ध्वज मंदिर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है। ध्वज मंदिर का इतिहास की बात करें तो एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। जो की भगवान शिव और देवी जयंती को समर्पित है। यह जगह समुद्र तल से 2100 मीटर की पाइपलाइन पर स्थित है।
ध्वज मंदिर पिथौरागढ़
इस मंदिर पर आसानी से जाया जा सकता है क्योंकि यह मंदिर सड़क मार्ग से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर के आसपास देखने के लिए काफी रेस्टोरेंट उपस्थित हैं।
मंदिर तक पहुंचाने के लिए पिथौरागढ़ से 4 किलोमीटर की पैदल आसान पैदल दूरी तय करनी होती है फिर इस मंदिर में पहुंचा जा सकता है।यह स्थान दसवीं और हिमालय काले भालू के घर भी माना जाता है।
यहां पर भक्तगण मंदिर के पास बर्फ से लेकर उच्च हिमालय की चोटियों की सुंदरता को देखकर आनंद ले सकते हैं।
ध्वज मंदिर पिथौरागढ़ का इतिहास
उत्तराखंड प्राचीन काल से ही धार्मिक और आध्यात्मिक का केंद्र रहा है। उत्तराखंड में देवभूमि उनके कारण अपनी खूबसूरती और मंदिरों के लिए काफी प्रसिद्ध है । यह जगह अतीत से बहुत महत्व रखता है।
इसका इतिहास और पुराणों में भी काफी जिक्र मिलता है। पुराने मंदिरों में से एक पुराना मंदिर ध्वज मंदिर भी है।जो उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित एक बहुत ही सुंदर मंदिर है। जो की समुद्र तल से 2100 किलोमीटर की दूरी ऊंचाई पर स्थित है।
इस मंदिर में आसानी से पहुंचा जा सकता है। इस मंदिर के चारों ओर बर्फ की चोटियों से ढाका हुआ मंदिर है। इस मंदिर का काफी बड़ा धार्मिक महत्व भी है। आप पिथौरागढ़ यात्रा के दौरान इस मंदिर के दर्शन कर सकते हैं।
यह मंदिर पिथौरागढ़ के प्रमुख धार्मिक मंदिरों में से एक मंदिर है। इस मंदिर का इतिहास बहुत प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव के नाम पर ध्वज और इसके नाम भी ‘कापड़ी वंश के पूर्वज ‘ने रखा था।
यह जगह खांदनाथ से भी जुड़ा हुआ है। क्योंकि इस स्थान पर लगभग 50 फीट की गुफा में बहुत लंबे समय से भगवान शिव की उपस्थिति थी। यह स्थान मनाए जाने वाले त्योहारों के लिए भी बेहद ही प्रसिद्ध है और इसका धार्मिक महत्व भी काफी प्रसिद्ध है।
क्यों है ध्वज मंदिर पिथौरागढ़ प्रसिद्ध
- यह मंदिर अपनी वस्तु कला ,मूर्तियां और स्मारकों के लिए काफी प्रसिद्ध है।
- यह अपने इतिहास के लिए प्रसिद्ध है।
- यहाँ पर मनाया जाने वाले त्योहारों के लिए प्रसिद्ध है।
- यह अपने तीर्थ यात्रा और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है।
ध्वज मंदिर पिथौरागढ़ जाने का सबसे अच्छा समय
यह मंदिर खूबसूरत होने के साथ-साथ खूबसूरत स्थान पर भी बना हुआ है। इस मंदिर में वैसे तो पूरे साल कभी भी दर्शन कर सकते हैं ,लेकिन तापमान बहुत सुखद और अच्छा रहे उसके लिए जो सबसे अच्छा समय है। वह गर्मी और मानसून का समय होता है।
गर्मी के मौसम में यह स्थान बहुत ही सुखद होता है। यह स्थान थोड़ी ठंडी और खूबसूरत भी हैं। मानसून के मौसम में यह जगह बेहद खूबसूरत हो जाती है। यह स्थान बहुत हवादार और चारों तरफ हरियाली से घिरा हुआ दिखाई पड़ता है।
बादल पहाड़ियों के बीच यहां का सुंदर दृश्य आपका मन मोह लेगा। आप इस स्थान में त्योहारों के समय भी आ सकते हैं। इस स्थान में बड़े पैमाने में त्योहारों को बनाया जाता हैं।यहां पर आप ट्रैकिंग हाइकिंग और कैंपिंग के साथ-साथ अलग-अलग गतिविधियां कर सकते हैं।
कैसे पहुंचे ध्वज मंदिर पिथौरागढ़
सड़क मार्ग से
ध्वज मंदिर पहुंचने के लिए सबसे पहले पिथौरागढ़ पहुंचना होगा।जो कि दिल्ली से बस आसानी से उपलब्ध हो जाएंगी । पिथौरागढ़ से 2 घंटे ट्रैकिंग करके वहां पहुंच सकते हैं और स्थाई बस और टैक्सी द्वारा भी आप यहां पहुंच सकते हैं।
हवाई मार्ग से
मंदिर तक पहुंचाने के लिए आप हवाई मार्ग से भी आ सकते हैं। दिल्ली से पंतनगर के लिए प्लेन का टिकट कर सकते हैं।इसके बाद पंतनगर से पिथौरागढ़ तक के लिए टिकट कर सकते हैं।
फिलहाल पंतनगर टू पिथौरागढ़ फ्लाइट बंद हो चुकी है। इसलिए आप पंतनगर से पिथौरागढ़ तक के लिए बस या गाड़ी कर सकते हैं। पंतनगर हवाई अड्डा पिथौरागढ़ से लगभग 213 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
ट्रेन द्वारा
मंदिर तक पहुंचाने के लिए आप दिल्ली से टनकपुर रेलवे स्टेशन पहुंच सकते हैं।जो की पिथौरागढ़ 149 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।इसके बाद आप यहां से बस या टैक्सी कर सकते हैं। जो आपको पिथौरागढ़ छोड़ देगा।
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