Laxman Jhula History in Hindi

Laxman Jhula गंगा नदी पर एक शानदार पुल है। यह बहुत प्रसिद्ध और पुराने पुलों में से एक है। यह 2020 में बंद कर दिया गया था। लक्ष्मण झूले का निर्माण ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा करवाया गया।

Laxman Jhula History in Hindi

यह झूला 5 नवंबर 2020 तक, इस पुल पर पैदल यात्रियों को पैदल चलने पर रोक लगा दिया गया था और इसके निर्माण होने तक के लिए स्थाई रूप से बंद करने की तैयारी की गई थी।दोनों तरफ मोटरसाइकिल और स्कूटर सहित वाहनों का आवागमन भी रोक दिया गया था।

कहां जाता हैं कि यह पुल हिंदू देवता लक्ष्मण जो की राम के भाई थे।उन्होंने जूट की रास्सियों पर गंगा को पार किया था। जहां यह पुल पाया जाता है‌।लक्ष्मण झूला 1929 में बनकर तैयार हुआ था। जो की ईस्ट इंडियन कंपनी द्वारा बनाया गया था। यह पुल पश्चिम की ओर के तल पर दो पट्टिया मौजूद है।जिन पर लिखा है।

Laxman Jhula
उत्तर प्रदेश का पहला जीपेबल सस्पेंशन ब्रिज स्पैन
-450 फीट
कैरेजवे – 6 फीट

इस पुल का निर्माण 1927 से 1929 में यूपीडब्लूडीके द्वारा किया गया था। जो की भयंकर बाढ़ में टूट गया।इस पुल को 11 अप्रैल 1930 को यातायात के लिए भी खोला गया था। जिसमें कुछ अधिकारी शामिल थे।

  1. मुख्य अभियंता – पीएच टिलार्ड
  2. अधीक्षण अभियंता – ईएच कॉर्नेलियस
  3. कार्यकारी अभियंता – सीएफ हंटर
  4. सहायक अभियंता जगदीश प्रसाद, अवध नारायण।
  5. ओवरसियर – बाला राम

दूसरी पट्टी का में लिखा है-
लक्ष्मण झूला पुल की लंबाई 450 फीट,
औसत ग्रीष्मकालीन जल स्तर से ऊपर सड़क की ऊंचाई – 59 फीट

11 अप्रैल 1930 को गवर्नर मैल्कम हैली CCIEKCSI द्वारा यातायात के लिए खोला गया। इस पुल का निर्माण लोक निर्माण विभाग के द्वारा 1927 से 1929 के बीच किया गया था।जो राय बहादुर सूरजमल झुनझुनवाला, राय बहादुर शिव प्रसाद गुलशन के पिता का उपहार था। इस पुल को पार करने के लिए कभी भी टोल नहीं दिया जाता है।

Laxman Jhula History in Hindi
Laxman Jhula History in Hindi

Laxman Jhula Naam ki History

यह पुल दो गांव को जोड़ता है। जो कि टिहरी गढ़वाल जिले में तपोवन और पौड़ी गढ़वाल के जिले में जौको दोनों को आपस में जोड़ता है। वैसे तो इस झूले का नाम सुनकर ही आपको भगवान राम के भाई लक्ष्मण की याद आ जाती होगी।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि एक बार भगवान राम के भाई लक्ष्मण ने इस जगह पर गंगा को पार किया था। जहां पुल का निर्माण किया गया है।

मान्यताओं के अनुसार लक्ष्मण जी ने मात्र दो रस्सी के सहारे नदी को पार किया था। बाद में इस रस्सी की जगह, नदी पार करने के लिए पुल का निर्माण कराया गया। जिसका नाम लक्ष्मण झूला रखा गया।

लक्ष्मण झूला दो किनारो के बीच का सेतु है।यहां पर पर्यटकों ने इस पुल का भी लाभ उठाया है।यह पुल तारों से बनाया गया है। सबसे पहले इसे जूट की रस्सी से बनाया गया था। गंगा नदी के ऊपर बनाए यह पुल 450 फीट लंबा झूलता हुआ पुल है।शुरू में इसे जूट की रास्सियों से बनाया गया था।

लेकिन बाद में इसे लोहे के तारों से मजबूत बनाया गया। इस पर खड़े होकर आप दूर तक गंगा मां का लहलहारते हुआ जल देख सकते हैं। अब इस पुल पर कांच के पुल का निर्माण हो रहा है।नई तकनीकियों से यह बनने वाला पुल और भी ज्यादा सुंदरता का केंद्र होने वाला है।

How to Reach Laxman Jhula?

ट्रेन से जाने वालों को वहीं पर निकट ऋषिकेश रेलवे स्टेशन पर उतरना होता है।जो आदर्श नगर से लगभग 4 किलोमीटर दूरी पर है।अगर आप फ्लाइट से आना चाहते हैं।तो देहरादून में जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है।

जो कि लक्ष्मण झूले से 22 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डा पहुंचने के बाद आप लक्ष्मण झूला तक जाने के लिए वहां की लोकल बस में भी बैठ सकते हैं या फिर ऑटो रिक्शा किराए पर कर सकते हैं।

वहीं अगर आप बस से जाते हैं। तो बस आपको नेपाली फार्म फ्लाईओवर पर उतरेगी।वहीं से आप शेयरिंग ऑटो, जिसका किराया 50 से ₹100 होता है। वह कर सकते हैं या फिर पूरा ऑटो बुकिंग कर सकते हैं।जिसका किराया 700 से ₹800 होता है।आप जो चाहे वह कर सकते हैं।

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Laxman Jhula History in Hindi
Laxman Jhula History in Hindi

Why Laxman Jhula is Famous?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना गया है कि एक बार भगवान श्री राम के भाई लक्ष्मण उसे जगह पर गंगा पार कर रहे थे।जिससे यहां पर पुल का निर्माण किया गया।

मान्यताओं के अनुसार यह भी कहा जा रहा है कि लक्ष्मण जी ने इस पुल को दो रास्सियों के सहारे से पार किया था।बाद में इस रस्सी की जगह पुल का निर्माण कराया गया है।इसलिए इसका नाम लक्ष्मण झूला रखा गया है ‌।

पल के पश्चिमी किनारे पर लक्ष्मण जी का मंदिर भी उपस्थित है। कहा जाता है कि भगवान राम और लक्ष्मण ने अपने पापों को धोने के लिए अर्थात राक्षस रावण को मारने के बाद यहां स्नान किया था।

इस मंदिर में भी आपको एक बार जरूर जाना चाहिए। लक्ष्मण झूले के पास अन्य प्रमुख मंदिर हैं। जैसे नीलकंठ महादेव मंदिर ,श्री राम मंदिर जिसे आप देख सकते हैं।

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