गर्जिया देवी मन्दिर कोसी नदी के बीचो बीच में एक पहाड़ी के 100 फीट ऊंचे टीले पर स्थित है गिरिराज हिमालय की तलहटी में स्थित उत्तराखंड के प्रसिद्ध द्वार रामनगर जिला नैनीताल पर कल कल करती कोसी नदी की बहती जलधारा के मध्य में अनादि काल से स्थित मां गिरिजा देवी का मंदिर चमत्कार हैI
समस्त सजीव एवं निर्जीव वस्तुएं शक्ति ऊर्जा के कारण से ही गतिमान होती है मंदिर का अनादि काल से जलधारा में स्थिर रहना देवी शक्ति का ही प्रभाव माना जाता है। सदियों से नदी के आघात निरंतर सहने के उपरांत भी यह पवित्र स्थल अपने सिर पर माता गिरिजा मंदिर को लिए अविरत खड़ा हैI
गर्जिया देवी मन्दिर से जुड़ी रोचक कथाएं
रामनगर से लगभग 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गिरजा माता का यह मंदिर । यहां के आसपास का वातावरण काफी खूबसूरत है जो कि मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगाता है । माता यहां कोसी नदी के मध्य पर स्थित एक चट्टान पर विराजमान हैI
गिरी राज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें गिरजा के नाम से पुकारा जाता है। इस मंदिर पर माता भगवती मां वैष्णवी के रूप पर स्थित है। मंदिर के आसपास के गांव के लोग माता को गर्जिया के नाम से पुकारते हैंI
लोगों का कहना है कि पूर्व में जब मंदिर का निर्माण हुआ था उस टाइम पर माता की परिक्रमा करने शेर आया करते थे और गरजते थे तभी से वहा के लोग मंदिर को गर्जिया माता के मंदिर से भी पुकारने लगे है।
ऐसी मान्यता भगवान भैरव के निवेदन पर यह पर रुकी थी माता जिस टीले में माता विराजमान है। वो पर्वत से अलग हो कर बहते हुए आ रहा था
टीले में माता को विराजमान देख भगवान भैरव ने उनको वहा रुकने को बोला भगवान भैरव के निवेदन को स्वीकार कर माता तब से वही पर निवास कर रही है। इस लिए ही भगवान भैरव के दर्शन करने के बाद ही माता की साधना पूर्ण होती है।
धार्मिक मान्यता
गर्जिया देवी मन्दिर में दर्शन करने वाले सभी भक्तों की मुरादें माता पूरी करती है। माता के दर्शन करने आए माता के भक्त सच्ची श्रद्धा और भक्ति भाव से माता के दर्शन करे तो माता की कृपा उनके उपर सदेव बनी रहती हैं। माता गिरजा अपने भक्तों की श्रद्धा भाव को देखते हुए सभी भक्तो की मुरादें पूरी करती हैI
गर्जिया देवी मन्दिर में भक्तों का आगमन
1940 से पहले यह मंदिर की स्थति आज के जैसी नही थी। 1970 में मंदिर का पुनः निर्माण किया गया था।और आज के दिन ये देश-विदेश के पर्यटक का भी आकर्षण का केंद्र बिंदु बना हुआ है।
यह मंदिर माता पार्वती के प्रमुख मंदिरों में से एक है। कार्तिक पूर्णिमा गंगा स्नान के पावन पर्व इसके आलावा गंगा दशहरा नव दुर्गा शिवरात्रि उत्तराढ़ी में काफी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते है।
नवरात्रों में भक्तो की बहुत लंबी लंबी कतारें देखने को मिलती है यह पर जटा नारियल , लाला वस्त्र ,सिंदूर, धूप और दीप आदि को चढ़ाया जाता है और मां की वंदना की जाति हैI
यदि आप अपना उत्तराखंड का कोई भी टूर बुक करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करके बुक कर सकते हैंI
मनोकामना पूरी होने पर यह पर स्राधालु घंटे का छद्र आदि चढ़ते है वर्तमान में इस मंदिर में गिरजा माता की 4.5 फूट ऊंची लंबी मूर्ति स्थापित है। इसके साथ ही माता सरस्वती ,गणेश,बटुक भैरव की भी संगमरमर की मूर्तियां स्थापित है।
माता के मंदिर के ठीक नीचे भगवान भैरव का मंदिर बना है। भगवान भैरव के दर्शन करने के बाद ही माता की साधना पूर्ण होती है। भगवान भैरव को यह पर खिचड़ी चढ़ाई जाती है।
रामकृष्ण पांडे जी सन 1935 में इस स्थान पर आए थे पूजा प्रार्थना इत्यादि कार्य संपन्न करने लगे फिर उनके पुत्र पूर्णा चंद्र पांडे जी पुजारी के रूप में सपरिवार सेवा करते हुए आ रहे हैंI
गर्जिया देवी मन्दिर कैसे पहुंचे ?
रामनगर शहर से रानीखेत को जाने वाले मार्ग पर तकरीबन 15 किलोमीटर की दूरी में स्थित है। गिरिजा माता का दिव्य मंदिर। माता का यह मंदिर कार्बेट नेशनल पार्क से महज 10 किमी की दूर पर हैI
Similar Article
- आदि बद्री की कहानी (पंच बद्री यात्रा)
- वृद्ध बद्री मंदिर उत्तराखंड(पंच बद्री)
- भविष्य बद्री के दर्शन (पंच बद्री) उत्तराखंड
- हनुमान गढ़ी मंदिर नैनीताल उत्तराखंड
- सती कुंड क्यों प्रसिद्ध है?
- पंच बद्री कहां स्थित है
- पंच प्रयाग क्यों प्रसिद्ध है
- मध्यमेश्वर मंदिर उत्तराखंड (पंच केदार)
- कल्पेश्वर महादेव मंदिर उत्तराखंड (पंच केदार)
- रुद्रनाथ मंदिर पंच केदार में से एक
- तुंगनाथ मंदिर उत्तराखंड पंच केदार में से एक
- पंच केदार कौन-कौन से हैं मंदिरों का इतिहास