Naina Devi मंदिर से जुड़ा है नैनीताल का रहस्य

Naina Devi मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है यहां पर माता सती की आंखें गिरी थी इसलिए यहां देवी की आंखों के रूप की पूजा की जाती है। जितना खूबसूरत नैनीताल है उतना ही सुंदर नैना देवी का यह मंदिर भी है।

Naina Devi मंदिर

Naina Devi मंदिर नैनीताल में नैनी झील के उत्तरी किनारे पर स्थित है यहां माता सती के शक्ति रूप की पूजा की जाती है पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां पर माता सती के नेत्र गिरे थे जिनके आंसू धार से नैनीताल झील बनी थी तभी से यहां नैना देवी की आंखों के रूप की पूजा की जाती हैI

Naina Devi
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Naina Devi मंदिर में मुख्य रूप से नैना देवी के आंखों के रूप की पूजा की जाती है इसके अलावा यहां पर माता काली, गणेश भगवान और हनुमान जी की भी मूर्तियां है। वैसे तो देश भर से श्रद्धालुओं की भीड़ लगी ही रहती है लेकिन नंदा अष्टमी के टाइम पर माता के भक्तों माता को प्रसन्न करने के लिए काफी संख्या में यहां आते हैं मंदिर कमेटी द्वारा नंदा अष्टमी के 8 दिनों में यहां पर मेले का आयोजन किया जाता है।

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Nainital घूमने आने वालों टूरिस्ट भी नैना देवी के दर्शन करके जाते हैं Naina Devi मंदिर के साथ-साथ आप यहां पर नैनीताल झील में वोटिंग कर सकते हैं इसके अलावा नैनीताल में भोटिया मार्केट में घूम सकते हैं जहां आपको काफी कुछ चीजें मिल जाएंगी जिसमें की कुमाऊं की फेमस मिठाई –अल्मोड़ा की बाल मिठाई ,सिंगोड़ी हैI नैनीताल  झील, चिड़ियाघर जवाब के मुख्य  पर्यटक स्थल हैI

Naina Devi
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Naina Devi मंदिर का रहस्य

Naina Devi मंदिर माता का चमत्कारी मंदिर है इस मंदिर से कई भक्तों की आस्था जुड़ी हुई है माता ने सच्चे मन से आए अपने किसी भी भक्तों को निराश नहीं किया है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, सत-युग में, सती (मां पार्वती) दक्ष प्रजापति की बेटी थीं और वह भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं। दक्ष प्रजापति भगवान शिव से नफरत करते थे। और वो सती का विवाह भगवान शिव से नही करना चाहते थे।

सती ने दक्ष की इच्छा के विरुद्ध भगवान शिव से विवाह किया। तो उन्होंने शिव से बदला लेने के लिए एक यज्ञ किया और सभी देवताओं को आमंत्रित किया और अपमान करने के लिए भगवान शिव और सती को आमंत्रित नही किया। माता सती पिता प्रेम में आमंत्रण ना होने के कारण भी उस यज्ञ पर पहुंची आमंत्रण ना होने के कारण उनके पिता दक्ष प्रजापति ने वहां उपस्थित सभी देवी देवताओं के सामने उनका और भगवान शिव का अपमान किया सभी के सामने अपमान होने के कारण माता सती ने यज्ञ जल्द ही अग्नि में कूदकर आत्मदाह कर लिया।

Naina Devi
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जैसे ही भगवान शिव को इस बारे में पता चला तो शिव क्रोधित हो गय और उन्होंने दक्ष का सिर काट दिया। उन्होंने सती के शरीर को दु: ख के कैलाश पर्वत की ओर चल पड़े माता सती के शरीर के अंग रास्ते में जहां-जहां गिरे वेस्तान अब शक्तिपीठ के नाम से जाने जाते हैं कहा जाता है कि नैनीताल के Naina Devi मंदिर में माता सती की आंखे गिरी थी। इसलिए उस स्थान पर नैना देवी का मंदिर बनाया गया और मंदिर के नाम से ही उस जगह का नाम नैनीताल पड़ा।

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निष्कर्ष

नैनीताल में घूमना सबको पसंद है अक्सर लोग यहां पर अपना हनीमून मनाने के लिए भी आते हैंI यहां नैनीताल में पर्यटकों की भीड़ पूरे वर्ष लगी रहती हैI नैना देवी मंदिर नैनीताल का मुख्य पर्यटन स्थल है क्योंकि इसी मंदिर की बदौलत यहां का नाम नैनीताल पड़ाI  पर्यटकों को यहां आकर बहुत आता हैI

Naina Devi
Naina Devi

FAQs:

नैना देवी कौन से जिले में पढ़ती है?

नैना देवी का मंदिर उत्तराखंड के नैनीताल जिले में है इन्हीं के कारण यहां का नाम नैनीताल भी पड़ाI

नैना देवी मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?

Naina Devi मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है यहां पर माता सती की आंखें गिरी थी इसलिए यहां देवी की आंखों के रूप की पूजा की जाती है।

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