कैंची धाम हनुमान जी और उनके परम भक्त नीम करोली बाबा के लिए प्रसिद्ध हैI आईए जानते हैं की कैंची धाम इतना प्रसिद्ध क्यों हैI
कैंची धाम इतना प्रसिद्ध क्यों है ?
ये आश्रम बाबा नीम करोली महाराज जी के नाम से प्रसिद्ध है यहां कोई भी व्यक्ति अपनी मुराद लेकर जाता है तो वो खाली हाथ वापस नही जाता है।
ऐसा माना जाता है की बाबा हनुमान जी के अवतार थे उनके चमत्कारो और हनुमान जी की कृपा से कैची धाम प्रसिद्ध है Iचमत्कारी बाबा का रहस्य
ऐसा माना जाता है की बाबा हनुमान जी के अवतार थे उनके चमत्कारो और हनुमान जी की कृपा से कैची धाम प्रसिद्ध है उत्तराखंड के नैनीताल के पास बाबा नीम करोली पहली बार 1961 में यह आय
और अपने एक पुराने मित्र पूर्णानाद जी के साथ आश्रम बनाने का विचार किया और 15 जून 1964 मैं कैची धाम की स्थापना की हर साल 15 जून को केची धाम में स्थापना दिवस के अवसर पर मेले का आयोजन किया जाता है I
इस अवसर पर बाबा के देश –विदेश से लाखो भक्त आते है। वैसे तो बाबा के और भी आश्रम है पर सबसे प्रसिद्ध आश्रम कैची धाम है यह बाबा का समाधि स्थल हैI अब तक आपको पता चल गया होगा की कैंची धाम इतना प्रसिद्ध क्यों हैI
नीम करोली बाबा की कहानी | कैंची धाम
नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था I ग्रामअकबरपुर, जिला फर्रुखाबाद (उत्तरप्रदेश) से मन में राम नाम जपते हुए तप करने निकले और इसी सादगी में तप करते हुए
वह लक्ष्मीनारायण शर्मा से बाबा श्री नीम करोली महाराज बने बाबा अपनी सादगी से ही लोगो को आकर्षित कर देते थे इन्होंने अपने आप को समाज से और दिखावे से दूर रखा।
उत्तरप्रदेश के अकबरपुर गांव में उनका जन्म 1900 के आसपास हुआ था। उनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था। 11 वर्ष की उम्र मे उनका विवाह हो गया था। 17 वर्ष की उम्र में ही उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी
बाबा नीम करौली महाराज के दो पुत्र और एक पुत्री हैं। ज्येष्ठ पुत्र अनेक सिंह शर्मा अपने परिवार के साथ भोपाल में रहते हैं, जबकि कनिष्ठ पुत्र धर्म नारायण शर्मा वन विभाग में रेंजर के पद पर रहे थे।
हाल ही में उनका निधन हो गया है बाबा नीम करौली जी ने 1958 मे उन्होंने अपने घर को त्याग दिया था और पूरे उत्तर भारत में एक साधु के रूप में भ्रमण करने लगे।
उस दौरान लक्ष्मण दास हांडी वाले बाबा ,चमत्कारी बाबा और तिकोनिया वाले बाबा नाम से जाने जाने लगे गुजरात के ववानिया मोरबी में तपस्या की तो वहां उन्हें तलईया बाबा के नाम से पुकारने लगे ।
बाबा कहते थे की पूरी दुनिया को प्यार करो भगवान अपने आप मिल जायेंगे उन्होंने अपने शरीर का त्याग 11 सितंबर 1973 में वृंदावन में किया।
नीम करोली बाबा की महिमा | कैंची धाम
वैसे तो देखा गया है बाबा नीम करोली के देश विदेश में अनेखो भक्त है और बाबा नीम करोली जी का आशीर्वाद भक्तो पर सदेव बना रहता है I
नीम करोली बाबा के भक्तों में रिचर्ड एलपर्ट हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ,एप्पल के मालिक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के फाउंडर मार्क जुकरबर्क और हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रॉबर्ट्स का नाम लिया जाता है।
कहा जाता है कि इस धाम की यात्रा करके उनका जीवन बदल गया I जूलिया रॉबर्ट्स ने बाबा की तस्वीर देखी और तस्वीर से ही इतना ज्यादा संबोहित हो गई की उन्होंने हिंदू धर्म अपना लिया I
रिचर्ड एलपर्ट (रामदास) हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और कैमिस्ट भारत घूमने आए थे I हिमालय घूम रहे थे तो उन्हें किसी ने नीम करोली बाबा और उनके चमत्कारों के बारे में बताया
एक उत्सुकता के साथ वो बाबा के आश्रम कैची धाम में गय एक रात को आश्रम मे बैठ कर तारो को देख रहे थे तो बाबा उनके पास आया और बोलो क्या हुआ बेटा तुम तारो मै अपनी मां को देख रहे हो मुझे पता है तुम्हारी मां कैंसर से मरी थी
जब ये सुना रिचर्ड एलपर्ट बाबा से चरणो में गिर गए सरेंडर कर दिया उसके बाद से ही रिचर्ड एलपर्ट हो गए राम दास। उन्होंने एक पुस्तक Be Here Now भी लिखी जिसमे बाबा नीम करोली और हनुमान जी का वर्णन किया है I
स्टीव जॉब्स 1974 में भारत आए उन्होंने नीम करोली बाबा के बारे मे सुना तो वो कैची धाम गए तब तक बाबा को मृत्यु हो चुका थी उन्होंने आश्रम में ही काफी वक्त बिताया और उसके बाद जब वो वापस गए तो उन्होंने apple की शुरुआत की ओर आप देख रहे है apple आज कहा हैI
स्टीव जॉब्स ने फिर मार्क जुकरबर्ग (फेसबुक के फाउंडर )को भी बताया जब तुम भारत जाओ तो नीम करोली बाबा के आश्रम जरूर जाना मार्क जकरबर्ग जब भारत आए तो उन्होंने मोदी जी से भी बोला की मुझे नीम करोली बाबा के आश्रम जाना है
और एक दिन के लिए आश्रम में आए और इतना अच्छा लगा की 2 दिन नीम करोली बाबा की भक्ति की एक बार बाबा फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट में सफर कर रहे थे।
जब टीटी आया तो बाबा के पास टिकट नहीं था। तब बाबा को अगले स्टेशन नीम करोली में ट्रेन से उतार दिया। बाबा थोड़ी दूर पर ही बैठ गए। ट्रेन को चलाने के लिए हरी झंडी दिखाई परंतु ट्रेन का इंजन बंद हो गया और स्टार्ट ही नही हुआ ।
बहुत प्रयास करने के बाद भी जब ट्रेन नहीं चली लोकल मजिस्ट्रेट जो बाबा को जानता था उसने टीटी को बाबा से माफी मांगने और उन्हें सम्मान पूर्वक अंदर लाने को कहा।
ट्रेन में सवार अन्य लोगों ने भी मजिस्ट्रेड का समर्थन किया। टीटी ने बाबा से माफी मांगी और उन्हें सम्मान के साथ ट्रेन में बैठाया। बाबा के ट्रेन में बैठते ही ट्रेन चल पड़ी। तभी से बाबा का नाम नीम करोली पड़ गया।
नीम करोली वाले बाबा के सैंकड़ों चमत्कार के किस्से हैं। नीम करोली बाबा के बारे में जानकारी आपको यह पता चल गया होगा की कैंची धाम इतना प्रसिद्ध क्यों हैI
कैची धाम जाने का रास्ता
पहाड़ों के बीच में एक सुंदर नदी के पास में स्थित एक आश्रम कैची धाम। आप अगर उत्तराखंड के बाहर से कैची धाम बाबा नीम करोली के दर्शन के लिए ट्रेन से आते है तो आपका लास्ट स्टेशन कदगोदम में पड़ेगा वह से आपको प्राइवेट टैक्सी करनी पड़ेगी
कैची धाम कादगोदम से 37 km दूर नैनीताल के पास स्थित है 15 जून को स्थापना दिवस के अवसर पर मेले का आयोजन होता है और भक्तो की भीड़ रहती हैI
1 जनवरी को नव वर्ष के उपलक्ष में भी सभी भक्त बाबा के अशिवाद के साथ साल की शुरुआत करना चहाते है तो भक्तो की भीड़ रहती है बाबा नीम करोली हनुमान जी के अंश थे इसलिए बहुत से भक्त मंगलवार को ही बाबा के दर्शन करने आते है
बहुत से भक्तो का कहना है की अगर आप कैची धाम जाते है तो वहा आपको एक पॉजिटिव एनर्जी फील होगी कैची धाम जाने से पहले एक चीज का ध्यान रखे की आपने मदिरा वो मांसाहार का सेवन न किया हो वैसे तो एक दिन पहले भी लस्सन प्याज या कुछ अशुद्ध सेवन न करे ।
FAQs
नीम करोली बाबा इतना प्रसिद्ध क्यों है?
17 वर्ष की उम्र में ही उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी नीम करोली बाबा ने अपने जीवन में 108 से भी अधिक हनुमान जी के मंदिर बनाएं आगे हनुमान जी को अपना गुरु मानते थे इसलिए वे प्रसिद्ध है I
कैंची धाम कब जाना चाहिए?
15 जून को कैंची धाम में स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है इस समय यहां पर मेला लगता है इस दिन की बहुत मान्यता हैI भीड़ ज्यादा रहती है लेकिन फिर भी आपको इसी दिन दर्शन के लिए जाना चाहिए I
नीम करोली बाबा का स्थान कहाँ है?
नीम करोली बाबा का स्थान कैंची धाम में है जो कि नैनीताल के पास पड़ता है बाबा की समाधि भी यहीं पर हैI
बाबा नीम करौली की मृत्यु कब हुई?
11 सितंबर 1973 को नीम करोली बाबा ने अपने शरीर का त्याग किया I
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