Haridwar नाम से ही पता चलता है कि हरिद्वार दो शब्दों से मिलकर बना है। हरिद्वार का मतलब हरि का द्वार। वेद पुराणों में हिमालय को भगवान शिव पार्वती का निवास कहा गया है। जबकि इस हिममंडित पर्वत के प्रदेश में स्थित Haridwar( मायापुरी )को सप्तपुरियों में स्थान प्राप्त है।
Haridwar History in Hindi
वैसे तो भारत में अयोध्या ,मथुरा, मायापुरी( हरिद्वार), काशी,अवंतिकापुरी तथा द्वारावती (द्वारिका)को सप्तपुरियां कहा जाता है। यह सभी मोक्ष दाता तीर्थ हैं।
पद्मपुराण में हरिद्वार के लिए कहा गया है कि-
हरिद्वारं महापुष्यं शृणु देवर्षि सत्तम ।
यत्र गंगा बहत्येव तत्रोक्तं तीर्थमुतमम॥
अर्थात यह जगह महा पुण्य प्रदान करने वाला तीर्थ है। यहां पर महादेव, देवऋषि तथा साक्षात विष्णु का निवास है। यह तीर्थ सर्वोत्तम और महान तीर्थ में से एक है।जहां पर सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।हरिद्वार का पवित्र धाम 1,96,000 हेक्टेयर में फैला हुआ है।
यहां पर मोक्षदायिनी गंगा दाएं तट पर 29° से 28′ डिग्री उत्तरी अक्षांश तथा 78°से 10′ पूर्वी देशांतर के अंतर्गत सिंधु ताल से 294 मीटर की ऊंचाई पर तथा नील पर्वत के मध्य लंकाकर आकृति में बसा हुआ है।
यहां पर निर्मल गंगा की धारा बहती है ।जहां पर लोग इन्हें पूजने तथा स्नान करने आते हैं। पुराणों के हिसाब से कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत की कुछ बंदे हरिद्वार में गिर गई थी। इसीलिए हरिद्वार में गंगा का काफी महत्व है। कहा जाता है
जो भी भक्त यहां स्नान करता है।वह सीधा मोक्ष को प्राप्त होता है। यहां गंगा की पूजा अर्चना दृश्य बहुत ही शानदार होता है। यहां अनेक मंदिर, शक्तिपीठ, अखाड़े ,आश्रम, आध्यात्मिक ,विज्ञान के शिक्षण संस्थान है।
देश विदेश के श्रद्धालुओं के पर्यटकों का बरबस रहता है जो की आकर्षित और मगध मंत्र मुक्त का केंद्र होता है। यहां पर प्रति 12 वर्ष बाद कुंभ तथा प्रति साठे वर्ष में अर्ध कुंभ मेला लगता है। जो की बेहद ही बड़ा और यादगार मेलों में से एक है।कुंभ का मेला इतना बड़ा लगता है कि यहां पर करोड़ों की संख्या में लोग आते हैं। श्रद्धालु दूर-दूर से आकर यहां पूजा अर्चना करते हैं।गंगा मां की जय जयकार की ध्वनि पूरे आसमान में गुजारने लगती है। मानो पूरा हरिद्वार गंगे के नारे से गुज रहा हो।
भगवान शिव के उपासक इस नगर को शिव के साथ संबंध करते हुए ‘ हरद्वार ‘ तथा वैष्णव मतावलंबी ‘ हरिद्वार ‘ कहते हैं। हरिद्वार को कपिलाश्रम भी कहा जाता है। इसे पहले मायापुर के नाम से जाना जाता था। जनश्रुति है कि यहां पर देवराज इंद्र ने राजा सगर के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को कपिल मुनि के आश्रम में बाधं दिया था।हरिद्वार में घूमने के लिए पर्यटन तथा तीर्थाटन का भी द्वारा है। यहां दर्शन करने के लिए बहुत सारे स्थान है। जहां पर आप जा सकते हैं तथा घूम सकते हैं।
Haridwar Places to Visit
Har ki Pauri Haridwar
हर की पौड़ी बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध जगह है यहां पर गंगा की बाटी तेज धार में लोग जोर-जोर से माता गंगा की जयकारा लगाते हैं हर की पौड़ी के लिए कहा जाता है यहां पर साक्षात विष्णु भगवान और भगवान हरि विष्णु के चरण है इसीलिए इस जगह का नाम हर की पौड़ी पड़ा है जो भी भक्तगण यहां स्नान करते हैं वह मोक्ष को प्राप्त होते हैं
इतिहासकारों के अनुसार 256 वर्ष पहले उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने अपने भाई राजा भीतरी के वैराग्य धारण करने पर शिव लिंग की एक छोटी से ब्रह्मपुत्र तत्व पौड़ियों का निर्माण कराया था इसीलिए इसे घर की पौड़ी कहा जाता है दूसरी कहानी के अनुसार यहां भगवान विष्णु के और शिव जी के कदम रखे हैं इसीलिए इसे हर की पौड़ी का नाम मिला है । आपने तो यह भी है जो कोई हर की पौड़ी में स्नान करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है तथा उसे फिर पुनर्जन्म से मुक्ति मिल जाती है।
Goghat Haridwar
ब्रह्म कुंड के दक्षिण में स्थित इस घाट के विषय में मान्यता है। कि यहां पर स्नान करने से गौ हत्या जैसे पाप से छुटकारा मिल जाता है।जिसने भी गौ हत्या किया वह इस अपराध से मुक्त हो जाता है।
Kusha Ghat
इस जगह के लिए कहा जाता है। यहां दत्तात्रेय ऋषि ने एक पैर पर खड़े होकर घोर तपस्या की थी। उनके कुश बह जाने पर गंगा ने उन्हें वापस कर दिया था। इस स्थान को पिंडदान का महत्व माना जाता है।
Ram Ghat Haridwar
यह दोनों स्थान स्नान स्थल कुशावर्त घाट के दक्षिण में स्थित है। यहां पर वल्लभ संप्रदाय के महाप्रभु की गदी है।
Mansa Devi Temple Haridwar
मनसा देवी मंदिर बहुत ही ज्यादा माना जाने वाला मंदिर है।यहां पर भक्तों की मुराद पूरी होती है। मुराद पूरी होने से पहले भक्तगण यहां एक धागा बातें हैं तथा मुराद पूरी होने के बाद भक्तगण यहां मां को धन्यवाद करते हुए उसे धागे को खोल देते हैं। भक्तों की यहां बहुत ही ज्यादा भीड़ लगती है।
मनसा देवी कश्यप ऋषि की कन्या थी।यहां पर मानसा की तीन मुख और पांच भुजाओं वाली अष्टनाग- वाहिनी मूर्ति स्थापित है। नवचंडी में मनसा देवी को दर्शन शक्ति कहा जाता है। यह मूर्ति शिवालिक पर्वत श्रृंखला पर मनसा देवी मंदिर में विराजमान है। यहां पहुंचने के लिए रज्जू मार्ग तथा पैदल मार्ग दोनों की व्यवस्था है।
Chandi Devi Temple Haridwar
चंडी देवी मंदिर के बारे में कहा जाता है।यहां पर तंत्र-मंत्र की सिद्धिदात्री चंडी ने इस स्थान पर शंभू निशुंभ को मारा था।जिसके परिणाम स्वरुप इसी पर्वत श्रेणी पर नीलकंठ महादेव के पास शंभू निशुंभ नामक दो पर्वत हैं। वर्तमान मंदिर में मां काली की मूर्ति स्थापित है। मंदिर ठीक मनसा देवी के सामने हरिद्वार के दूसरे छोर पर गंगा नदी के पार पौड़ी गढ़वाल जनपद में स्थित है। माना जाता है यहां मैन साक्षात विराजमान है।
Maya Devi Temple Haridwar
माया देवी मंदिर में माता देवी का मंदिर है।जहां भक्तों की काफी भीड़ रखती है। हरिद्वार में यह मंदिर स्थित है। जो की शिवलिंग की पहाड़ियों में स्थित है। लोग यहां माता से मनोकामना पूर्ण करवाने के लिए आते हैं तथा माता को धन्यवाद भी करते हैं। यहां भक्तों की काफी भीड़ उमड़ती है।
Saptrishi Ashram Haridwar
सप्त ऋषि आश्रम की मान्यता है। कि गंगावतरण के समय हरिद्वार में गंगा सप्त ऋषि के आश्रम देखकर देवताओं के आदेश से, सात जलधाराओ में विभक्त होकर बहने लगी। तभी से इस स्थान को सप्त ऋषि आश्रम के नाम से जाना जाता है। यह सप्त सरोवर कहते हैं।
Bhimgoda Haridwar
भीम घोड़ा के लिए कहा जाता है कि इस स्थान पर महाबली भीम के घोड़े की ठोकर से एक कुंड बना था। जिसे भी भीमगोडा कुंड के नाम से जाना जाता है।
Bharat Mata Mandir Haridwar
सप्त सरोवर मार्ग पर निर्मित यह भव्य मंदिर है।जो भक्तों का अपनी तरफ मन मोह लेती है। भारत दर्शन और आराध्य देवी देवताओं की परस्तर प्रतिमाओं का दर्शन करती है। 8 मंजिली इस भवन के सबसे ऊपर मंदिर में भगवान शिव के दर्शन होते हैं। यह मंदिर विशाल होने के साथ-साथ लोगों का ध्यान अपनी तरफ केंद्रित करता है। यह बहुत ही सुंदर मंदिरों में से एक है।
Anjani Mata Mandir Haridwar
अंजना मंदिर हरिद्वार के एक छोटे से गांव में स्थित है। जहां पर भगवान हनुमान की माता का मंदिर है। यहां पर अंजनी मां हनुमान भगवान को गोद में लिए दिखाई गई है।यह वही जगह है जहां पर अंजनी माता ने तपस्या कर कर भगवान हनुमान को प्राप्त किया था। लोगों की मान्यता है कि अगर किसी भी शादीशुदा जोड़ों के बच्चा नहीं है। तो यहा जाकर उनकी यह मुराद पूरी होती है। माता अंजना उन जोड़ों की गोद भरती है।
Shantikunj Haridwar
गायत्री तीर्थ में शांतिकुंज का विवरण है यह धार्मिक संस्थाओं के लिए जाना जाता है।
Kankhal /Sati Kund/Daksh Mandir Haridwar
यह बहुत ही शानदार जगह में से एक है। यह वही जगह है। जहां पर माता सती भगवान शिव की अर्धांगिनी ने अपने प्राणों की आहुति दी थी। अपने पिता दक्ष के यहां यज्ञ होने पर भगवान शिव को ना बुलाने पर ,माता पार्वती का भोलेनाथ से लड़के आना तथा अपने पिता से अपने पति का अपमान सुनकर हवन कुंड में अपने शरीर की आहुति दे दी थी। आज भी वह कुंड वहां स्थित है।
यह मंदिर बहुत ही सुंदर है। यहां पर भगवान शिव की बहुत बड़ी मूर्ति है। जिसमें भगवान शिव माता पार्वती के जले शरीर को लेकर जाते हुए दिखाए गए हैं। प्राचीन पौराणिक महत्व भी इस मंदिर का बहुत ज्यादा है। यहां पर दक्ष प्रजापति का मंदिर एवं सतीकुंड है। संस्कृत में एक श्लोक के माध्यम में कनखल की महिमा का वर्णन किया गया है-
गंगाद्वारे, कुशावर्ते, बिल्वके नील पर्वते।
तीर्थ कनखले स्नात्वा धीत पाणे दैवान ब्राजते ॥
इन सबके अलावा भी हरिद्वार में विल्वकेश्वर, दक्षमहादेवी, सुरेश्वरी देवी, गौरी शंकर तथा वैष्णो देवी मंदिर ,एवं परमार्थ निकेतन, योग धाम,योग निकेतन ,प्रेमनगर आश्रम ,अखंड परमधाम, मां आनंदमयी आश्रम, शिवानंद आश्रम, महाप्रभु योग तथा प्राकृतिक ध्यान केंद्र रामगुलक दरबार, पतंजलि उद्योग पीठ आदि अन्य आध्यात्मिक केंद्रीय का उल्लेखित है।
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