उत्तराखंड भूमि ऐसी भूमि है। जहां पर बहुत ही पुराने मंदिर तथा तीर्थ स्थान भी शामिल है। मनसा देवी मंदिर हरिद्वार भी इन्हीं में से एक हैI उत्तराखंड देवभूमि के नाम से जाना जाता है क्योंकि यहां आपको हर जगह देवी देवता पूजने को मिलेंगे। उसी के साथ-साथ यहां पर पौराणिक कथाओं में वर्णित मंदिर भी देखने को मिलते हैं।
मनसा देवी मंदिर हरिद्वार
उत्तराखंड को देवों की भूमि भी कहा जाता है। यही कारण है कि यहां पर बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध और मनोकामना पूर्ण करने वाले मंदिर देखने को मिलते हैं। वैसे तो हमारे देश में कई देवी देवताओं की महिमा का वर्णन मिलता है।
उनकी कथाएं भी बताई जाती है। मनसा देवी जो की बहुत ही शक्तिशाली तथा बहुत दयालु देवियों में से एक है। इनकी पूजा करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है। यह भोले बाबा और माता पार्वती की लाडली बेटियों में से एक है।
इनके दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। यहां पूरे साल माता रानी के दरबार में भी भीड़ उमड़ रहती है।मानोकामना पूर्ण करने वाली देवी मे मनसा देवी मंदिर का नाम भी आता है।
मनसा देवी मंदिर हरिद्वार शहर में लगभग 3 किलोमीटर दूर शिवालियो की पहाड़ियों में स्थित है। मनसा देवी हरिद्वार की रक्षा कर रही है। यहां पर मनोकामना पूर्ण होती है। ऐसा यहां की श्रद्धालुओं का मानना है।

तभी लोग अपनी अर्जी ले लेकर दूर-दूर से माता की दर्शन के लिए आते हैं। जब मनोकामना पूर्ण हो जाती है। तो श्रद्धालु दोबारा माता के दरबार में धन्यवाद देने के लिए आते हैं।ऐसी मान्यता है कि यहां मनोकामना मांगने जब आते हैं।तो यहां धागा बांधना पड़ता है तथा मनोकामना पूर्ण हो जाने के बाद दोबारा आना होता है। यहां धागा खोलने होता है।
आज हम सबकी मनोकामना पूर्ण करने वाली देवी मनसा की जन्म की कहानी आपको बताएंगे तथा हरिद्वार की रक्षा कर रही तीनों देवी चंडी ,मनसा और माया देवी में से एक मनसा देवी की कहानी बताते हैं।पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि भगवान शिव और माता रानी मानसरोवर झील में खेल रहे थे।
तो खेलते खेलते उन दोनों का तेज इकट्टा होकर कमल की पत्ती में जम गया। तब उनकी संरक्षण के लिए वहां मौजूद सर्पिणियों ने इस तेज को अपनी कुंडली में लपेट दिया था। महादेव और जगदंबा के तेज से जिस कन्या का जन्म हुआ।जिसका नाम मनसा रखा गया ।
जो कि आज के समय में मनसा देवी के नाम से पूछी जाती है। इसी में दूसरी कहानी के अनुसार बताया जाता है कि भगवान शिव एक सुंदर योगी का रूप धारण करके पृथ्वी पर विचरण कर रहे थे।तब उन्हें एक सुंदर रूप मे देखकर कपड़ा धो रही गांव की महिला उन पर मोहित हो गई।

उन्हें अपने वश में करने के लिए भगवान शिव के ही बनाए वशीकरण मंत्र का उपयोग करने लगी।तब भगवान शिव अपने बनाए हुए तंत्र की मान को रखने के लिए उस स्त्री के वशीकरण पास में बस गए थे।तब इन दोनों के संबंधों कन्या देवी के नाम पर है। मनसा देवी जब भगवान शिव शंकर और माता पार्वती के पास कैलाश पहुंची।
तो उन्हें आता देख शिवजी के गली में लटके नागराज बसुकी ने भगवान शिव से प्रार्थना की।भगवान प्रभु मनसा देवी को नाग लोक भेज दीजिए। क्योंकि विश्व के प्रमुख अष्ट नागों की कोई बहन नहीं है तब भगवान शिव ने अपने भक्त वासुकी की प्रार्थना को स्वीकार करते हुए ।मनसा को नागलोक का साम्राज्य प्रदान कर दिया जाता है।
इस प्रकार मनसा देवी संपूर्ण नाग जाति की बहन और पुत्री मानी गई।इस कारण से उन्हें संपूर्ण नाग जाति के अधीन माना जाता है। हरिद्वार में मनसा देवी के मंदिर का निर्माण मनीमाजरा के महाराजा गोपाल सिंह ने किया था। जो कि 1811 और 1815 के बीच में कराया गया था। यह मंदिर करीब 200 सालों से भी पुराना मंदिर है।
यहां लोग माथा टेकने आते हैं और आज भी कोई भी माता के दरबार से खाली हाथ नहीं जाता है। यहां पर देश विदेशी श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ कराती है। इतिहासकार बताते हैं कि मंदिर का निर्माण मनीमाजरा के महाराज गोपाल सिंह ने कराई थी। क्योंकि उनकी मनोकामना मांगी थी। जब उनकी मनोकामना पूर्ण हुई।तो उन्होंने मंदिर का निर्माण करवाया।उन्होंने महल से लेकर माता मनसा देवी के मंदिर तक एक गुफा भी थी।

जिसे आज के समय में बंद कर दिया गया है। जिसके माध्यम से राजा रोज गुफा से होते हुए मंदिर पहुंचे थे और माता मनसा देवी की पूजा अर्चना करते थे। माता रानी की शक्ति का अनुभव तब किया जा सकता है। माता रानी पर भक्तों के भरोसे की बात हो।तो हमें महामारी करोना को कैसे भूल सकते हैं।
जब लोगों को घर से आना जाना बंद कर दिया गया था। करोना में लॉकडाउन लग गया था।उसमें भी लोग माता के मंदिर में आना नहीं छोड़ रहे थे। मंदिर में आने वाले बुजुर्ग, विकलांगों के लिए लिफ्ट और वील चेयर की सुविधा मुहैया कराई जाती थी।
ताकि यहां पर आने वाले बुजुर्ग ,विकलांग और गर्भवती महिला माता मनसा देवी के दरबार में माथा टेक सके। कोरोना वायरस के दौरान जब लोग घरों से निकलने के डरते थे। लेकिन माता के भक्त उस समय भी माता के दर्शन के लिए पहुंचे जा रहे थे। माता मनसा देवी के दरबार के पास साथ ही पटियाला माता के मंदिर है। जिसे महाराजा पटियाला ने बनवाया था।
अगर आप भी माता के मंदिर जाना चाहते हैं। तो माता की भेंट के लिए चुनरी, फल, फूल ,धूप प्रसाद लेकर जा सकते हैं तथा अपनी मनोकामना बोल सकते हैं। यहां धागा बांध कर जाना होता है तथा मनोकामना पूर्ण होने पर वापस मां को धन्यवाद करें। धागा खोलने के लिए आना पड़ता है। आशा करते हैं आपको हमारा यह आर्टिकल काफी पसंद आया आएगा तथा आप भी अपनी मनोकामना लेकिन माता रानी के पास जरूर जाएंगे।
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