मां गायत्री को समर्पित यह शक्तिपीठ हजारों भक्तों की धार्मिक आस्था का केंद्र है जहां के कण-कण में देवी-देवताओं का वास है उस देवभूमि उत्तराखंड में कुमाऊ के प्रवेश द्वार हल्दुचौर मैं स्थित गायत्री शक्तिपीठ की यह शाखा गायत्री परिवार के मुख्य केंद्र के रूप में हर व्यक्ति की आस्था वह भक्ति को संजोगे हुए है। प्रतिदिन यहां श्रद्धालु आते रहते है। विवाह एवं उपनयन संस्कार यहां समय-समय पर आयोजित होते रहते हैं जिसमें मां गायत्री के हजारों भक्त भाग लेते हैं।
गायत्री शक्तिपीठ क्या है
गायत्री शक्तिपीठ की स्थापना अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा की गई थी। जो की शांतिकुंज हरिद्वार के संस्थापक पंडित श्री राम शर्मा आचार्य जी ने की थी। गायत्री शक्तिपीठ को बनाने के मुख्य उद्देश्य थे की हरिद्वार की शांतिकुंज आश्रम में होने वाली सभी गतिविधियों को देश के हर छोटे-बड़े गांव शहर कस्बों तक पहुंचाना था और सभी जगह धार्मिक आयोजन करवाना था।
इसके लिए उन्होंने अलग-अलग शहरों वह गांव में एक भवन के रूप में शक्तिपीठ की स्थापना करना शुरू किया इस प्रकार का ही 1 शक्तिपीठ नैनीताल जिले के हल्दुचौड़ गांव की ग्राम सभा जग्गी बांगर में स्थित है।
गायत्री शक्तिपीठ को कौन चलाता है:

गायत्री शक्तिपीठ की स्थापना 1987 में राजकीय इंटर कॉलेज हल्दुचौड़ के प्रधानाचार्य के रूप में कार्यरत श्री गौरी दत्त ओझा जी ने की थी। गौरीदत्त ओझा जी को शिक्षा विभाग की ओर से 5 दिनों के लिए शांति कुंज हरिद्वार भेजा था वहां से उनको बहुत प्रेरणा मिली और उन्होंने गायत्री परिवार का हिस्सा बनकर गायत्री शक्तिपीठ की स्थापना हल्दुचौर में की स्थापना करने के उपरांत उन्होंने सप्ताह में एक बार गायत्री शक्तिपीठ में सामूहिक यज्ञ करना प्रारंभ कियाI
जिससे कि आसपास के लोग भक्ति भाव से जुड़ने लगे और आसपास के कई लोग गायत्री परिवार में शामिल हुए और नवीन चंद्र जोशी जी ने अपनी जमीन गायत्री परिवार के लिए दान दी और गायत्री शक्तिपीठ के निकटतम एक गायत्री कुंज बनाने का निर्णय लिया और रेलवे लाइन पार गायत्री कुंज बनाया गया और और विस्तार के क्रम में गायत्री शक्तिपीठ के पास एक विद्यालय भी बनाया जो की कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक है
उपनयन संस्कार के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे करे:
उपनयन संस्कार में पंजीकरण कराने के लिए रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पहले गायत्री शक्तिपीठ पर जाकर ही रजिस्ट्रेशन होता था करोना काल के बाद से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है अब सारे रजिस्ट्रेशन फोन के माध्यम से ऑनलाइन होते हैं शक्ति पीठ द्वारा दिए गए फोन नंबर–90124 90120 मैं अपनी जानकारी व्हाट्सएप द्वारा भेजने पर आपका रजिस्ट्रेशन हो जाएगा 1 सप्ताह पूर्व ही रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है रजिस्ट्रेशन के लिए निम्न जानकारी लिखकर भेजें:–

गायत्री शक्तिपीठ में कब-कब उपनयन संस्कार होते हैं
वैसे तो गायत्री शक्तिपीठ में उपनयन संस्कार शादी विवाह आदि आदि की कार्यक्रम होते ही रहते हैं लेकिन साल में बसंत पंचमी के दिन एक साथ हजारों बच्चों का उपनयन संस्कार गायत्री शक्तिपीठ के व्यवस्थापक बसंत पांडे जी की देखरेख में होते हैं जिसमें बहुत दूर-दूर से लोग आते हैं और बच्चों का उपनयन करवाते है !
गायत्री शक्तिपीठ हल्दुचौड़ कैसे पहुंचे
नैनीताल जिले में कुमाऊ के प्रवेश द्वार हल्द्वानी के निकटतम हल्द्वानी से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर हल्दुचौड़ गांव मैं स्थित है गायत्री शक्तिपीठ गायत्री शक्तिपीठ का निकटतम रेलवे स्टेशन 4 किलोमीटर की दूर पर लाल कुआं मैं है! गायत्री शक्तिपीठ राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित है जिससे कि वहां आने वाले किसी भी व्यक्ति को गायत्री शक्तिपीठ ढूंढने में कोई परेशानी नहीं होती है।
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