Swargpuri Pandav Kholi उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के एक प्रसिद्ध शहर द्वाराहाट से 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैI स्वर्गपूरी पांडव खोली महाभारत काल से जुड़े हुए पांडव का प्रसिद्ध मंदिर हैI जहां ऐसे बहुत से रहते हैं जिनके बारे में हम आगे जानेंगेI
Swargpuri Pandav Kholi से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं
![Swargpuri Pandav Kholi](https://devbhomi.in/wp-content/uploads/2023/03/4-2.jpg)
Swargpuri Pandav Kholi जैसा कि पांडव खोली नाम से ही प्रतीत होता है कि यह स्थान महाभारत युद्ध के विजेता पांडू पुत्र पांचो पांडव (युधिष्ठिर, भीमसेन, अर्जुन, नकुल तथा सहदेव) के नाम से प्रसिद्ध है।
ऐसी मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान पांचो पांडव अपनी पत्नी द्रोपति के साथ यहां पर रुके थे और कुछ लोग बताते हैं कि पांडवों ने यहां पर भगवान शिव के देवालय की स्थापना की थी जिसमें भगवान शिव एवं पांचो पांडव की मूर्तियां स्थापित है एवं यहां पर कृष्ण भगवान का भी एक काफी सुंदर मंदिर हैI
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![Swargpuri Pandav Kholi](https://devbhomi.in/wp-content/uploads/2023/03/3-2.jpg)
जिसमें राधा कृष्ण की मूर्ति के साथ साथ हनुमान जी की प्रतिमा भी लगी हुई है एवं उसके नीचे भगवान शिव का शिवलिंग बना हुआ है और शिवलिंग के साथ नंदी महाराज विराजमान है एवं मंदिर के बाहर माता पार्वती और शिव जी की मूर्ति बनी हुई हैI
मंदिर के दरवाजे के आगे मंदिर की तरफ अपना शीश करे हुए नंदी बैठे है। स्वर्ग पुरी पांडव खोली में श्री श्री श्री 1008 महात्मा बलवंत गिरी नामक एक साधु ने आज से लगभग 60 साल पहले आश्रम की स्थापना की जिसे महात्मा बलवंत गिरी आश्रम के नाम से भी जाना जाता हैI
उस समय से हर साल दिसंबर माह में उनकी पुण्यतिथि पर आश्रम में पूजा पाठ एवं भंडारे का आयोजन किया जाता है जिसमें सैकड़ों भक्तजन हिस्सा लेते हैं और साल भर में आने वाले विशेष त्योहारों जैसे शिवरात्रि, जन्माष्टमी, नवरात्रि, नव वर्ष ऐसे ही कई त्योहारों में मंदिर में भक्तजनों की काफी भीड़ लगी रहती है जिसमें मंदिर संस्था द्वारा भक्तों को भोजन कराया जाता है
Swargpuri Pandav Kholi गुफा का रहस्य:
![Swargpuri Pandav Kholi](https://devbhomi.in/wp-content/uploads/2023/03/8.jpg)
लोगों का ऐसा मानना है कि पहाड़ी पर अनेक अनदेखी गुफाएं हैं जोकि महाभारत काल से जुड़ी हुई है महाभारत काल में पांचो पांडव अपनी पत्नी द्रोपति के साथ पांडव खोली गुफाओं द्वारा ही आए थेI
वहां के कुछ लोग बताते हैं कि पांडव खुली मैं यदि आप जमीन पर पैर मारते हैं तो वहां से एक अलग ही खाली ड्रम की ध्वनि सुनाई देती है लोगों का कहना है कि यह ध्वनि पहाड़ी के अंदर जो गुफाएं हैं उनके कारण आ रही है और कुछ लोग उस जगह को भीम की गुदड़ी भी बताते हैं l
Swargpuri Pandav Kholi में प्रसिद्ध भीम की गुदड़ी:
![Swargpuri Pandav Kholi](https://devbhomi.in/wp-content/uploads/2023/03/9.jpg)
Swargpuri Pandav Kholi में प्रसिद्ध भीम की गुदड़ी ऐसी जगह है यहां पर की जो भूमि है वह किसी गद्दे की तरह है अगर कोई व्यक्ति उसके ऊपर कूदता है तो वहां पर किसी विशाल गद्दे का अनुभव करता है
लोग बताते हैं कि अज्ञातवास के दौरान जब पांडव यहां पर आए थे तो यह पांडू पुत्र भीम का विस्तर हुआ करता था इसलिए स्वर्गपूरी पांडव खोली में यह जगह भीम की गुदड़ी के नाम से जानी जाती हैI
![Swargpuri Pandav Kholi](https://devbhomi.in/wp-content/uploads/2023/03/7.jpg)
स्वर्ग पुरी पांडव खोली जाने वाले लोग लगभग 3–4 किलोमीटर की तीखी चढ़ाई चढ़ने के बाद बहुत थक जाते हैं तो वह यहां भीम की गुदड़ी में जा कर लेट जाते हैं जमीन पर लेटने से ही ऐसा एहसास होता है कि किसी गद्दे पर लेटे हैं जिसमें की उनकी थकावट बहुत जल्दी दूर हो जाती है
स्वर्गपूरी पांडव खोली का वातावरण:
स्वर्गपूरी पांडव खोली का वातावरण बहुत खूबसूरत और मन को मोहित कर देने वाला हैं वहां के वातावरण में बहुत शांति है इसलिए कई लोग पांडवों खोली आ कर ध्यान की मुद्रा में बैठते हैं और शांति का आनंद लेते हैं
आश्रम के चारों ओर लगे बाज और बुरास के पेड़ मंदिर की खूबसूरती एवं मंदिर के आसपास के वातावरण मैं एक बहुत अच्छा प्रभाव डालते हैंI Sunderkand PDF Download in Hindi
![Swargpuri Pandav Kholi](https://devbhomi.in/wp-content/uploads/2023/03/5-1.jpg)
सर्दियों के मौसम में सबसे ऊंची चोटी होने के कारण पांडव खोली में भारी मात्रा में बर्फ गिरती है। एवं बरसात में काफी वर्षा भी होती है 3 किलोमीटर की तीखी चढ़ाई होने के कारण मंदिर तक किसी भी प्रकार से पानी की सुविधा नहीं पहुंच पाई है इसलिए बारिश के पानी को ही मंदिर परिषद द्वारा एकत्रित करके पूरे साल उपयोग में लाया जाता है।
यदि आप यहां आते हैं तो आपको यहां से थोड़ी ही दूर लगभग 10 से 15 किलोमीटर की दूरी पर दूनागिरी मंदिर के भी दर्शन होते हैं जिन्हें आप केवल 1 दिन में ही कवर कर सकते हैंI
स्वर्गपूरी पांडव खोली 3 किलोमीटर की तीखी चढ़ाई:
![Swargpuri Pandav Kholi](https://devbhomi.in/wp-content/uploads/2023/03/10.jpg)
स्वर्ग पुरी पांडव खोली एक विशाल पर्वत की चोटी पर स्थित है जो कि समुद्री तट से 9000 फुट की ऊंचाई पर है यहां जाने के लिए 3 किलोमीटर की तीखी एवं खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है जो कि पत्थरों द्वारा सीडीनुमा बनाई गई है एवं 3 किलोमीटर का पूरा रास्ता भयानक जंगल से होते हुए जाता है जहां जंगली जानवरों का खतरा भी लगा रहता है
स्वर्ग पूरी पांडव खोली कैसे पहुंचे:
उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के एक प्रसिद्ध शहर द्वाराहाट से 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित स्वर्ग पूरी पांडव खोली महाभारत काल से जुड़े हुए पांडव का प्रसिद्ध मंदिर है यदि आप कहीं बाहर से आ रहे हैं तो कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी से रानीखेत होते हुए लगभग 135 किलोमीटर की दूरी तय करके आप पांडव खोली तक पहुंचेंगेI
पांडव खोली के मार्ग में मां वैष्णवी का प्रसिद्ध मंदिर मां दूनागिरी मंदिर भी स्थित है जो कि माता के वरदान एवं शक्तियों के कारण काफी प्रसिद्ध है
पांडव खोली माता के दर्शन करते हुए ही जाएं स्वर्ग पुरी पांडव खोली के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है जो कि लगभग 130 किलोमीटर की दूरी पर है एवं निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर जो कि लगभग 155 किलोमीटर की दूरी पर हैI
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