स्वर्गपूरी पांडव खोली

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के एक प्रसिद्ध शहर द्वाराहाट से 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक खूबसूरत सा मंदिर स्वर्गपूरी पांडव खोली हैI स्वर्गपूरी पांडव खोली महाभारत काल से जुड़े हुए पांडव का प्रसिद्ध मंदिर हैI जहां ऐसे बहुत से रहते हैं जिनके बारे में हम आगे जानेंगे I

स्वर्गपूरी पांडव खोली से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं

Swargpuri Pandav Kholi
स्वर्गपूरी पांडव खोली

स्वर्गपूरी पांडव खोली जैसा कि पांडव खोली नाम से ही प्रतीत होता है कि यह स्थान महाभारत युद्ध के विजेता पांडू पुत्र पांचो पांडव (युधिष्ठिर, भीमसेन, अर्जुन, नकुल तथा सहदेव) के नाम से प्रसिद्ध है।

ऐसी मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान पांचो पांडव अपनी पत्नी द्रोपति के साथ यहां पर रुके थे और कुछ लोग बताते हैं कि पांडवों ने यहां पर भगवान शिव के देवालय की स्थापना की थी जिसमें भगवान शिव एवं पांचो पांडव की मूर्तियां स्थापित है एवं यहां पर कृष्ण भगवान का भी एक काफी सुंदर मंदिर हैI

Swargpuri Pandav Kholi
स्वर्गपूरी पांडव खोली

जिसमें राधा कृष्ण की मूर्ति के साथ साथ हनुमान जी की प्रतिमा भी लगी हुई है एवं उसके नीचे भगवान शिव का शिवलिंग बना हुआ है और शिवलिंग के साथ नंदी महाराज विराजमान है एवं मंदिर के बाहर माता पार्वती और शिव जी की मूर्ति बनी हुई हैI

मंदिर के दरवाजे के आगे मंदिर की तरफ अपना शीश करे हुए नंदी बैठे है। स्वर्ग पुरी पांडव खोली में श्री श्री श्री 1008 महात्मा बलवंत गिरी नामक एक साधु ने आज से लगभग 60 साल पहले आश्रम की स्थापना की जिसे महात्मा बलवंत गिरी आश्रम के नाम से भी जाना जाता हैI

उस समय से हर साल दिसंबर माह में उनकी पुण्यतिथि पर आश्रम में पूजा पाठ एवं भंडारे का आयोजन किया जाता है जिसमें सैकड़ों भक्तजन हिस्सा लेते हैं और साल भर में आने वाले विशेष त्योहारों जैसे शिवरात्रि, जन्माष्टमी, नवरात्रि, नव वर्ष ऐसे ही कई त्योहारों में मंदिर में भक्तजनों की काफी भीड़ लगी रहती है जिसमें मंदिर संस्था द्वारा भक्तों को भोजन कराया जाता है

स्वर्गपूरी पांडव खोली गुफा का रहस्य:

Swargpuri Pandav Kholi
स्वर्गपूरी पांडव खोली

लोगों का ऐसा मानना है कि पहाड़ी पर अनेक अनदेखी गुफाएं हैं जोकि महाभारत काल से जुड़ी हुई है महाभारत काल में पांचो पांडव अपनी पत्नी द्रोपति के साथ पांडव खोली गुफाओं द्वारा ही आए थे I

वहां के कुछ लोग बताते हैं कि पांडव खुली मैं यदि आप जमीन पर पैर मारते हैं तो वहां से एक अलग ही खाली ड्रम की ध्वनि सुनाई देती है लोगों का कहना है कि यह ध्वनि पहाड़ी के अंदर जो गुफाएं हैं उनके कारण आ रही है और कुछ लोग उस जगह को भीम की गुदड़ी भी बताते हैं l

स्वर्गपूरी पांडव खोली में प्रसिद्ध भीम की गुदड़ी:

Swargpuri Pandav Kholi
स्वर्गपूरी पांडव खोली

स्वर्गपूरी पांडव खोली में प्रसिद्ध भीम की गुदड़ी ऐसी जगह है यहां पर की जो भूमि है वह किसी गद्दे की तरह है अगर कोई व्यक्ति उसके ऊपर कूदता है तो वहां पर किसी विशाल गद्दे का अनुभव करता है

लोग बताते हैं कि अज्ञातवास के दौरान जब पांडव यहां पर आए थे तो यह पांडू पुत्र भीम का विस्तर हुआ करता था इसलिए स्वर्गपूरी पांडव खोली में यह जगह भीम की गुदड़ी के नाम से जानी जाती हैI

Swargpuri Pandav Kholi
स्वर्गपूरी पांडव खोली

स्वर्ग पुरी पांडव खोली जाने वाले लोग लगभग 3–4 किलोमीटर की तीखी चढ़ाई चढ़ने के बाद बहुत थक जाते हैं तो वह यहां भीम की गुदड़ी में जा कर लेट जाते हैं जमीन पर लेटने से ही ऐसा एहसास होता है कि किसी गद्दे पर लेटे हैं जिसमें की उनकी थकावट बहुत जल्दी दूर हो जाती है

स्वर्गपूरी पांडव खोली का वातावरण:

स्वर्गपूरी पांडव खोली का वातावरण बहुत खूबसूरत और मन को मोहित कर देने वाला हैं वहां के वातावरण में बहुत शांति है इसलिए कई लोग पांडवों खोली आ कर ध्यान की मुद्रा में बैठते हैं और शांति का आनंद लेते हैं

आश्रम के चारों ओर लगे बाज और बुरास के पेड़ मंदिर की खूबसूरती एवं मंदिर के आसपास के वातावरण मैं एक बहुत अच्छा प्रभाव डालते हैंI

Swargpuri Pandav Kholi
स्वर्गपूरी पांडव खोली

सर्दियों के मौसम में सबसे ऊंची चोटी होने के कारण पांडव खोली में भारी मात्रा में बर्फ गिरती है। एवं बरसात में काफी वर्षा भी होती है 3 किलोमीटर की तीखी चढ़ाई होने के कारण मंदिर तक किसी भी प्रकार से पानी की सुविधा नहीं पहुंच पाई है इसलिए बारिश के पानी को ही मंदिर परिषद द्वारा एकत्रित करके पूरे साल उपयोग में लाया जाता है।

 यदि आप यहां आते हैं तो आपको यहां से थोड़ी ही दूर लगभग 10 से 15 किलोमीटर की दूरी पर दूनागिरी मंदिर के भी दर्शन होते हैं जिन्हें आप केवल 1 दिन में ही कवर कर सकते हैंI

स्वर्गपूरी पांडव खोली 3 किलोमीटर की तीखी चढ़ाई:

Swargpuri Pandav Kholi
स्वर्गपूरी पांडव खोली

स्वर्ग पुरी पांडव खोली एक विशाल पर्वत की चोटी पर स्थित है जो कि समुद्री तट से 9000 फुट की ऊंचाई पर है यहां जाने के लिए 3 किलोमीटर की तीखी एवं खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है जो कि पत्थरों द्वारा सीडीनुमा बनाई गई है एवं 3 किलोमीटर का पूरा रास्ता भयानक जंगल से होते हुए जाता है जहां जंगली जानवरों का खतरा भी लगा रहता है

स्वर्ग पूरी पांडव खोली कैसे पहुंचे:

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के एक प्रसिद्ध शहर द्वाराहाट से 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित स्वर्ग पूरी पांडव खोली महाभारत काल से जुड़े हुए पांडव का प्रसिद्ध मंदिर है यदि आप कहीं बाहर से आ रहे हैं तो कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी से रानीखेत होते हुए लगभग 135 किलोमीटर की दूरी तय करके आप पांडव खोली तक पहुंचेंगेI

पांडव खोली के मार्ग में मां वैष्णवी का प्रसिद्ध मंदिर मां दूनागिरी मंदिर भी स्थित है जो कि माता के वरदान एवं शक्तियों के कारण काफी प्रसिद्ध है

पांडव खोली माता के दर्शन करते हुए ही जाएं स्वर्ग पुरी पांडव खोली के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है जो कि लगभग 130 किलोमीटर की दूरी पर है एवं निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर जो कि लगभग 155 किलोमीटर की दूरी पर हैI

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