है। यह मंदिर जैन के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।यहां की वस्तु कला बहुत ही खूबसूरत है। इसके अलावा आप श्रीनगर में देखने योग्य काफी सारी जगह मौजूद है। जिन्हें आप अपनी घूमने के स्थान में जोड़ सकते हैं।
कैसे पहुंचे श्रीनगर
श्रीनगर पहुंचने के लिए आप तीन माध्यमों से जा सकते हैं।
हवाई मार्ग
हवाई मार्ग के लिए आपके लिए नजदीकी हवाई अड्डा देहरादून में है। इसके बाद आप यहां से गाड़ी या बस कर सकते हैं।जो आपको श्रीनगर छोड़ देगी।
रेल मार्ग
श्रीनगर के सबसे ज्यादा पास हरिद्वार और देहरादून के रेलवे स्टेशन है।जहां से आपको ऑटो या बस आसानी से उपलब्ध मिल जाएगी। आप यहां से डायरेक्ट श्रीनगर आ सकते हैं।
बस मार्ग
दिल्ली से हरिद्वार ,ऋषिकेश, देवप्रयाग आदि। सभी जगह की बस सेवा आसानी उपलब्ध है। आप बस से डायरेक्ट श्रीनगर भी आ सकते हैं।
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