बागेश्वर की कत्यूर और घाटी में स्थित कोट भ्रामरी मंदिर मैं अत्यंत ही दुर्लभ दर्शन होते हैं माता के क्योंकि यहां पर माता श्रद्धालुओं की तरफ पीत करके बैठी हुई है और माता के दर्शन के लिए दर्पण का प्रयोग किया जाता हैI यहां पर माता दुर्गा की पूजा की जाती हैI यह मंदिर अत्यंत ही खूबसूरत है I
कोट भ्रामरी मंदिर की कथा
यहां पर कई सारी कथाएं प्रचलित है जिनमें से यह प्रमुख है की एक बार एक असुर हुआ करता था जिसका नाम अरुण थाI उसको कुछ ऐसा वरदान प्राप्त था की ना उसे देवी देवता मार सकते थे ना ही कोई और तो उसका संघार करने के लिए माता ने एक भंवरे का रूप धारण किया तब से इस स्थान पर माता को भ्रामरी देवी के नाम से जाना जाता है और यहां पर माता के भंवरे रूप की भी पूजा की जाती हैI
कोट भ्रामरी मंदिर को उत्तराखंड के दोनों मंडलों गढ़वाल और कुमाऊं दोनों की आरती देवी के रूप में पूजा जाता है क्योंकि यह माना जाता है कि कटुर राजाओं की कुलदेवी भ्रामरी और चंद्र राजाओं की कुलदेवी नंदा देवी दोनों यहां पर विद्यमान है I
नवरात्रि के समय इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ बहुत अधिक होती है क्योंकि नवरात्रि में माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है I यहां पर दोनों देवियों के विद्यमान होने पर अलग-अलग समय पर मेलों का आयोजन होता है जिसमें मां भगवती भ्रामरी देवी के लिए चैत्र मास के शुक्ल अष्टमी को मेले का आयोजन होता है और मां नंदा का मेला भाद्र मास की शुक्ल अष्टमी को लगता है I
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