Kafal(काफल): उत्तराखंड के बाजार में आ गया है फलों का राजा
जब काफल पकने का समय आता है तो वहां पर एक चिड़िया बोल कर जाती है “काफल पाको मेनी चाखो” तब दूसरी चिड़िया बोलती है “पूरे हैं बेटी पूरे हैं” यह कहानी पूरे उत्तराखंड में मशहूर हैI
काफल का पेड़ ठंडी जलवायु में होता हैI यह एक ऐसा प्राकृतिक फल है जो अपने आप ही उगता है कोई भी नहीं लगाता बल्कि प्रकृति ने स्वयं ही से प्रदान किया हुआ हैI
जिस प्रकार उत्तराखंड का नाम देव भूमि है जहां पर होने वाले हर चीज का मतलब देवताओं के द्वारा प्रदान किए हुए उपहारों से हैंI
काफल भी कोई उपहार से कम नहीं हैI यह काफी बड़ा पेड़ होता है और इसमें का फल गुच्चो में लगते हैं पहले हरे होते हैंI उसके बाद अप्रैल माह में यह जब पक जाते हैं तो लाल हो जाते हैं
इनका स्वाद एकदम खट्टा मीठा होता है जो बिल्कुल दिल को छू जाता हैI
आप उत्तराखंड में आए हैं और अपने का फल नहीं खाया तो आपने उत्तराखंड को बिल्कुल महसूस ही नहीं किया हैI
गर्मियों के दिनों में वैसे भी पर्यटक पहाड़ों की ओर आते हैं कोशिश करें कि आप भी उत्तराखंड मैं आकर काफल का आनंद जरूर उठाएं
बाहर की फालतू चीजें खिलाने से अच्छा है कि उन्हें कुछ ऐसी चीजें खिलाए जिससे उनकी सेहत भी अच्छी रहेI