वैसे तो अलग-अलग प्रकार की थिंच्वाँणी होती है। लेकिन आज हम आपको मूली की थिंच्वाँणी बनाने के बारे में बताएंगे। उत्तराखंड में बहुत से विशेष प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं इन्हीं में से एक यह भी हैI
थिंच्वाँणी क्या हैं?
पहाड़ अपनी हर कार्य के लिए अलग-अलग तरह से जाना जाता है। यह देवभूमि होने के साथ-साथ यहां पर अलग रीति रिवाज तथा अलग-अलग तरह के व्यंजन बनाने की परंपरा भी है। यहां लोगों की भाषा से लेकर लोगों के खान-पान सब अलग तरह का होता है।
पहाड़ों की एक सब्जी बहुत ही प्रसिद्ध सब्जियों में से एक है। जिसे कहा जाता है थिंच्वाँणी। पहाड़ों में मूली आसानी से उपलब्ध होती है। जो की काफी आकार में बड़ी होती है। मूली आसानी से पहाड़ों में उपलब्ध होती है।
यही कारण है कि लोग इसकी सब्जी को बनाना ज्यादा पसंद करते हैं। आप इस सब्जी के साथ बात रोटी,भात खा सकते हैं।यह खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होती है। चूल्हे में पकाने का अलग ही स्वाद होता है।आप इसे गैस में भी बना सकते हैं।आप साधारण मूली से भी इसको बना सकते हैं।
इसे बनाने के लिए आपको पहाड़ी मूली ,टमाटर,गरम मसाला, नमक, मिर्च, हल्दी, धनिया, तेल या रिफाइंड ,जाखिया ,भांग के दाने, सब्जी मसाला ,जरा, धनिया आवश्यकता अनुसार तथा इसे छोंकने के लिए रिफाइंड या घी।
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सबसे पहले मूली को अच्छे से धो ले और इसे अच्छे से साफ करके छोटे-छोटे टुकड़े बनाएं ।फिर इसे सिलबट्टी की सहायता से या किसी भी प्रकार के भारी पत्थर या भारी पदार्थ से इसे अच्छे से इस कुचल( थींच) दे। आप मूली को किसी पॉलिथीन के अंदर रखकर कुचल सकते हैं। इसके बाद कढ़ाई को गैस पर रखकर मंदी आंच में तेल को गर्म करें। उसके बाद लाल मिर्च, जाकिया या फिर जीरा का तड़का लगाऐ।
सभी मसाले, नमक मिलाकर अच्छे से मिक्स कर ले । मूली के टुकड़ों को इसमें डालकर अच्छे से इसे चलाएं इसके बाद थोड़ा-थोड़ा पानी बढ़ते रहे। इसके बाद भांग के दाने डालकर इसे ढककर अच्छे से पकाएं। आप इसे रोटियां और झंगोरा (एक प्रकार का चावल) के साथ खा सकते हैं।
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