जोशीमठ के पास स्थित भविष्य बद्री है। जिसके लिए कहा जाता है कि भविष्य में इसी मंदिर को बद्रीनाथ मंदिर की तरह पूजा जाएगा। जब भविष्य में बद्रीनाथ मंदिर के पट बंद हो जाएंगे। तब भगवान विष्णु का निवास स्थान भविष्य बद्री ही होगा।
भविष्य बद्री का इतिहास
वैसे तो देवभूमि उत्तराखंड में आपको देखने के लिए बहुत ही खूबसूरत जगह मिल जाएगी। यह आपने खूबसूरत और इतिहास के लिए महत्व रखने वाला जगह है। यहां पर आपको महान और दिव्या मंदिरों की जानकारी भी देखने को मिलती है।
उत्तराखंड के चार छोटे धाम जिन्हें गंगोत्री, यमुनोत्री, केदार और बद्रीनाथ कहा जाता है। यह यहां के खास स्थान में से एक है। यहां पर देश के ही नहीं विदेशों से भी काफी भीड़ उमड़ती है।
बद्रीनाथ मंदिर पंच बद्री मंदिर में से एक है। जिसके बारे में आज हम बता रहे हैं। वह भविष्य बद्री पंचम बद्री का प्रमुख मंदिर कहा जाता है। पंच बद्री में बद्रीनाथ ,ध्यानयोगबद्री, भविष्य बद्री ,वृद्धि बद्री और आदि बद्री शामिल है
जोशीमठ से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भविष्य बद्री है और बद्रीनाथ से 56 किलोमीटर की दूरी पर भविष्य बद्री स्थित है। यह भविष्य बद्री तीर्थ स्थान के रूप में काफी मशहूर स्थानों में से एक है।

ऐसा कहा जाता है कि जब इस दुनिया में अधर्म बहुत ज्यादा फैल जाएगा।तब नर नारायण पर्वत बद्रीनाथ मंदिर में रुकावटें आने लगेगी और बद्रीनाथ जाने का रास्ता बिल्कुल बंद हो जाएगा।
उस समय भगवान विष्णु भविष्य बद्री में निवास करेंगे और नर्सिंग के रूप में उन्हें पूजा जाएगा। ऐसा माना जाता है कि जोशीमठ में मौजूद नर्सिंग मंदिर में भगवान नरसिंह की मूर्ति के हाथ पतले हो रहे हैं।
कहा जाता है कि जिस दिन यह मूर्ति का हाथ मूर्ति से अलग हो जाएगा। उसे दिन बद्रीनाथ का रास्ता भी बंद हो जाएगा। भविष्य बद्री सबके सामने आएंगे। बद्रीनाथ के पट बंद हो जाएंगे। इसके बाद जोशीमठ में नरसिंह मंदिर में ही भगवान विष्णु का निवास होगा ।
भविष्य में जहां भगवान विष्णु के दर्शन होंगे।वह भविष्य बद्री मंदिर घने देवदार जंगल के पेड़ों के बीच मौजूद है।यहां की पुजारी बताते हैं कि धीरे-धीरे मंदिर में भगवान विष्णु की एक पत्थर की आकृति और सभी देवी देवताओं की आकृति उभर रही है।

यह बहुत ही धीमी तरह से ऊपर की ओर बढ़ रही है। इसे देखकर माना जाता हैं कि इसे देखना सबके बस की बात नहीं है। लेकिन भविष्य बद्री के आसपास के लोग सनातन धर्म के जानकारी वाले लोग इसी सत्य को जान सकते हैं तथा इसे बहुत ही ज्यादा पूजा पाठ तथा संत ही आसानी से देख सकते हैं।
भविष्य बद्री का रहस्य
मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि प्राकृतिक और आध्यात्मिक बदलाव होंगे।जब बद्रीनाथ मार्ग पर नर नारायण पर्वत आपस में जुड़ जाएंगे और जोशीमठ में नरसिंह देवता की मूर्ति खंडित हो जाएगी। तब भगवान बद्रीनाथ के दर्शन भविष्य बद्री में होंगे।
लोग उसे ही बद्रीनाथ के रूप में पूजेंगे। जो की तपोवन मार्ग पर है।अभी भी यहां पैदल 6 किलोमीटर की दूरी में स्थित है। यह जंगलों के बीच एक पत्थर पर धीरे-धीरे भगवान के स्वरूप की आकृतिक उभर रही है। इस भविष्य बद्री में पूजा अर्चना विधि व्रत रूप से की जाती है। यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का भीड़ उमड़ती है।

भविष्य बद्री की पैदल यात्रा
जोशीमठ से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर तपोवन स्थित है।जिसके लिए पैदल यात्रा करनी होती है। यहां से पैदल होते हुए भविष्य बद्री जाया जा सकता है।वर्तमान में तपोवन मार्ग से भी भविष्य बद्री के लिए मार्ग जाता है।
रिंगी तक सड़क जा रही है। वहां से 5 किलोमीटर पैदल भविष्य बद्री जाना होता है। वर्तमान में सुभाई गांव से भविष्य बद्री के संकेत का मंदिर है।यहां पर वर्तमान से ही पूजा आरंभ हो रही है।
भविष्य बद्री कैसे जाएं
जौली ग्रांट हवाई अड्डा देहरादून जोशीमठ से ऋषिकेश के माध्यम से 268 किमी की निकटतम हवाई अड्डा है। देहरादून हवाई अड्डे से जोशीमठ तक टैक्सी तथा बस सेवाएँ उपलब्ध हैं।
ट्रेन द्वारा
ऋषिकेश रेलवे स्टेशन जोशीमठ से 251 किमी की निकटतम रेलवे स्टेशन है। ऋषिकेश रेलवे स्टेशन से जोशीमठ के लिए टैक्सी या जीप उपलब्ध रहती है।
सड़क के द्वारा
सल्धार मोटर रोड द्वारा 19 किमी दूरी में जोशीमठ से जुड़ा हुआ है। भविष्य बद्री से सल्धार 6 कि०मी० का पैदल मार्ग है। जोशीमठ उत्तराखंड राज्य के अधिकांश हिस्सों से मोटर सड़कों के माध्यम से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।
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