छोटा कैलाश के बारे में ऐसी मान्यता है कि सतयुग में हिमालय भ्रमण के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती यहां पर आए थे और उन्होंने इस पर्वत की चोटी पर विश्राम किया था विश्राम करने के साथ-साथ महादेव ने यहां पर धूनी रमई थी महादेव के यहां पर धूनी रमाने के कारण यहां पर अखंड धूनी जलाई जाती है।
छोटा कैलाश में पार्वती कुंड
छोटे कैलाश में पिछले कई सालों से तपस्या और पूजा पाठ कर रहे बाबा कर्नाटक कैलाशी बताते हैं सतयुग में जब भगवान शिव और पार्वती ने यहां पर वास किया था तो भगवान शिव ने अपनी दिव्य शक्ति से यहां पर एक कुंड का भी निर्माण किया था जिसे पार्वती कुंड माता पार्वती जी के नाम से जाना जाता हैI
बाद में किसी भक्त द्वारा उसे अपवित्र कर दिया गया जिसके कारण वह पर पार्वती कुंड सूख गया उस कुंड तक पहुंचने वाली 3 सतत जलधाराएं विभक्त हो कर पहाड़ी की तीन छोरो पर थम गई अब यहां पर कुछ शिव भक्तों द्वारा 8 लाख रुपए की लागत से पर्वती कुंड को पुनर्जीवित करने के लिए पुनर्निर्माण किया जा रहा है

छोटा कैलाश में शिवरात्रि का मेला
ऐसा देखा गया है कि सावन और मास के महीने पर यहां पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ जाती है वैसे तो नैनीताल जिले में छोटा कैलाश काफी प्रसिद्ध है इसलिए साल भर यहां भक्तों की आवाजाही लगी रहती है शिवरात्रि के दिन छोटा कैलाश मैं मेला लगता है जिसमें लाखों की संख्या में उत्तराखंड उत्तर प्रदेश मध्यप्रदेश एवं आस–पास के कई राज्यों से लोग आते हैं और छोटा कैलाश में विराजमान भगवान शिव के दर्शन करते हैI
शिवरात्रि की रात्रि को यहां पर अखंड धूनी जलाई जाती है कुछ भक्त अपने हाथ बाध कर पूरी रात उस अखंड धोनी के चारों और खड़े होकर भगवान शिव से मन्नत मांगते हैं शिवरात्रि के दिन छोटा कैलाश मार्ग में जगह जगह पर भक्तों द्वारा प्रसाद के रूप में फल बांटे जाते हैं एवं रास्ते में जगह जगह स्थानीय लोगों द्वारा दुकान लगाई जाती है जिसमें मंदिर के लिए प्रसाद एवम भाग घोटा मिलता हैI
छोटा कैलाश भीमताल की धार्मिक मान्यता

छोटा कैलाश के बारे में ऐसी मान्यता है कि सतयुग में हिमालय भ्रमण के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती यहां पर आए थे और उन्होंने इस पर्वत की चोटी पर विश्राम किया था विश्राम करने के साथ-साथ महादेव ने यहां पर धोनी रमई थी महादेव के यहां पर धोनी रमाने के कारण यहां पर अखंड धोनी जलाई जाती हैI
भक्तों की मान्यता है कि यहां पर भगवान शिव का वास है इसलिए अपनी सच्ची श्रद्धा और भक्ति से जो भी श्रद्धालु यहां पर आकर शिवलिंग पर जल चढ़ाकर भगवान शिव की पूजा अर्चना करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं भगवान शिव पूर्ण करते हैं मनोकामना पूर्ण होने पर भगवान शिव के भक्त यहां पर घंटी एवं चांदी के छत्र चढ़ाते हैंI
मंदिर पहुंचने के लिए पगडंडियों के सहारे जाना पड़ता है
छोटा कैलाश जिस पहाड़ी पर स्थित है वह पहाड़ी आसपास की सबसे ऊंची पहाड़ी है जिसमे की सीधी खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है। ऊंची पहाड़ी होने के कारण मंदिर के आसपास का वातावरण बहुत खूबसूरत है पहाड़ी की चोटी पर स्थित मंदिर तक जाने के लिए पगडंडियों के सहारे पहाड़ी चढ़नी पड़ती हैं कई लोग लकड़ी का भी सहारा लेकर पहाड़ी चढ़ते हैI
उस पहाड़ी तक चढ़ना बहुत कठिन है फिर भी शिवरात्रि के दिन लाखों की संख्या में भोलेनाथ के दर्शन करने जा रहे शिव भक्तों की शिव भक्ति के कारण बच्चे बूढ़े भी भोलेनाथ के नारे लगाते हुए भोलेनाथ के दर्शन करने लगभग 4 किलो मीटर ऊंची पहाड़ी पर चढ़ जाते हैं
उनमें से कई भक्तों को ऐसे होते हैं जोकि बिना चप्पल जूते के नंगे पैर ही पूरा सफर तय करते हैं और दर्शन करके नीचे आने तक उनके पैरों में बुरी तरीके से छाले पड़ जाते हैं परंतु शिव भक्ति ऐसी होती है कि उनको दर्द का बिल्कुल भी एहसास नहीं होता हैI

छोटा कैलाश भीमताल पहुंचने का मार्ग
नैनीताल जिले के भीमताल ब्लॉक मैं पिनरो गांव की एक पहाड़ी की शीश पर स्थित है छोटा कैलाश शिव मंदिर यहां जाने के लिए हल्द्वानी मार्ग से अमृतपुर होते हुए हल्द्वानी से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी तय करने पर पिनरो गांव पहुंचते है वहां से आपको 4 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ेगी अगर आप किसी अन्य राज्य से छोटा कैलाश आ रहे है तो आपको हल्द्वानी तक ट्रेन या फिर किसी अन्य वाहन से आना पड़ेगाI
उसके बाद शिवरात्रि के दिन तो हल्द्वानी से आपको आसानी से कोई भी टैक्सी मिल जाएगी वैसे तो निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम पड़ेगा लेकिन काठगोदाम से छोटा कैलाश के लिए टैक्सी मुश्किल से मिलती है निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है जिसकी छोटा कैलाश से दूरी लगभग 60 किलोमीटर हैI
Latest Article:
- मसूरी (Mussoorie) किंग ऑफ़ हिल्स, जहाँ बादलों के बीच सपने बसते हैं
- सरयू नदी (Importance of Saryu River)
- काली / शारदा नदी (Sarda River)
- रामगंगा नदी (Ramganga River)– पहाड़ों, जंगलों और जीवन का प्राकृतिक संगीत
- After Payment submit google form
- Book Your Session
- पिंडर नदी (Pindar River) – पिंडारी घाटी की शांत और दिव्य हिमालयी धारा
- कोसी नदी (koshi river)
- मंदाकिनी नदी (Mandakini River)– केदारनाथ धाम की शीतल और पवित्र धारा
- धौली गंगा (Dhauliganga River)– हिमालय की गहराइयों से बहती रहस्यमयी शक्ति
- 🏔️ भागीरथी नदी – तप, त्याग और मोक्ष की पवित्र धारा (Bhagirathi River)
- 🌼 यमुना नदी (Yamuna River) – प्रेम, करुणा और भक्ति की शीतल धारा









