छिपला केदार उत्तराखंड का एक ऐसा मंदिर है जहां जाने के लिए आपके अंदर साहस होना चाहिए यदि आप ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें एडवेंचर्स पसंद है या फिर ट्रैकिंग क्या शौकीन है तो यकीन मानिए यह मंदिर आपके लिए बहुत ही खास है जो एडवेंचरस से भरा हुआ हैI
छिपला केदार की कहानी
वैसे तो उत्तरांचल में घूमने के लिए बहुत ही सारी जगह है। लेकिन अगर आप देवी देवताओं की बात करें ।तो यहां पर आपको देखने के लिए अलग-अलग तथा कई प्रकार के देवी देवता मिलेंगे। यही कारण है कि उत्तराखंड को देवभूमि में भी कहा जाता है।
आज हम आपको अपने अभिलेख में छिपला केदार के बारे में बताने जा रहे हैं।जो कि बहुत ही शानदार वर्णन है।यह जानकारी हमने गांव के आसपास के लोगों के द्वारा ली है। जानकारी काफी बूढ़े लोगों से ली गई है जो वहां दर्शन करके आए हैं।तो आइए हम आपको छिपला केदार के बारे में बताते हैं।
आसपास के लोगों के अनुसार बताया जाता है कि तीन भाई एक साथ आए थे। जो कि बंगापानी पिथौरागढ़ से थोड़ा आगे की तरफ है।यह जगह मवानी दवानी गांव से सीधे सामने पहाड़ी दिखाई देती है जिसके पीछे छिपला केदार मंदिर है।
लोग यहां से पैदल छिपरा केदार की यात्रा करते हैं। यहां के आसपास के लोग छिपरा केदार के दर्शन के लिए इसी पहाड़ी से होकर जाते हैं। लोगों के द्वारा बताया जाता है कि यहां पर तीन भाई आए थे।
जिसमें छिपला केदार सबसे छोटे भाई थे। तीनों जंगल के रास्ते जा रहे थे। यह तीनों भाई कोटद्वार में आए। बीच में नदी पड़ी जिसे गंगा (गोरी नदी) कहा जाता है। उसे पार किया।कोटद्वार मंदिर के पास लोगों का कहना है कि यहां पर तीनो भाई खाना खाने के लिए रुके थे।
जब उन लोगों ने खाना खाना शुरू ही किया तो इतने में वहां मुर्गी आ गई और बोलने लगी।उस समय पर मुर्गी को अछूत माना जाता था। तब तीनो भाई ने आपस में बात हुई और उन्होंने वहां खाना खाने को इनकार करके वहां से चल दिए।
वहां से थोड़ा आगे पहुंचे वहां उन्होंने एक गुफा देखी। वहां जाकर उन्होंने खाना खाया और विश्राम किया।वहां पर लोग का कहना है कि उस गुफा को एक बार लोगों ने खुदाई करने कोशिश की तो पहाड़ हिलने लगता है
इसलिए वहां के लोग इस गुफा को नहीं छोड़ते हैं। यह गुफा प्राकृतिक रूप से बनी है या इन तीनों भाइयों ने बनाई है। यह कोई नहीं जानता पर जो भी है गुफा अद्भुत और प्राकृतिक शक्तियों से परिपूर्ण है।
आगे की और यहां के लोग बताते हैं कि तीनो भाई ने खाना खाने के बाद पानी पिया। छोटे वाले में जब पानी पिया तो पानी जिस झरने से आ रहा था। वह किसी के द्वारा झूठा हो गया था।
तो दोनों भाइयों ने कहा छिपला केदार से कहा कि तुमने यहां का झूठा पानी पी लिया है। तुम अब शुद्ध नहीं रहे।कहकर तीनों भाइयों में अनबन हो गई।दो बड़े भाई एक साथ हो गए छोटे को अकेला छोड़ दिया। रात को अनबन होने के बाद तीनों सो गए।
जब छोटे वाले की नींद खुली तो उसने पाया कि दोनों भाई उसे अकेला छोड़ कर जा चुके हैं। छिपला केदार को बहुत ही गुस्सा आया।उन्होंने सोचा कि मेरे संग इतना छल कपट मेरे भाइयों ने मेरे संग किया है।
इतना जुल्म मेरे ऊपर किया है।तब उन्होंने वही उनको श्राप दे दिया कि तुम जहां पर भी हो वहीं पत्थर की मूरत बन जाओगे। उनके इस श्राप के कारण दोनों भाई घनघुरा ( Ghanghura) के जंगलों में मूर्ति बन गए।
वह मूर्ति आज भी दोनों भाई की वहां पर है। जो कि बंदूक लिए खड़े हैं। लोगों की ऐसी मान्यता भी है कि अगर श्री केदार को पूजने वाले दो भाइयों की पूजा के लिए जाते हैं तो बीमार हो जाते हैं।जो छिपला केदार को मानता है
उन दोनों भाइयों की पूजा नहीं कर सकता और जो दोनों भाइयों की पूजा करता है वह छिपला केदार पूजा नहीं कर सकता। तीनों भाइयों में इसीलिए दोनों के अलग-अलग भक्त हैं।
लोग दर्शन करने के लिए चिपला केदार पैदल जाते हैं तथा यहां औरतों का जाना मना है। लोगों का कहना है कि पहले औरतें भी यहां जाया करती थी लेकिन एक बार किसी औरत को महीना अर्थात पीरियड हो गए। वह तब भी वहां चली गईI
और उसने वहां चिपला केदार जी को छू दिया तब से औरतों का वहां जाना रोक लगा दिया गया है। क्योंकि महीने होने पर औरतों को शुद्ध नही माना जाता है तथा पहाड़ों में देवी देवता भूमि होने के कारण बहुत ही ज्यादा छुआछूत किया जाता है।
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यही कारण है कि औरतों का वहां जाना बंद हो गया है इसीलिए कोई भी औरत छिपला केदार नहीं जाती है।छिपला केदार जाने वाले लोगों का बताना है कि वहां पर गुफा के बाहर एक छोटी सी तालाब है।
जिसमें पानी जमीन के नीचे से आता रहता है और गजब की बात है कि वह पानी कभी खत्म ही नहीं होता है। पानी भरा ही रहता है,ना पानी बहता है ,ना कहीं गिरता है।
लोग अपने खाना पीना बना कर वहां भजन कीर्तन करने के बाद जितना पानी उपयोग करना चाहे उपयोग करते हैं लेकिन वह पानी कभी ना तो कम होता है।ना ही बढ़ता है। यह चमत्कार नहीं हो तो और क्या है।
छोटी सी गुफा है लेकिन यहां पर जितने भी लोग जाते हैं गुफा के अंदर सभी आ जाते हैं यह चमत्कार यहां जी मान्यता को और भी शानदार बनाता है। लोग दूर-दूर की यात्रा करने आते हैं ।
छिपला केदार कहां है
छिपला केदार उत्तराखंड के पिथौरागढ़ डिस्ट्रिक्ट के धारचूला-मुनस्यारी में हैI पूरा मुनस्यारी घूमने लायक है लेकिन छिपला केदार की बात ही अलग है यहां पर जाने के लिए लगभग 55 किलोमीटर चलना पड़ता हैI नीचे गूगल लोकेशन दी गई हैI
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निष्कर्ष
छिपला केदार एक आस्था का केंद्र है इसके साथ-साथ यहां की खूबसूरती शायद ही आप नहीं देख पाएंगे क्योंकि शहरों वाली भीड़ भाड़ में यह सब चीजें कहां ही देखने को मिलती हैI
वह व्यक्ति जिन्हें ट्रैकिंग पसंद है उन्हें यहां अवश्य आना चाहिए देवभूमि की खूबसूरती को देखना चाहिए क्योंकि यह एक अभिन्न अंग है हमारे देश काIयहां आकर पिथौरागढ़ में ही आपको मां हाट कालिका जाने का मौका मिलता है इसके साथ ही कोटगारी देवी मंदिर भी यहीं पर हैI
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