नीम करोली बाबा का संपूर्ण जीवन परिचय ( जन्म से लेकर मृत्यु तक), इन्हें हनुमान जी का अवतार भी माना जाता हैI नीम करोली बाबा द्वारा कुछ विशेष भक्त रहे हैं जो आज एक विशेष व्यक्तित्व के धनी हैंI
नीम करोली बाबा के जीवन का रहस्य
उत्तराखंड में प्रसिद्ध मंदिर Kainchi Dham Mandir, बाबा नीम करोली के द्वारा बनाया गया है। जिनका जन्म 1900 में उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में एक ब्राह्मण परिवार के पुत्र के रूप में हुआ था।उनके पिता दुर्गा प्रसाद शर्मा ने उनका नाम लक्ष्मी नारायण रख दिया था।
उसे समय में बाल विवाह का चलन था। जिसके कारण उनका विवाह 11 वर्ष की उम्र में ही कर दिया गया। लेकिन जल्दी ही लक्ष्मी नारायण अर्थात नीम करोली बाबा का मन समाज और गृहस्थी के कामों से उठ गया।उस समय उन्होंने गृह त्याग का निर्णय ले लिया।
गृह त्याग करने के बाद वह एक साधु के रूप में उत्तर भारत के विचरण करने लगे। उन्हें अलग-अलग जगह पर कई नाम दिए गए। जिसमें लक्ष्मण दास, हांडी वाला बाबा और तिकोनिया वाला नाम प्रसिद्ध है।
उसके बाद वह गुजरात पहुंचे। गुजरात में पहुंचकर उन्होंने तपस्या शुरू कर दी। वहां के कई लोग उन्हें थलाइवा बाबा भी कहते हैं।भवानी या मोरबी में तपस्या करते हुए उन्हें मात्र 17 वर्ष की उम्र में ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी।
नीम करोली बाबा को हनुमान जी का अवतार माना जाता है।
बहुत लोग भारत में नीम करोली बाबा को हनुमान जी का अवतार मानते हैं। बाबा हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त थे। सभी आडंबरों से दूर बाबा किसी को भी अपना चरण स्पर्श नहीं करने देते थे।
उनका कहना था कि अगर चरण स्पर्श करना है, तो हनुमान जी के चरण स्पर्श करो। हनुमान जी को अपना गुरु मानने वाले नीम करोली बाबा को कई प्रकार की चमत्कारी सिद्धियां भी प्राप्त थी।
बाबा का नाम नीम करोली बाबा कैसे पड़ा था?
कहा जाता है कि एक बार बाबा ट्रेन में सफर कर रहे थे।लेकिन उनके पास टिकट नहीं था। जिस कारण टीटी अफसर ने उन्हें पकड़ लिया। बिना टिकट होने के कारण अफसर ने उन्हें अगले स्टेशन में उतरने को कहा।स्टेशन का नाम नीम करोली था।
स्टेशन के पास के गांव को नीम करोली के नाम से जाना जाता है। बाबा को गाड़ी से उतार दिया गया और ऑफिसर ने ड्राइवर से गाड़ी चलाने का आदेश दिया। बाबा वहां से कहीं नहीं गए। उन्होंने ट्रेन के पास ही एक चिमटा धरती पर लगाकर बैठ गए।
चालक ने बहुत प्रयास किया लेकिन ट्रेन आगे ना चली। ट्रेन आगे ना चलने का नाम ही नहीं ले रही थी। तभी गाड़ी में बैठे सभी लोगों ने कहा यह बाबा का प्रकोप है।उन्हें गाड़ी से उतार देने का कारण ही है कि गाड़ी नहीं चल रही है।
तभी वहां बड़े ऑफिसर जो कि बाबा से परिचित थे। उन्होंने बाबा से क्षमा मांगी और ड्राइवर और टिकट चेकर दोनों को बाबा से माफी मांगने को कहा।सब ने मिलकर बाबा को मनाया और उनसे माफी मांगी। माफी मांगने के बाद बाबा ने सम्मानपूर्वक ट्रेन पर बैठ गए।
लेकिन उन्होंने यह शर्त रखी कि इस जगह पर स्टेशन बनाया जाएगा।जिससे वहां के गांव के लोग को ट्रेन में आने के लिए आसानी हो जाए क्योंकि वहां लोग आने के लिए मिलो दूर से चलकर आते थे। तब जाकर ट्रेन में बैठ पाते थे।
उन्होंने बाबा से वादा किया और वहां पर नीम करोली नाम का स्टेशन बन गया। यहीं से बाबा की चमत्कारी कहानियां प्रसिद्ध हो गई और इस स्थान से पूरी दुनिया में बाबा का नाम Neem Karoli Baba के नाम से जाना जाने लगा।यही से बाबा को नीम करोली नाम मिला था।
नीम करोली बाबा का आश्रम: Kainchi Dham
उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में है। जो की स्वर्ग सुंदर जगह में स्थित है। Neem Karoli Baba महाराज जी को समर्पित है। आश्रम कैंची धाम के नाम से भी जाना जाता है।
यह आश्रम समुद्र तल से 1400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है तथा नैनीताल -अल्मोड़ा मार्ग पर बनाया गया है। यहां पर हर साल वार्षिक समारोह मनाया जाता है। जून के समय भारी संख्या में भक्तगण यहां आते हैं। इन भक्तगणों में देश के बड़े-बड़े नेता, प्रधानमंत्री, देश के मशहूर हस्ती भी शामिल है।
बाबा नीम करोली की कथा
1. पानी को घी में परिवर्तित कर देना।
नीम करोली बाबा को कैंची धाम से बेहद ही ज्यादा लगाव है।कहा जाता है कि एक बार जून में भंडारे के दौरान तेल और घी की कमी पड़ गई थी। भंडारे का खाना बनाने वाले लोग बाबा के पास पहुंचे।
बाबा तेल की कमी हो गई है। तब बाबा जी ने आदेश दिया की नदी बह रही है। वहां पर बर्तन को ले जाओ और जल भर कर ले आओ। आदेश के अनुसार श्रद्धालु जल भरकर ले आए और प्रसाद बनाने का काम शुरू कर दिया। वह नदी का जल घी में बदल गया।
2. अपने भक्त को तेज धूप से बचाया।
एक चमत्कार और भी काफी प्रसिद्ध है। जिसमें बताया जाता है कि Neem Karoli Baba ने अपने एक प्रिय भक्तों को गर्मी की तपती धूप से बचने के लिए उसे बादल की छतरी प्रदान की और उसे उसकी मंजिल तक।
3.दिए को हाथ जलाकर बत्ती जला दी।
बताया जाता है कि एक बार बाबा के आश्रम में एक महिला उनसे मिलने आई थी। उनकी पूजा करने लगी लेकिन महिला के पास दिया सिलाई नहीं थी।इससे वह बेहद निराश हो गई। बाबा जी ने उनके मन की भाव को पढ़ लिया और उनके मात्र छू लेने से ही दीपक जल उठा।
4.तेज बारिश को रोक दिया।
बताया जाता है कि एक बार हनुमानगढ़ी मंदिर के निर्माण कार्य चल रहा था। उसे समय भारी बारिश होने लगी और कार्य में बाधा उत्पन्न हो गई थी। बारिश इतनी तेज थी कि जो काम पूरा हो चुका था।वह भी खराब होता जा रहा था। नीम करोली बाबा ने जब इस स्थिति को देखा तो बादलों के बीच में आकाश की ओर देखते हुए बोले, बड़ी उग्र है।
इतना कहकर उन्होंने अपने ऊपर से काबल हटाया और चिल्लाते हुए बोले ‘पवन चले बल पवन समाना’ इतना कहते ही तेज हवाएं चलने लगी।जिसे बदल कहीं दूर चले गए ।बारिश बिल्कुल ही बंद हो गई।बाबा के इस चमत्कार से आसमान भी साफ हो गया और हनुमानगढ़ी मंदिर का निर्माण कार्य सही ढंग से पूरा हो गया।
5.कोई खाली झोली नहीं जाता।
कैंची धाम में 15 जून का दिन होता है बहुत ही खास। कैंची धाम स्थित जो की नीम करोली बाबा के आश्रम के नाम से जाना जाता है। वहां पर बाबा नीम करौली के वरदान से भगतगढ़ अपनी झोलियां भरकर ही जाते हैं।
यहां हर साल 15 जून को कैंची धाम के बड़े स्तर पर भंडारे का आयोजन होता है। जिसमें बड़े से बड़े सितारे, प्रधानमंत्री तथा बड़े-बड़े नेता यहां पर आते हैं।कहते हैं 1964 में इसी दिन कैंची धाम में बाबा नीम करोली बाबा ने हनुमान मंदिर की प्रतिमा का प्रतिष्ठा की थी।
6. विदेशी पर्यटकों के साथ चमत्कार
नीम करोली बाबा के भक्तों में एप्पल के मालिक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मालिक मार्क जुकरबर्ग और हॉलीवुड एक्ट्रेस जूलिया रोबोट का नाम तो हर कोई जानता है। कहा जाता है कि इन लोगों ने धाम की यात्रा करके अपने जीवन को बदल लिया। बाबा के आश्रम में सबसे ज्यादा अमेरिकी की आते हैं।
नीम करोली बाबा की मृत्यु के पश्चात 1974 में स्टीव जॉन्स भी आत्मज्ञान के लिए उनके आश्रम में आए थे और इसके पास उन्होंने आज देश के मशहूर कंपनी एप्पल की स्थापना की थी। मार्क जुकरबर्ग जब उनके आश्रम में आए थे।
तब फेसबुक का प्रारंभिक दौड़ चल रहा था और यहां पर उनके मन से कुछ नए विचार उप जिससे फेसबुक आज की अपनी स्थिति प्राप्त कर पाया है।
7. बाबा ने बनवाई 108 हनुमान मंदिर
नीम करोली बाबा ने अपने पूरे जीवन काल में संपूर्ण भारत तथा अन्य देशों की यात्रा की थी। बाबा को हनुमान जी के भक्ति के नाम से भी जाना जाता है तथा उन्हें हनुमान जी के अवतार भी माने जाते हैं। उन्होंने भारत में लगभग 108 हनुमान मंदिरों का निर्माण करवाया है। उनके नाम से अमेरिका तथा मेक्सिको में हनुमान मंदिर स्थापित किए गए हैं।
8. ना मानने वाला भी मानने लगा।
एक बार एक विदेशी अनुयाई अपने पति को लेकर नीम करोली बाबा के मंदिर पहुंची हुई थी।उसे समय विदेशी महिला का पति बाबा को बिल्कुल भी नहीं मानता था। ना ही वह धर्म पर विश्वास करता था।
लेकिन पत्नी के कहने पर वह वहां बाबा के दरबार में आया था। वह व्यक्ति आश्रम और नीम करोली बाबा को देखकर सोचने लगाकि यह साधारण सा व्यक्ति के पीछे मेरी पत्नी बिल्कुल पागल हो गई है।
फिर वह वहां से उठकर चला गया। रात में वह नदी के किनारे खड़ा होकर अपनी पत्नी तथा अपने भविष्य के बारे में सोचने लगा। दूसरे दिन सुबह वह अपने देश को जाने के लिए तैयार हो रहे थे।पत्नी ने कहा नीम करोली बाबा के दर्शन करके आते हैं।
वहां बाबा ने उसे बुलाकर पूछा कि तुम यहां आकर क्या सोच रहे थे और नदी के किनारे खड़े क्या सोच रहे थे।क्या तुम यह सब जानना चाहते हो।तब बाबा ने वह सब बता दिया जो वह सोच रहा था। यह सुनकर उसे बाबा पर बहुत ही ज्यादा विश्वास।
9. बुलेट प्रूफ कंबल
एक बार रिचर्ड एलपर्ट (रामदास) ने 1979 में Neem Karoli Baba के चमत्कारों पर’ मेरेकल ऑफ लव’ नाम की किताब लिखी है। इसी किताब में बुलेट प्रूफ कांबल नाम से एक घटना का जिक्र है।
बाबा हमेशा कंबल ही उड़ा करते थे। आज भी लोग जब मंदिर में जाते हैं।तो बाबा को कंबल भेंट करते हैं। इसी कंबल की कहानी है। कहा जाता है कि बाबा के कई भक्त थे। उसी में से एक बुजुर्ग दंपति थे ।जो फतेहपुर में रहते थे।
घटना 1943 की है।एक दिन बाबा अचानक उन बुजुर्ग दंपति के घर पहुंचे और कहने लगे कि वह रात को यही रुकेंगे। दोनों दंपति बहुत ही खुश हुए लेकिन उन्हें इस बात का दुख भी था कि घर में महाराज जी की सेवा करने के लिए उनके पास कुछ भी नहीं था।हालांकि जो भी था। उन्होंने बाबा के समक्ष प्रस्तुत कर दिया था। बाबा वह खाकर एक चारपाई पर लेट गए और कंबल उड़ कर सो गए।
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दोनों बुजुर्ग दंपति भी सो गए। लेकिन कहा नींद आती।महाराज जी कंबल ओढ़ कर रात भर कराहते रहे। ऐसे में उन्हें कैसे नींद आती।वह वहीं बैठे रहे। उन्होंने सोचा पता नहीं महाराज जी को क्या हो गया।
सोच कर परेशान हो गए ।ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें कोई मार रहा है।जैसे तैसे करते करते सुबह हुई।सुबह बाबा उठे और चादर को लपेटकर बुजुर्ग दंपति को देते हुए कहा।
इस को गंगा में प्रवाहित कर देना। इसे खोलकर मत देखना अन्यथा फंस जाओगे। बुजुर्ग दंपति ने बाबा की आज्ञा का पालन किया।जाते हुए बाबा ने कहा की चिंता मत करना महीना भर से खोया हुआ बेटा तुम्हारा लौट कर आ जाएगा।
जब भी चादर लेकर नदी की ओर जा रहे थे।उन्हें महसूस हुआ कि उसमें लोहे का सामान रखा हुआ है।लेकिन बाबा ने तो खाली चादर हमारे सामने लपेटकर हमें दी थी। खैर हमें क्या उन्होंने तो बाबा के आज्ञा का पालन करना था।
उन्होंने चादर को नदी में प्रवाहित कर दिया। लगभग 1 महीने के बाद बुजुर्ग दंपत्ति का एकलौता पुत्र लौट आया। वह ब्रिटिश फौज में सैनिक था और दूसरे विश्व युद्ध के वक्त बर्मा फ्रंट पर पर तैनात था।
उसे देखकर दोनों बुजुर्ग दंपति खुश हो गए और उनके घर जाकर कुछ ऐसी कहानी बताएं।जो की समझ में नहीं आई। उसने बताया कि करीब 1 महीने भर पहले एक दिन वह दुश्मनी फौजी के साथ घिर गया था।
रात भर गोलीबारी हुई। उसके सारे साथी मारे गए। लेकिन वह अकेला बच गया। मैं कैसे बच गया यह मुझे पता नहीं। उसे गोल बारे में एक भी गोली नहीं लगी। रात भर वह जापानी दुश्मनों के बीच जिंदा बचा रहा।
उसे ऐसा लग रहा था मानो गोलियां उसकी तरफ आ रही है पर उसे छू नहीं पा रही। सुबह जब और अधिक ब्रिटिश टुकड़े आए। तो उसकी जान में जान आई।वह वही रात थी।
जिस रात नीम करोली बाबा जी उसे बुजुर्ग दंपति के घर रुके थे। दोनों बुजुर्ग दंपति समझ गए। उसे दिन बाबा क्यों तड़प रहे थे।बेटे के लग रही गोलियां कोई और नहीं बाबा सह रहे थे। वह समझ गए कि वह खाली चादर किसी और से नहीं बल्कि गोलियों से भारी चादर थी। उन्होंने बाबा को बहुत धन्यवाद किया और रोने लगे।
10. जूलिया रॉबर्ट ने अपनाया हिंदू धर्म।
जूलिया रॉबर्ट ने बाबा को कभी नहीं देखा था। परंतु बाबा उनके सपने में अक्सर आते रहते थे। एक दिन उन्होंने उनका चित्र कहीं ओर देखा। तो वह तभी से उनके भक्त बन गई। जूरिया रोबोट ने उनके चित्र देखकर और अमेरिका में निवास कर रहे ।उनके अनुयायियों से उनके किस सुनकर हिंदू धर्म को अपना लिया।
11.कुए का खारा पानी मीठा बनाया
कहा जाता है कि एक बार बाबा अपने जन्म स्थान के पास फर्रुखाबाद की यात्रा कर रहे थे। फर्रुखाबाद में एक कुआं था। जिसका पानी बहुत ही खारा था। जो पीने योग्य नहीं था। बाबा ने उसे खारे जल से भरे कुए को पीने के योग्य पानी बना दिया था।
12.भक्ति को कराए शिव दर्शन
कहा जाता है कि बाबा के एक भक्त थे। जो भगवान शिव को बहुत भक्ति करते थे।वह रोजाना शिव जी का अखंड जाप करते थे और उनके ध्यान में मग्न रहते थे। उनकी भक्ति को देखकर बाबा इतने प्रसन्न हो गए। कि उन्होंने उन्हें अपने सीने से लगा लिया। सीने से लगने पर उन्होंने महादेव का रूप दिखाया था।
नीम करोली बाबा का मंत्र Neem Karoli Baba Puja Mantra
मैं हूं बुद्धि मलीन अति ,
श्रद्धा भक्ति विहीन।
करू विनय कछु आपकी,
होउ सब ही विधि दीन ।।
श्रद्धा के यह पुष्प कछु।
चरणन धरि सम्हार ।।
नीम करोली बाबा की मृत्यु कैसे हुई (Neem Karoli Baba Death)
Neem Karoli Baba को मधुमेह कोमा में जाने के बाद 11 सितंबर 1973 की सुबह लगभग 1:15 बजे वृंदावन में जो कि भारत में उत्तर प्रदेश में स्थित है। वहां के अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई। वह रात को आगरा से नैनीताल कैंची धाम लौट रहे थे।
परंतु उनके सीने में दर्द होने के कारण वह एक हृदय रोग विशेषज्ञ के पास गए और उनकी यात्रा करने वाले साथी मथुरा रेलवे स्टेशन पर उतरना पड़ा।जहां उन्हें ऐंठन होने लगी और उन्होंने श्रीधाम वृंदावन ले जाने का अनुरोध किया। उन्हें अस्पताल की आपातकालीन कक्ष में ले गए ।
अस्पताल में डॉक्टर ने उन्हें इंजेक्शन दिया और उनके चेहरे पर ऑक्सीजन मास्क लगा दिया। परंतु बाबा ने मास्क निकाल कर फेंक दिया और बोला मेरा समय पूरा हो चुका है। उन्होंने कहा उनके लिए तुलसी के पत्ते और गंगाजल ला दे।
भक्ति महाराज जी के लिए गंगाजल और तुलसी लेकर आए उन्होंने गंगाजल पीकर बार-बार दोहराया” जय जगदीश हरे” (ब्रह्मांड के भगवानों की जय) हर बार कम स्वर में बोलते रहे। उनका चेहरा शांत हो गया और वह सभी दर्द से बाहर निकल गए। उनकी मृत्यु हो चुकी थी।
Neem Karoli Baba Samadhi (नीम करोली बाबा की समाधि)
Neem Karoli Baba जी की समाधि पंतनगर में स्थित है। यह जगह नैनीताल और रुद्रपुर के पास पड़ती है। ऐसा माना जाता है कि नीम करोली बाबा की समाधि स्थल पर जाने से भक्तों की सभी मुराद पूरी होती है। इस समाधि स्थल पर नीम करोली बाबा की भव्य प्रतिमा के साथ-साथ हनुमान जी की प्रतिमा भी स्थापित की गई है।
Neem Karoli Baba Steve Jobs
उत्तराखंड भारत की ऐसी अध्यात्मिक भूमि है। जिन्हें मानने वाले पूरी दुनिया में है। Neem Karoli Baba के चमत्कारों की अनेक कहानियां है लेकिन सबसे ज्यादा चर्चित और प्रचलित कहानी है। एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स( Steve jobs) की। बाबा Neem Karoli Baba के आश्रम के लिए कहा जाता है कि जब स्टीव जॉब्स ( Steve jobs) अपने जीवन में निराश होकर 1974 में भारत Neem Karoli Baba के आश्रम में आए थे।
Neem Karoli Baba यहां कुछ समय पहले ही समाधि ले चुके थे। जॉब्स नैनीताल के कैंची धाम में रह कर वापस अमेरिका लौट गए और फिर उन्होंने एप्पल कंपनी की स्थापना की कालांतर के दौलत और शोहरत के शिखर तक पहुंचे। लेकिन यह कहानी इतनी सीधी नहीं है। यह कहानी बहुत ही अलग और बहुत ही ज्यादा खास कहानियों में से एक है। स्टीव जॉब्स ने Neem Karoli Baba के बारे में फ्रीड लैंड से ही सुना और ठान लिया था। कि वह भारत जाएंगे। वह अपने आप को जानना चाहते थे।
उनके पैदा होते ही उनके माता-पिता ने उन्हें अनाथालय में दे दिया था। बाद में उन्हें पाल जॉब्स और कलर ने गोद लिया। जिंदगी भर जॉब्स इसी एक खालीपन को भरते रहे। इस खालीपन की वजह से भारत और अनंत नीम करोली बाबा के आश्रम आए थे।वह भारत कैसे आए पैसों का कैसा इंतजाम किया। वह एक अलग कहानी है। स्टीव जॉब्स( Steve jobs)की एक और आदत यह थी कि उन्हें मांसाहार से चीड़ थी। जब वह 1974 में भारत आए।
तो कुछ समय हरिद्वार में चल रहे कुंभ मेले में रहे लेकिन फिर वहां से नैनीताल आए।इससे पहले ही नीम करोली बाबा 1973 में समाधि ले चुके थे। अल्मोड़ा में नीम करोली बाबा के दर्शन करने पहुंचे लेकिन मंदिर में उन्हें प्रसाद के रूप में एक खाया हुआ सेब मिला।
बाबा के आश्रम से प्रेरणा तथा भक्ति का ज्ञान लेकर अपने देश को लोटे स्टीव जॉब्स ( Steve jobs) ने इस खाए हुए सेब को कंपनी का लोगो बनाकर कंपनी का नाम एप्पल रख दिया। कुछ ही सालों बाद 1980 में ऐप्पल ने चमत्कारी रूप से दुनिया में मोबाइल क्रांति का डंका बजा दिया और कंपनी चल निकली।
Neem Karoli Baba Mark Zuckerberg in Hindi
मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) ने 27 सितंबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बताया था। जब पीएम मोदी फेसबुक के मुख्यालय में गए थे। कि जब वह भारत भ्रमण कर रहे थे।
तब उन्होंने कहा कि जब वे इस समस्या में थे की फेसबुक को बेचा जाए या नहीं। तब वह एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स(Steve jobs) ने उन्हें भारत के एक मंदिर जाने की सलाह दी थी। मार्क जुकरबर्ग(Mark Zuckerberg) ने बताया था कि वे 1 महीने भारत में रहे।
इस दौरान वह मंदिर में भी गए थे।मार्क जुकरबर्ग(Mark Zuckerberg)आए तो यहां एक दिन के लिए थे। लेकिन मौसम खराब होने के कारण वह मार्क जुकरबर्ग(Mark Zuckerberg) यहां दो दिन रुके थे।
बताते हैं कि भारत से मिली आध्यात्मिक शांति के बाद उन्हें फेसबुक को नए मुकाम पर ले जाने की ऊर्जा मिली और आज फेसबुक कितनी प्रगति कर चुका है। यह सभी को अच्छे से पता है।
Neem Karoli Baba Virat Kohli
भारतीय टीम के बल्लेबाज विराट कोहली के बल्ले से 3 साल से ज्यादा समय के बाद टेस्ट मैच में शतक निकला है। कहा जा रहा है कि मैच से पहले अनुष्का शर्मा, उनकी बेटी तथा विराट कोहली कैंची धाम मंदिर बाबा के दर्शन के लिए गए थे।
भक्तों का मानना है कि बाबा के आशीर्वाद से ही विराट कोहली ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपने टेस्ट करियर का 28वां शतक जड़ा है। विराट कोहली ने 23 नवंबर 2019 में टेस्ट मैच में आखिरी सेंचुरी लगाई थी। कोलकाता में बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट में विराट के बल्ले से शतक निकला था।
अब 3 साल 3 महीने और 17 दिन के इंतजार के बाद विराट ने टेस्ट मैच में शतक लगाया है। विराट कोहली की वापसी का श्रेय अनुष्का शर्मा ने नीम करोली बाबा को दिया है। ऑस्ट्रेलिया टेस्ट मैच के बाद अनुष्का ने नीम करोली महाराज की तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की थी।
पिछले कुछ वक्त से विराट कोहली क्रिकेटर से वक्त निकालकर मंदिरों के दर्शन को पहुंच रहे थे। जिसमें वृंदावन, हरिद्वार में, महाकाल के दर्शन करने भी पहुंचे थे।
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