Nanda Devi Temple की यह बातें भक्तों को अवश्य जाननी चाहिए
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Nanda Devi Temple के पीछे कहीं अलग अलग प्रकार की पौराणिक कथाएं तथा ऐतिहासिक कथाएं जुड़ी हैं।
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1815 में अंग्रेजों और गोरखो के संघर्ष में मल्ला महल के भवनों के साथ मां नंदा देवी मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया।
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जिस कारण नंदा का वार्षिकोत्सव कम हो गया।बस मंदिर में पूजा औपचारिकता रह गई। लोगों ने अंग्रेजों से मां नंदा देवी के मंदिर बनाने के लिए काफी आग्रह किया।
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लेकिन उन्होंने उनकी परवाह किए बिना 1832 में इसे पूर्ण सिविल अधिकारियों का केंद्र बना दिया।
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कहा जाता है कि अंग्रेजों की इस व्यवहार से मां देवी नंदा क्रोधित हो गई। उसी समय अंग्रेज कमिश्नर ट्रेन साहब पिडारी मिलन यात्रा पर थे।
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अचानक उनकी आंखों की रोशनी चली गई। पंडितो ने देवी का प्रकोप कहकर उन्हें मंदिर की स्थापना का सुझाव दिया।
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अंग्रेजो के द्वारा बनाया गया मंदिर नंदा देवी के वर्तमान परिसर में शिव मंदिर के साथ नंदा देवी का मंदिर बनवा कर मूर्ति को मल्ला महल से यहां लाकर प्रतिष्ठित किया गया।
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कहां जाता है इसके बाद अचानक आश्चर्यजनक रूप से आंखों की रोशनी लौट आई।