केदारनाथ

केदारनाथ मंदिर पंच केदार का सबसे प्रमुख धाम है हिंदुओं की आस्था का एक  प्रमुख मंदिर है जो कि भगवान शिव को समर्पित हैI यह देव भूमि उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में हैI केदारनाथ मंदिर वर्ष में केवल 6 महीने खुला रहता है इस क्षेत्र में बहुत अधिक बर्फ पड़ने के कारण इसे  6 महीने के लिए बंद रखा जाता हैI असंख्य भक्तों की भीड़ यहां हर दिन लगी रहती हैI

केदारनाथ मंदिर का इतिहास

स्कंद पुराण के अनुसार एक बार केदार क्षेत्र के बारी में माता पार्वती ने शिवजी से पूछा। तब शिवजी ने उन्हें बताया कि केदार क्षेत्र उन्हें बहुत ही ज्यादा पसंद है तथा बहुत ही प्रिय है। वे यहां पर अपने गणों के साथ निवास करते हैं।इस क्षेत्र में वह तब से रहते हैं। जब से सृष्टि की रचना के लिए उन्होंने ब्रह्मा के रूप धारण किया था।

Kedarnath Mandir
Kedarnath Mandir

स्कंद पुराण में स्थान की बहुत ही ज्यादा मान्यता तथा महिमा बताई गई है। इसमें यह भी वर्णन मिलता है कि एक बहेलिया था। जोकि हिरण का मांस बहुत ज्यादा खाता था। उसे हिरण का मांस बहुत ही ज्यादा पसंद था। एक बार वह शिकार करने के लिए केदार क्षेत्र में आया।

पूरे दिन घूमने तथा भटकने के बाद उसे कोई शिकार नहीं मिला। शाम के समय नारद मुनि इस जगह में आए तो बहेलिया ने दूर से उन्हें हिरण समझ कर उन पर बाढ़ चलाने के लिए तैयार हो गया।लेकिन जब तक वह बाण चलाता सूर्य पूरी तरह डूब गया था। अंधेरा होने पर उसने देखा की एक सांप मेंढक को निकल रहा है।

मरने के बाद मेंढक भगवान शिव रूप में बदल गए तथा इसी प्रकार बहेलिया ने देखा कि हिरण को शेर ने मार दिया। मरा हुआ हिरण शिव गणों के साथ शिवलोक जा रहा है। यह सब नजारे देखने के बाद बहेलिया आश्चर्य में पड़ गया। उसी समय नारद मुनि बहेलिया के सामने ब्राह्मण के रूप में आए।

Kedarnath Mandir
Kedarnath Mandir

बहेलिया ने नारद मुनि से इस अद्भुत दृश्य के बारे में पूछा। नारद मुनि ने उसे समझाया कि यह बहुत ही पवित्र जगह है। इस स्थान में मरने के बाद पशु- पक्षियों को भी मुक्ति मिल जाती है। यह सुनकर बहेलिया को अपने पाप कर्मों की याद आई तो उसने याद आया कि उसने किस प्रकार पशु पक्षियों की हत्या की है।

बहेलिया ने अपनी मुक्ति का नारद मुनि से उपाय पूछा। नारद मुनि से शिव का ज्ञान प्राप्त करके बहेरिया केदार क्षेत्र में रहकर शिव भगवान की उपासना में लीन हो गया। उसकी मृत्यु के बाद उसे शिवलोक प्राप्त हुआ।केदारनाथ के विषय में शिवपुराण में वर्णित है कि नर और नारायण नाम के दो भाइयों ने भगवान शिव की पार्थिक मूर्ति बनाकर उनकी पूजा आराधना की।

भगवान शिव के ध्यान में लगे रहते थे। इन भाइयों की पूजा ,प्रार्थना तथा तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इनके सामने साक्षात प्रकट हुए।भगवान शिव ने इनसे वरदान मांगने को कहा। तो इन दो भाइयों ने जन कल्याण की भावना से शिव भगवान से वरदान मांगा कि इस क्षेत्र में जन कल्याण हेतु आप सदा उपस्थित रहे।

इसी वरदान से भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में यहां प्रकट हुए। Kedarnath Mandir के बारे में पांडव से जुड़ी एक कथा प्रचलित है। जो कि पुराणों की प्राप्त हुई है कि युद्ध के पश्चात अपने भाइयों बंधुओं को अपने हाथों से मारने के पश्चात उन्हें पश्चाताप हो रहा था।तो इसका प्रायश्चित करने के लिए पांडव इस जगह आए।

वे इस पाप से मुक्ति होना चाहते थे। इस पाप का समाधान जब उन्होंने वेदव्यास जी से पूछा तो उन्होंने कहा कि अपने भाई बंधुओं की हत्या का पाप से मुक्ति तभी मिल पाएगा।जब भगवान शिव इस पाप से मुक्ति प्रदान करेंगे।

Kedarnath Mandir
Kedarnath Mandir

शिव भगवान पांडवों से प्रसन्न नहीं थे। जब पांडव विश्वनाथ के दर्शन के लिए काशी पहुंचे।तब भगवान शिव प्रकट नहीं हुए। शिव भगवान को ढूंढते हुए पांचो पांडव केदारनाथ पहुंचे। पांडवों को आता देखकर। शिवजी ने  बैल का रूप धारण कर लिया तथा बैलों के झुंड में शामिल हो गए।

शिवजी की पहचान करने के लिए भीम एक गुफा के पास पैर फैलाकर खड़े हो गए। सभी बैल उनके पैरों के बीच में से होकर निकलने लगे। लेकिन बैल बने भगवान शिव ने पैर के बीच से जाना स्वीकार नहीं किया। इससे पांडवों ने शिव भगवान को पहचान लिया।

इसके बाद शिव भगवान वहां भूमि में गायब होने लगे। तब बैल बने भगवान शिव को भीम ने पीठ की तरफ से पकड़ लिया। भगवान शिव पांडवों की भक्ति तथा दृढ़ निश्चय को देखकर प्रकट हो गए तथा उनको इस पाप से मुक्त कराया। यहां अरे 1 मिनट रुक आज भी द्रौपदी के साथ पांचों पांडवों की भी पूजा होती है। यहां पर शिव भगवान की पूजा बैल के पृष्ठ भाग के रूप में तभी से होती हुई आ रही है।

केदारनाथ मंदिर कपाट खुलने का समय (2025)

केदारनाथ मंदिर के कपाट खोलने के लिए शिवरात्रि के दिन ही मुहूर्त निकाला जाता है यह लगभग 13-14 अप्रैल यानी बैसाखी के बाद का ही  होता हैI केदारनाथ के खुलने का कोई फिक्स दिन नहीं हैI खुलने के बाद यह लगभग 6 महीने तक खुला रहता हैI 6 महीने के भीतर भक्त कभी भी दर्शन के लिए जा सकते हैंI

Kedarnath Mandir
Kedarnath Mandir

केदारनाथ मंदिर कपाट बंद का समय (2025)

जिस प्रकार केदारनाथ मंदिर के कपाट खोलने के लिए मुहूर्त निकाला जाता है उसी प्रकार उनको बंद करने के लिए भी एक विशेष मुहूर्त निकाला जाता है जो लगभग 15 नवंबर से पहले का ही होता हैI 15 नवंबर तक का  केदारनाथ के कपाट को बंद कर दिया जाता हैI इस समय यहां बहुत बर्फबारी होती है इसलिए इन्हें बंद रखा जाता है उसके बाद यह अप्रैल में खोले जाते हैंI 

केदारनाथ मंदिर रजिस्ट्रेशन

बात करें केदारनाथ मंदिर यात्रा के रजिस्ट्रेशन की तो सबसे पहले बता दें कि यहां पर कौन आवेदन नहीं कर सकताI  13 साल से कम उम्र के बच्चे यहां पर आवेदन नहीं कर सकते इसके अलावा 75 साल से अधिक उम्र के लोग भी यहां पर आवेदन नहीं कर सकतेI  गर्भवती महिलाओं  का रजिस्ट्रेशन भी नहीं होताI अब बात रजिस्ट्रेशन की तो यहां पर रजिस्ट्रेशन के लिए दो से तीन प्रकार के विकल्प मौजूद हैं जिसमें आप ऑनलाइन या फिर ऑफलाइन कर सकते हैंI

  • 8394833833 इस नंबर पर व्हाट्सएप करके आप रजिस्ट्रेशन कर सकते हैंI
  • टोल फ्री नंबर 01353520100 पर बात करके भी आप रजिस्ट्रेशन कर सकते हैंI
  • https://registrationandtouristcare.uk.gov.in/ पर आप डायरेक्ट ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं या फिर इसका मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं जो कि  टूरिस्ट  केयर उत्तराखंड नाम से हैI 
  • ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए जब आप सोनभद्र पहुंच जाते हैं तो ही कर सकते हैंI

 पर्यटक कृपया ध्यान देंI  यह सारी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया चाहे वह ऑफलाइन हो या ऑनलाइन हो बिल्कुल फ्री होती हैI  तो इसके लिए किसी को भी रुपए देने से बचेंI 

Kedarnath Mandir
Kedarnath Mandir

कोई भी व्यक्ति जिन्हें भी अपने सनातन धर्म में विश्वास हो उन्हें यहां अवश्य ही एक बार आना चाहिएI देवभूमि में आकर उन्हें केदारनाथ के अलावा भी बहुत से ऐसे धार्मिक स्थलों  दर्शन होंगे जिनसे उनका जीवन सफल हो जाएगाI इसीलिए आपसे निवेदन है कि आप यहां आए और केदारनाथ मंदिर के साथ साथ Patal Bhuvaneshwar, कैची धाम, Chipla Kedar, छोटा कैलाश मंदिर और कोटगारी भगवती मंदिर जैसे भव्य मंदिरों  के दर्शन करेंI धन्यवाद!

FAQs

क्या मैं अभी केदारनाथ की यात्रा कर सकता हूं?

यदि आप मई से लेकर नवंबर के बीच में ( जब मंदिर के द्वार खुले हो) आना चाहते हैं तो आप कभी भी आ सकते हैंI

क्या हम बिना पास के केदारनाथ जा सकते हैं?

अब उत्तराखंड सरकार ने केदारनाथ यात्रा के लिए पंजीकरण को अनिवार्य कर दिया है जो कि ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों प्रकार से हो सकता हैI बिना  रजिस्ट्रेशन के  केदारनाथ नहीं जा सकतेI

क्या केदारनाथ यात्रा सुरक्षित है?

 वे लोग जो भगवान में विश्वास रखते हैं  यह यात्रा उनके लिए एकदम सुरक्षित रहती हैI

क्या केदारनाथ यात्रा आसान है?

वे लोग  जो शारीरिक और मानसिक तौर पर फिट हैं यो यात्रा उनके लिए आसान  है क्योंकि यहां पर 18 किलोमीटर की पैदल यात्रा हैI हालांकि जो लोग थक जाते हैं उनके लिए भी यहां पर घोड़ा गाड़ी  की सुविधाएं होती हैI

क्या केदारनाथ 1 दिन में किया जा सकता है?

18 किलोमीटर का यह पैदल ट्रैक है तो आप को कम से कम 3 से 4 दिन लेकर यहां आना चाहिए जिससे कि आप अच्छे से दर्शन भी कर सके और थोड़ा आसपास भी घूम सकेंI

क्या केदारनाथ में ऑक्सीजन की समस्या है?

अधिक ऊंचाई होने से थोड़ा सा सांस फूलने की प्रॉब्लम हो सकती है लेकिन यहां पर ऑक्सीजन की कोई भी कमी नहीं हैI

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