उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है Haridwar Har ki Pauri Ganga Aarti देखने के लिए बहुत से भक्तों की भीड़ लगी रहती हैI यहां पर आपको देखने के लिए अलग-अलग जगह अलग-अलग प्रकार के मंदिर मिल जाएंगे। यहां देवी देवताओं की भूमि मानी जाती है।
Haridwar Har ki Pauri-Devbhoomi Uttrakhand
यहां पर आपको हर प्रकार के देवी देवता, राक्षस सभी देखने को मिलेंगे। उत्तराखंड अपने आप में ही बहुत रहस्यमई चीजे को समाया हुआ है। उत्तराखंड सिर्फ हिंदुओं का ही राज्य नहीं है देवी देवताओं का भी राज्य है।
उत्तराखंड में हिंदू आशाओं से जुड़े धार्मिक स्थल भी मौजूद है। उत्तराखंड में चारों धाम की यात्रा केदारनाथनाथ और बद्रीनाथ जैसे धाम स्थित है। लेकिन यहां पर बहुत सारे महत्वपूर्ण स्थान और भी हैं।
जो कि अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण और महत्व रखते हैं। जैसे कि हरिद्वार में स्थित ” हर की पौड़ी” है। यह हिंदुओं के लिए प्रमुख स्थान में से एक है। माना जाता है कि हर की पौड़ी में कोई भी श्रद्धालु स्नान करता है।
तो वह मोक्ष को प्राप्त हो जाता है। यहा हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु गंगा स्नान करने आते हैं। कहा जाता है कि ‘ हर की पौड़ी ‘ में भगवान विष्णु के चरण है।
” हर की पौड़ी” का मतलब हरि के पैर अर्थात भगवान विष्णु के चरण।’हर की पौड़ी’ का अलग ही महत्व है ।कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य के भाई भर्तहरि ने गंगा नदी के तट पर कई वर्षों तक तपस्या की थी। जिसके पश्चात राजा विक्रमादित्य ने उनकी याद में घाट का निर्माण करवाया था। आज भी यहां पर आपको भर्तृहरि के नाम की गुफा भी है। कहा जाता है की तपस्या के दौरान राजा प्रीति भर्तृहरि जिन रास्ते से उतरकर गंगा नदी में स्नान करने जाते थे।
उन्हीं रास्तों पर भर्तृहरि के भाई राजा विक्रमादित्य ने सीढ़ियां बनवाई थी।उन सीढ़िओ को राजा भर्तृहरि ने का नाम दिया था।उसके बाद में इस सीढ़ी को हर की पौड़ी या हर की पैड़ी के नाम से जाने जाने लगा क्योंकि भर्तृहरि के नाम के अंत में हरि शब्द जुड़ा है। आज भी इस जगह को हर की पैड़ी या हर की पौड़ी के नाम से जाना जाता है। दूसरी और हरी का मतलब नारायण यानि भगवान विष्णु भी होता है। तो कुछ लोगों का मनना है कि यहां भगवान विष्णु के पैर पड़े थे।
इसलिए इस जगह का नाम हर की पौड़ी हो गया। यहां पर भगवान शिव वैदिक काल में यहां आए थे। भगवान विष्णु के पद चिन्ह भी यहां एक पत्थर पर अंकित है। एक मान्य के अनुसार यह भी कहा जाता है कि विष्णु भगवान के पैरों के निशान की वजह से इस स्थान को हर की पौड़ी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार हर की पौड़ी वह जगह भी है। जहां पर समुद्र मंथन के दौरान निकल गए अमृत कलश से अमृत की कुछ बंदे यहां की पौड़ी में गिर गई थी।
तब से हरिद्वार का सबसे पवित्र घाट माना जाने लगा।मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि हर की पौड़ी हरि विष्णु ,शिव जी प्रकट हुए थे। ब्रह्मा जी ने यहां पर यज्ञ भी किया था ।मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस गंगा पर नहाता है अर्थात हर की पौड़ी में नहाता है। वह मोक्ष को प्राप्त हो जाता है। वैसे तो हिंदू धर्म के अनुसार माता गंगा में स्नान करने वाले मनुष्य के पापों को धो डालती है।
लेकिन हर की पौड़ी में जो भी मनुष्य व्यक्ति स्नान करता है।वह पाप के साथ-साथ मोक्ष की प्राप्ति भी उसे प्राप्त होती है। यहां हरिद्वार में पवित्र स्थान माना जाता है। यहां पर माता की हर सुबह और शाम आरती होती है। जो कि दृश्य देखने लायक होता। यहां श्रद्धालु लाखों की तादात में आते हैं तथा माता गंगा का पवित्र जल लेकर जाते हैं। यहां देश-विदेश से यात्रियों की बहुत भीड़ उमड़ती है। सभी यहां का जल बोतलों में भरकर ले जाते हैं।
Har ki Pauri Haridwar Uttarakhand
प्रत्येक 12 वर्ष बाद जब सूर्य और चंद्र मेष राशि में और बृहस्पति कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं। तो यहां पर कुंभ का आयोजन होता है ।जो कि लोगों के भीड़ में श्रद्धालु तथा साधु ,संतों द्वारा हर की पौड़ी में स्नान करते हैं। मोक्ष की कामना की जाती है।उस समय एरोप्लेन से श्रद्धालुओं के ऊपर फूलों की वर्षा की जाती है। यह दृश्य देखने लायक होता है।यहां इतनी भीड़ हो जाती है कि यहां कदम रखना भी भारी हो जाता है।
यहां पर अलग-अलग प्रकार के साधु-संतों की भीड़ बढ़ती है।जोकि स्नान करके जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्त पाकर इस लोग से मोक्ष की प्राप्ति की ओर जाते हैं। कुछ इतिहासकारों के अनुसार हर की पौड़ी का इतिहास राजा अकबर के समय का है। हर की पौड़ी पर स्थित ब्रह्मकुंड का पवित्र घाट असल में ब्रह्म कुंड ना होकर प्राचीन समय के एक क्षत्रिय स्थल था ।यहां पर राजा मानसिंह की हत्या डाली गई थी ।इस तभी से इस क्षेत्र को समाधि क्षेत्र भी कहा जाता है।
जिस स्थान पर राजा मानसिंह की छतरी रखी गई थी। कहा जाता है वहां स्थान पहले छतरी के आकार का था। यह भी कहां जाता है कि हर की पौड़ी ब्रह्मा कुंड के बीचो-बीच स्थित है। राजा मानसिंह द्वारा निर्मित क्षत्रिय ऐतिहासिक भवनों में से एक है। इस क्षेत्र का सबसे प्राचीन निर्माण माना जाता है। यहां पर महात्माओं के साधना स्थल गुफाएं और चित्रकूट ,मठ ,मंदिर, हरि की गुफा ,नाथों के दालीचा आदि प्राचीन स्थान भी स्थित है।
यहां पर रोज लाखों लोगों की भीड़ में होती है।यहां की पूजा सुबह और शाम के देखने लायक होते हैं।जो की बहुत ही शानदार पूजा में से एक है। यहां गंगा मां की आरती चाहे बरसात हो या ठंड मौसम किसी प्रकार का हो यहां एक ही समय में पूजा प्रार्थना की जाती है। प्रतिदिन सूर्यास्त के समय हरिद्वार की इस पावन नगरी में साधु सन्यासी द्वारा मां गंगे की आरती की जाती है तथा दो जोर-जोर से माता गंगा के जयकारों की आवाज आती है।
दीपक को की रोशनी से जगमगाता यह क्षेत्र बहुत ही सुंदर मंत्र मुक्त दुनिया से घुसता हुआ है। गंगा का यह पवित्र घाट अत्यंत अद्भुत दृश्य देखने लायक होता है।यहां की सुंदरता देखते ही बनती है। देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु इस पावन पर्व का लुफ्त उठाने आता है।देव दिवाली में यहां करोड़ की संख्या में दीपक जलाकर मां गंगा को सजाया जाता है।पूरे घाटों को सजाया जाता है तथा पूरा हरिद्वार जगमगाता आता हुआ प्रतीत होता है।
अगर आप हरिद्वार यात्रा करने जा रहे हैं।आप यहां पहली बार आ रहे हैं। तो आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सबसे पहले जब भी आप हर की पौड़ी में यात्रा करने जाएं। तो शाम की और सुबह की आरती जरूर देखें। “हर की पौड़ी” घाट पर गंगा नदी का बहाव काफी अधिक होता है। इसलिए डूबने का डर लगा रहता है।तो कभी भी बेरी केंद्र को पार ना करें। नदी में डुबकी लगाते समय अपने कपड़े और सामान को सेफ जगह पर रख दें। कई बार धोखाधड़ी और सामान गायब होने की घटनाएं भी यहां सामने आती हैं।
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त्योहार और पर्वों के दौरान यहां काफी भीड़ होती है। इसलिए यदि आप इस दौरान आ रहे हैं।तो थोड़ा सतर्क और सावधान रहें और अगर आपके साथ बच्चे हैं तो और भी विशेष ध्यान रहे। क्योंकि यहां के मेले में बच्चों की खोने की शिकायत आम सिखाते हो गई है।कुंभ के मेले में यहां लाखों की भीड़ में लोग आते हैं। पैर रखने की भी जगह हरिद्वार में नहीं होती है। जहां पर लोग भोले भाले लोगों का फायदा भी उठाते हैं। कोई भी पर्यटक हर की पौड़ी में घूमने आता है
तो हर की पौड़ी में किसी भी प्रकार का कोई भी शुल्क या टिकट नहीं लिया जाता है। इस बात का ध्यान रखें।लोग झूठ बोलकर टिकट ले लेते हैं और भाग जाते हैं। पौड़ी के आसपास घूमने के लिए बहुत सारी जगह है। यहां पर आपको देखने के लिए मनसा देवी मंदिर, क्रिस्टल वर्ल्ड ,भारत माता का मंदिर ,सप्त ऋषि आश्रम ,पतंजलि योगपीठ,शिवलिंग नीलकंठ महादेव मंदिर ,राजाजी नेशनल पार्क ,मनसा देवी का मंदिर, चंडी देवी मंदिर ,माया देवी का मंदिर, अंजनी मंदिर, पवन मंदिर ,श्रीयंत्र मंदिर आदि।
जैसे अलग-अलग प्रकार के मंदिर देखने को मिलेंगे और सबसे खास मंदिर सतीकुंड मंदिर है।जो की दक्ष मंदिर के नाम से प्रचलित है।जहां माता सती ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। शिव जी के ससुराल के नाम से भी काफी प्रसिद्ध स्थान है। तो आप कभी भी हरिद्वार जाए तो इन जगहों पर जरूर घूमे।
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