बधाणी ताल रुद्रप्रयाग का एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है जो रुद्रप्रयाग से लगभग 60 किलोमीटर दूर मायली जखोली ब्लॉक के अंदर आता हैI भारतीय पौराणिक कथाओं के अनुसार बधाणी ताल भगवान विष्णु को समर्पित है I
बधाणी ताल की खूबसूरती की बात करें तो यह बहुत खूबसूरत है आप ऐसे समझ सकते हैं कि जिसका संबंध सीधे माता पार्वती और महादेव के साथ हो वह कैसे खूबसूरत नहीं होगाI और इसके अलावा जिसे स्वयं भगवान विष्णु ने अवतरित किया हो उस सुंदर शायद ही कुछ होगा I
बधाणी ताल एक खूबसूरत लाल है जिसमें रंग बिरंगी मछलियां रहती है और बहुत अधिक मात्रा में रहती है आप इन्हें दूर से भी देख सकते हैं इनकी खूबसूरती बहुत अधिक है इन मछलियों को देवी देवीय अवतार माना जाता है इसलिए इन्हें किसी भी प्रकार से हानि पहुंचाना पाप माना गया है I

सर्दियों में यह इलाका बर्फ से ढका होने के कारण बहुत ही खूबसूरत दिखता है उससे पहले भी अगर आप अक्टूबर या सितंबर के समय आएंगे तो यहां पर आपको खूब सारे फूल देखने को मिलते हैं जिससे यहां और भी खूबसूरत हो जाता है इसी प्रकार बधाणी ताल हर मौसम में आपको कुछ ना कुछ दिखाएगा I
आप यहां कभी भी आ सकते हैं बस केवल बरसात के समय ना आए क्योंकि इस समय यहां के मार्ग अवरुद्ध रह सकते हैं I पहाड़ों में बरसात के समय आना थोड़ा खतरनाक साबित हो सकता हैI जब से बधाणी ताल के बारे में लोगों को पता चला है I
जहां पर लोगों का आना बढ़ गया है यह एक काफी अच्छा पर्यटन स्थल है क्योंकि यहां आने पर उन्हें कुछ ही दूरी पर त्रियुगी नारायण मंदिर के दर्शन हो जाते हैं I इसके बारे में आपको और अधिक जानने के लिए मिलेगा I
बधाणी ताल से जुड़े तथ्य
| बधाणी ताल की ऊंचाई | 7000 फिट या 2100 मी |
| बधाणी ताल की उत्पत्ति | भगवान विष्णु द्वारा |
| देहरादून से दूरी | 232 किलोमीटर |
| रुद्रप्रयाग से दूरी | 60 किलोमीटर |
बधाणी ताल की उत्पत्ति कैसे हुई
पौराणिक कथाओं के अनुसार बधाणी ताल की उत्पत्ति का रहस्य महादेव और माता पार्वती के विवाह से है जो की त्रियुगी नारायण मंदिर में हुआ था माता पार्वती के भाई का कर्तव्य भगवान विष्णु ने निभाया था I
भगवान विष्णु ने अपनी नाभि से जलधारा निकाल कर वहां पर एक कुंड का निर्माण किया था वही आज बधाणी ताल के रूप में हैI बधाणी ताल बहुत ही खास है क्योंकि इस स्थान को भगवान विष्णु के साथ-साथ माता पार्वती और महादेव का भी आशीर्वाद प्राप्त हैI

इसलिए यहां पर हिमालय की विभिन्न प्रकार की मछलियां और इन्हें पकड़ना या किसी भी प्रकार का नुकसान पहुंचाना वंचित है अगर कोई ऐसा करता है तो माना जाता है की देवी देवता को नुकसान पहुंचा रहे हैं I यह रंग बिरंगी मछलियां यहां का मुख्य आकर्षण है जिनकी सेवा को लोग भगवान त्रियुगी नारायण मंदिर की सेवा मानते हैं I
बधाणी ताल आने का सही समय
बधाणी ताल आने के लिए कोई विशेष समय नहीं है क्योंकि यहां पर हर मौसम में कुछ ना कुछ देखने को मिलता है लेकिन बरसात के मौसम में इसलिए मना किया जाता है क्योंकि बरसात के मौसम में पहाड़ों के मार्ग खतरों से भरे रहते हैं क्योंकि उसे समय भूस्खलन जैसी आपदाएं आती रहती हैI
और कहीं बादल फटने के कारण बहुत अधिक बारिश होने से बाढ़ का खतरा बने रहता हैI यदि आप गर्मी के समय में आते हैं तो आपके यहां पर खूब सारी हरियाली देखने को मिलती है और बरसात के बाद यहां बहुत सारे फूल देखने को मिलेंगे जो समय लगभग सितंबर अक्टूबर का होता हैI
इसके बाद जब यहां बर्फ गिरने लगती है तो वह समय यहां का सबसे खूबसूरत माना गया है क्योंकि आपको चारों तरफ बर्फ के पहाड़ देखने को मिलेंगे यहां पर जितने पेड़ पौधे हैं उनमें भी बर्फ रहती है तो वह नजारा बहुत खूबसूरत दिखता है यह पर्यटकों को बहुत अधिक लाभ आता है I
पर्यटक अधिक से अधिक मात्रा में सर्दियों में ही आते हैं क्योंकि पहाड़ों का असली मजा तो सर्दियों में ही है जब यहां पर बर्फ रहती है I बर्फ में खेलने का अपना अलग ही मजा होता है बच्चों के साथ-साथ बड़े-बूढ़े भी बर्फ में को मजे करते हैंI
अपनी भीड़-भाड़ भरी जिंदगी से कुछ समय के लिए यहां पर हर किसी को आना चाहिए आकर होगा वह शायद ही कहीं होगा आपको ऐसा लगेगा कि आप शायद स्वयं भगवान की गोद में आ गए हैंI

यहां पर बैसाखी में मेल का आयोजन होता है वैसे तो हर त्योहार में जैसे मकर संक्रांति, जन्माष्टमी में यहां पर मिलेगा आयोजन होता है लेकिन बैसाखी में यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन होता है आप उसे समय यहां आकर खूब मजे कर सकते हैंI
बधाणी ताल घूमने वाले पर्यटकों से निवेदन है कि जब भी वह यहां घूमने के लिए आए तो कुछ बातों का ध्यान रखें जैसे:-
- देवभूमि उत्तराखंड में कहीं भी गंदगी ना फैलाएंI
- मर्यादाओं का उल्लंघन न करें I
- स्थानीय लोगों को परेशान ना करें I
इन सब चीजों का ध्यान रखते हुए आप यहां पर आए और अपने साथ अपनी सर्दियों की व्यवस्था बनाकर आए क्योंकि यहां पर ठंड अधिक पड़ती है तो आपको कपड़े अधिक से अधिक लाने होंगे I
बधाणी ताल कैसे आए
बधाणी ताल आने के लिए आप सीधा देहरादून से रुद्रप्रयाग आ सकते हैं I या फिर आप कहीं से भी आ रहे हैं तो आपको रुद्रप्रयाग तक बस या टैक्सी आसानी से मिल जाएगी उसे आगे आपको लगभग 60 किलोमीटर प्राइवेट टैक्सी में आना होगा जो यहां पर आपको दिन के समय कभी भी मिल जाएगी I
कोई भी परेशानी आए तो आप यहां पर स्थानीय लोगों से मदद ले सकते हैं I यहां पर स्थानीय लोग बहुत अच्छे हैं कोई ना कोई आपकी मदद अवश्य कर देगा वैसे भी पहाड़ों में लोग दिल के साफ होते हैं I
FAQs
बधाणी ताल कब नहीं आना चाहिए?
बरसात के समय बधाणी ताल नहीं आना चाहिए क्योंकि इस समय मौसम का खतरा बने रहता है I
बधाणी ताल क्यों प्रसिद्ध है?
बधाणी ताल मैं विभिन्न प्रकार की मछलियां हैं जिन्हें क्षति पहुंचाना या मारना निषेध है और बधाणी ताल को स्वयं भगवान विष्णु ने कुंड के रूप में उत्पन्न किया था इसलिए यह प्रसिद्ध हैI
बधाणी ताल आने का सबसे अच्छा समय?
बधाणी ताल आने का सबसे अच्छा समय सर्दियों में है जब पहाड़ों में बर्फ रहती है तो यहां की खूबसूरती देखने लायक होती है I
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