Gangotri Temple उत्तराखंड के चार धामों में से एक धाम है।जो कि मां गंगा को समर्पित है। यह मंदिर उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार धरती पर मां गंगा का जिस स्थान पर पहला कदम पड़ा वह स्थान गंगोत्री है। जो कि गंगोत्री तीर्थ के नाम से जाना जाता है।
Gangotri Temple in Hindi
गंगोत्री के अलावा चार धाम में यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ हैंI यह चार धाम की यात्रा का दूसरा पवित्र पड़ाव है।यमुनोत्री धाम के बाद गंगोत्री धाम जाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि यमुनोत्री का जल लेकर तथा यहां गंगोत्री से माता गंगा का जल लेकर केदारनाथ जाना चाहिए। वहां शिवजी पर यह जल चढ़ाना चाहिए।
पौराणिक कथाएं व धार्मिक मान्यताएं
Gangotri Temple हिंदुओं का एक बहुत ही पवित्र तीर्थ स्थानों में से एक है गंगोत्री मंदिर भागीरथी नदी के तट पर स्थित है।
गंगा का मंदिर, सूर्य ,विष्णु और ब्रह्मा कुंड आदि पवित्र स्थान आपको यही देखने को मिलेंगे। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री रामचंद्र के पूर्वज रघुकुल के चक्रवर्ती राजा भागीरथ ने अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए भगवान शिव जी का प्रचंड तपस्या की थी।
जिसके फलस्वरूप भागीरथ ने गंगा मां को इस जमीन पर बुलाया था। यही वह जगह है। जहां पर देवी गंगा ने इस स्थान पर स्पर्श किया था। यहीं पर शंकराचार्य ने गंगा देवी की एक मूर्ति भी स्थापित की थी। इसी जगह गंगोत्री मंदिर का निर्माण गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा के द्वारा 18 वीं शताब्दी में निर्मित किया गया। गंगोत्री धाम के इतिहास में यह भी कहा जाता है कि जयपुर के राजा माधव सिंह द्वितीय ने बीसवीं शताब्दी में मंदिर की मरम्मत करवाई थी।
यदि आप अपना उत्तराखंड का कोई भी टूर बुक करना चाहते हैं तो यहां क्लिक करके बुक कर सकते हैंI
वर्तमान समय में गंगोत्री मंदिर का पुनः निर्माण जयपुर राजघराने के राजा माधो सिंह ने बीसवीं शताब्दी में कराई। गंगोत्री मंदिर सफेद ग्रेनाइट के चमकदार पत्थरों से निर्मित है। जो की बहुत ही सुंदर दिखती है। शिवलिंग के रूप में आपको देखने के लिए एक नैसर्गिक चट्टान भागीरथी नदी में जलमग्र है।यह दृश्य बहुत ही सुंदर और आकर्षक दिखाई देता है। नैसर्गिक चट्टानों के दर्शन से देवी शक्ति का अनुभव लोगों के द्वारा होता है। जब गंगोत्री मे शाम के समय पानी का बहाव कम हो जाता है या स्तर कम हो जाता है।
उस समय पवित्र शिवलिंग के दर्शन होते हैं। जो गंगोत्री नदी में जलमग्र है। पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि भगवान शिव जी इस जगह में अपनी जटाओं को फैला कर बैठ गए थे।उन्होंने माता गंगा को अपने जटाओ मे लपेट लिया था ताकि बहाव बहुत तेज ना हो जाए। यहां हर वर्ष मई से लेकर अक्टूबर के महीने में गंगा मां के दर्शन के लिए बहुत भीड़ लगती है। क्योंकि मई से अक्टूबर के बीच चारों धाम के द्वार खुले होते हैं। श्रद्धालुओं चार धाम की यात्रा के लिए उत्तराखंड आते हैं तथा मंदिरों में दर्शन के लिए बहुत ही भारी मात्रा में भीड़ लगती है।
यह भी पढ़ें:-
- Yamunotri Temple History(यमुनोत्री धाम का इतिहास):देवभूमि उत्तराखंड के चार धाम में से एक
- Kedarnath Mandir महादेव का प्रिय धाम
FAQs
गंगोत्री मंदिर के बारे में क्या खास है?
गंगोत्री में मां गंगा का मंदिर है यही पर मां गंगा भागीरथी के रूप में अवतरित हुई थीI
केदारनाथ से गंगोत्री कितनी दूर है?
केदारनाथ से गंगोत्री का डिस्टेंस लगभग 400 किलोमीटर का हैI
गंगोत्री जाने का सबसे अच्छा समय क्या है?
गंगोत्री जाने का सबसे अच्छा समय तब है जब चारों धाम खुले हो यह समय लगभग मई से नवंबर के बीच में होता हैI
Similar Article:
- आदि बद्री की कहानी (पंच बद्री यात्रा)
- वृद्ध बद्री मंदिर उत्तराखंड(पंच बद्री)
- भविष्य बद्री के दर्शन (पंच बद्री) उत्तराखंड
- हनुमान गढ़ी मंदिर नैनीताल उत्तराखंड
- सती कुंड क्यों प्रसिद्ध है?
- पंच बद्री कहां स्थित है
Latest Post:
- Best Places to Visit in Champawat in Hindi
- चमोली में खाई में गिरी कार, तीन लोगों की मौत, मृतकों की पहचान बद्री प्रसाद…
- उत्तराखंड के आठ जिमनास्ट पहली बार यूपी में दिखाएंगे अपना जलवा, 20 से होगा आयोजन…
- फूलदेई त्यौहार: उत्तराखंड का प्रसिद्ध लोक पर्व
- उत्तराखंड का राज्य पशु क्या है?
- उत्तराखंड का राज्य पुष्प क्या है?
- उत्तराखंड में कितने जिले हैं?
- UCC बिल क्या होता है? उत्तराखंड में क्यों लागू हुआ?
- घुघुती त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
- आदि बद्री की कहानी (पंच बद्री यात्रा)
- वृद्ध बद्री मंदिर उत्तराखंड(पंच बद्री)
- भविष्य बद्री के दर्शन (पंच बद्री) उत्तराखंड