Nanakmatta Dam लव पॉइंट के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण लगभग 60 वर्ष पहले किया गया था।1962 में पूरा डैम का निर्माण हो गया था। यह उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा बनाया गया डैम है।उत्तराखंड में होने के बावजूद भी नानकमत्ता डैम उत्तर प्रदेश के अधिकार में आता है। यह डैम बहुत बड़ा और बहुत ही शानदार डेमो में से एक है।
Nanakmatta Dam
इसका संचालन बरेली सिंचाई विभाग के पास है। डैम की लंबाई 19200 मी अर्थात 19.2 किलोमीटर है।इसका जल से पानी भरने की क्षमता 59.82 मिलियन टन लीटर है।इसके द्वारा भूमि में सिंचाई लगभग 96750 एकड़ जमीन में नहरो के द्वारा की जाती है।
ऐसा माना जाता है कि बागेश्वर से निकलने वाली सरयू नदी की धारा नैनीताल से अलग होकर उधम सिंह नगर में प्रवेश करती है।यहां नंदौर नदी के नाम से जानी जाती है। नांदौर नदी नैनीताल से निकलकर मिलती है। उधम सिंह नगर में यह नदी नंदौल नदी के नाम से जानी जाती है।
आसपास के लोग इसे दोहा नदी के नाम से पुकारते हैं।वैसे तो इस डैम में बहुत सारी नदियों का मिश्रण है। स्थाई लोगो के अनुसार साथ छोटी नदियो का पानी में इस डैम में आता है। जो बरसात पर निर्भर होता है। अर्थात सदा रहने वाली नदियां नहीं होती है।
Nanakmatta Dam की मुख्य विशेषता
Nanakmatta Dam की विशेषताएं बहुत ज्यादा है। यहां पर मछलियां बहुत ज्यादा प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि यहां की मछलियों का स्वाद बहुत स्वादिष्ट होता है। आसपास के शहर जैसे रुद्रपुर, पीलीभीत ,बरेली, हल्द्वानी आदि के स्थाई लोग यहां अत्यधिक मछली लेने के लिए आते हैं।
नानकमत्ता ,खटीमा में सितारगंज के क्षेत्र के अधिकांश थारू जनजाति के लोग मछलियां जाकर पकड़ते हैं।थारू जनजाति बंगाली लोगों की तरह ही मछली और चावल के अत्यधिक पसंदीदा भोजन करने वाले लोग होते हैं।
मई से जून के महीने में इस डैम में पानी की मात्रा कम हो जाती है। जिसके कारण मछली पकड़ने वाले यहां ज्यादातर आबादी में देखे जाते हैं। दूर-दूर से लोग मछली पकड़ने के लिए डैम के अंदर आते हैं। मछली पकड़ना यहां के स्थाई लोगों का शौक है।
भारी संख्या में लोगों के आने कारण ऐसा लगता है मानो यहां मेला लगा हो।यह डैम काफी सुंदर है। यहां पर सेल्फी प्वाइंट भी है। जो की देखने में बेहद खूबसूरत लगता है। यहां लोग बहुत ही ज्यादा तादाद में आते हैं। सुंदर होने के साथ-साथ यहां आप नौका विहार भी कर सकते हैं।
Nanakmatta Dam पिकनिक स्पॉट
नानकमत्ता में गुरुद्वारा होने के कारण नानकमत्ता सागर बहुत ही ज्यादा खास और बहुत ज्यादा पर्यटक आने वाले स्थान में से एक है। गुरुद्वारा होने के कारण यहां आपको पंजाबी लोग ज्यादा देखने को मिलेंगे।यह गुरुद्वारा यह बहुत ही ज्यादा आकर्षण का केंद्रीय है।गुरुद्वारे के दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
उसके बाद नानकमत्ता डैम में घूमते हैं तथा यहां पर फोटो इत्यादि लेते हैं। आसपास में गार्डन भी है। जहां पर आप फोटो खींच सकते हैं तथा प्राकृतिक की सुंदरता का लूत्फ उठा सकते हैं।यहां पर खाने पीने के सामान भी मौजूद हैं।जिसे आप खा पी सकते हैं।
लव पॉइंट के रूप में
नानकमत्ता डैम प्रेम स्थल के रूप में भी जाना जाता है। गुरुद्वारे के निकट बाऊली साहब जो की नानकमत्ता डैम के तट पर स्थित है। उसके 3 किलोमीटर पूर्व में बैराज पुल के निकट गार्डन है। जहां अक्सर प्रेमी जोड़ों को घूमते हुए देखा जाता है।
यहां पर फोटो शूट के लिए अभी बहुत ही ज्यादा शानदार और आकर्षण का केंद्रीय है। यहां प्रत्येक अमावस्या में प्रेमी जोड़ों के मिलने का दिन होता है। बड़ी मात्रा में यहां प्रेमी प्रेमिका देखने को मिलते हैं।प्रत्येक वर्ष दिवाली का मेला भी लगता है। गुरुद्वारे के दर्शन करने के लिए आते हैं।
किस नदी पर है Nanakmatta Dam
नानकमत्ता डैम सरयू नदी पर है इसे नानक सागर के नाम से भी जाना जाता है।
आसपास का एरिया
बौर, हरिपुरा, नानकमता, धौरा, तुमारिआ, बैगुल के बांध इस जिले में मौजूद हैं।जिसने इस भूमि को बेहद उपजाऊ बना दिया है। केवल खटीमा में शारदा नदी पर लोहिया हेड बिजली उत्पन्न करता है।
नानकमत्ता तीर्थ स्थान
तीर्थ यात्रा नानकमत्ता उत्तराखंड में सबसे प्रतिष्ठित शिक्षण तीर्थ स्थान में से एक है। यहां पर पूरे साल बहुत ज्यादा संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ आती है।ऐसा माना जाता है कि गुरु नानक देव ने नानकमत्ता गुरुद्वारे में कुछ समय बताया था।
जिसके कारण यह काफी प्रसिद्ध है।पंजाबी तथा सिख लोग यहां बहुत ही ज्यादा मात्रा में आते हैं। इसी के पास नानकमत्ता डैम है।जहां पर लोग घूमते हैं तथा लव पॉइंट होने के कारण जोड़ों को भी यहां देखा जाता है।
नानकमत्ता डैम में जो नानकमत्ता गुरुद्वारा के पास है।इस डैम में काफी पक्षी प्रेमियों को भी अक्सर यहां देखा जाता है। जो की आकर्षण का केंद्र रहते हैं ।यहां पर कई प्रवासी पक्षी सर्दियों के लिए नानकमत्ता डैम में प्रजनन स्थान बनाते हैं।
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